दादरी के तहसीलदार पद पर इस समय राजेश शुक्ला विराजमान है। इस अधिकारी का हाल इस समय ये है कि दाम दो और काम लो। काम चाहे जैसा हो-वह दाम के बदले करने को तैयार रहते हैं। पहली बार देखा जा रहा है कि इस अधिकारी से उसके स्टाफ के लोग हों चाहे आम बादकारी हो या फिर अधिवक्ता वर्ग हो, सभी नाखुश हैं। इस अधिकारी के ऊपर लगते रहे आरोपों और गलत कार्य शैली के कारण पिछले दिनों जब यहां से तहसीलदार सतीश शुक्ला का स्थानांतरण हुआ था तो इन्हें तहसीलदार का चार्ज नही दिया गया था।पिछले दिनों कई बार अधिवक्ताओं ने इस अधिकारी के खिलाफ हड़ताल रखी है। अभी 7 दिसंबर को भी बार एसोसिएशन दादरी के अध्यक्ष महीपाल सिंह भाटी की अध्यक्षता में वकीलों की बैठक में इस अधिकारी के भ्रष्टाचार पूर्ण कार्यों की वजह से हड़ताल रखी गयी थी। बाद में उसे उक्त अधिकारी की ओर से यह आश्वासन देने पर खोल दिया गया था कि वह भविष्य में अपने आपको सुधारेंगे। बार एसोसिएशन दादरी के अध्यक्ष श्री भाटी का कहना है कि यह हड़ताल केवल स्थगित की गयी है यदि कार्यशैली में कोई बदलाव नही आता है तो बाद में उक्त हड़ताल को पुन: जारी कर दिया जाएगा। वैसे अधिवक्ताओं में आक्रोश है और यह नही कहा जा सकता है कि उक्त अधिकारी अपने कार्य व्यवहार में बदलाव ला सकता है। ऐसे कई मामले रहे हैं जो इस अधिकारी की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान लगाते हैं। जिन्हें हम क्रमश: अपने पाठकों से शेयर करेंगे। फिलहाल इतना अवश्य कहा जा सकता है कि अखिलेश सरकार की किसानों को सस्ता और सुलभ न्याय प्रदान करने की नीति को लागू कराने में यह अधिकारी बाधक हैं। लोगों को न्याय के स्थान पर अन्याय मिल रहा है। देखते हैं कि इस सीट से निकलने वाले अन्याय की चीख हमारे लखनऊ के आकाओं तक कब तक पहुंचती है और कब क्षेत्र की जनता इस अधिकारी से निजात पाएगी? हालांकि तहसीलदार दादरी का कहना है कि उन्होंने अब तक एक भी कार्य गलत नही किया है।सारा कुछ विधिक प्रावधान और न्यायिक प्रक्रिया के अनुरूप ही किया जाता रहा है लेकिन फिर भी असंतोष का जो माहौल इस अधिकारी के विरूद्घ व्याप्त है, वह तो कुछ और ही बयां कर रहा है।