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भारत ने हासिल की बड़ी उपलब्धि – ऑनलाइन अदालती सुनवाई में

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लॉक डाउन के दौरान वर्चुअल कोर्ट में अदालती सुनवाई में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, इटली, जर्मनी, चीन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, और फ्रांस समेत करीब 23 देशों को पीछे कर दिया है। वर्चुअल मोड में अदालती सुनवाई के नतीजे भारत के लिए खासा अच्छा रहा है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया के अनेक देशों में लॉक डाउन लागू है। भारत में भी 17 मई तक लॉक डाउन है। ऐसे में आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों पर भी पूरी तरीके से पाबंदी लागू है। हालांकि अब कुछ क्षेत्रों में छूट मिल रही है। लॉक डाउन के कारण कोर्ट-कचहरी के काम में भी बाधा पहुंचा है। लेकिन दुनिया के 23 देशों ने न्यायिक प्रक्रिया को जारी रखने के लिए वर्चुअल सिस्टम से अदालती सुनवाई को आगे बढ़ाया।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इस लॉक टाउन के दौरान वर्चुअल कोर्ट सिस्टम के जरिए सुनवाई को जारी रखा। अदालत का मानना है कि इस महामारी के कारण न्यायिक प्रक्रिया को बाधित नहीं किया जा सकता है और किसी के साथ इस दौरान नाइंसाफी ना हो जाए, इसके लिए हम सबको सक्रिय रहना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न देशों से जारी किए गए आंकड़ों के हिसाब से बताया कि वर्चुअल कोर्ट से सुनवाई के मामले में भारत बाकी देशों की तुलना में आगे हैं। लॉक डाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 538 मामले पहुंचे और उससे संबंधित 297 मामलों की सुनवाई के लिए सामने आए। लॉक डाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले के रिजर्व 57 मामलों के फैसले दिए जबकि 268 संबंधित मामलों के फैसले भी दिए गए हैं।
लॉक डाउन के दौरान वर्चुअल कोर्ट में अदालती सुनवाई में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, इटली, जर्मनी, चीन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, और फ्रांस समेत करीब 23 देशों को पीछे कर दिया है। वर्चुअल मोड में अदालती सुनवाई के नतीजे भारत के लिए खासा अच्छा रहा है। मामलों के निष्पादन के लिए भी वर्चुअल मोड का इस्तेमाल किया गया है। बता दें कि भारत न्यायिक प्रक्रिया को लेकर हमेशा सतर्क रहा है। चाहे परिस्थिति कैसी भी रही हो, लेकिन किसी के साथ अन्याय ना हो पाए। यही भारतीय संविधान की सबसे बड़ी पूंजी है। इसी को देखते हुए इस लॉक डाउन में भी सुप्रीम कोर्ट निरंतर काम कर रहा है।

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