आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच मुसलमानों का पवित्र रमजान का महीना शुरू हो चुका है। विभिन्न राज्यों की सरकारें नमाजियों से घर पर ही नमाज पढ़ने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील कर रही हैं। नमाज और अजान पर निर्देशों से गुस्साए तनवीर खान नाम के एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोली मारने की बात कही है।
तनवीर खान ने अपने फेसबुक एकाउंट से पोस्ट किया, “दिलदार नगर और पूरे कामसरोवर (कामसर) में अजान नहीं हो रही है। योगी को गोली मार दो… को।” पोस्ट वायरल होते ही तनवीर खान ने अपना एकाउंट डिएक्टिवेट कर लिया है। लेकिन कुछ लोगों ने ट्विटर पर उसके पोस्ट के स्क्रीनशॉट लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस से इस पर संज्ञान लेने की अपील की।
एडिशनल एसपी राहुल श्रीवास्तव ने कहा है कि मामले की जॉंच कर उचित कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
उत्तर प्रदेश पुलिस अब तक सोशल मीडिया पर उपद्रव मचा रहे 578 से ज्यादा मुकदमे दर्ज कर चुकी है। यह ऐसे केस हैं, जिन पर कोरोना वायरस के दौरान सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ और घृणा फैलाने के आरोप हैं।
रमजान महीने में सरकार ने मुस्लिमों से मस्जिद के बजाए घर पर ही नमाज पढ़ने की अपील की है ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सके। लेकिन कई लोग सरकार द्वारा जारी इन निर्देशों का निरंतर विरोध कर रहे हैं।
ज्ञात हो, कुछ समय पूर्व, हैदराबाद में एक मस्जिद से लाउडस्पीकर से आपत्तिजनक घोषणा होने पर लगभग 800 मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवा दिए गए थे। जितने तेज स्वर में दिल्ली और उत्तर प्रदेश में अज़ान होती है, हैदराबाद में नहीं। पुराने हैदराबाद को छोड़, अन्य स्थानों पर कोई ईद के मौके पर भी मस्जिद से बाहर सड़क पर कोई नमाज़ नहीं पढ़ता।
कुछ वर्ष पूर्व, अपने हैदराबाद प्रवास के दौरान वीरवार को ईद पड़ी थी, मौलाना आज़ाद उर्दू अकादमी के निकट वीरवार को सुबह फल-सब्जी की दुकानें लगती हैं, निकट में मस्जिद होने के बावजूद नमाज़ के दौरान बाजार लगा देख घर से निकल सब्जी वगैरह खरीदी। मस्जिद में जगह न होने के कारण लोगों को घर वापस जाते देखा। रोजा खुलने से पहले फल और मीट वाले टेबल लगा लेते थे, जिसे पुलिस हटवा देती है। कोई शोर नहीं होता। ओवैसी परिवार भी चुप रहता है, क्योकि वहां भाजपा की सरकार नहीं है।
इन लोगों को यह नहीं मालूम की हिन्दुओं के नव संवत के नौरात्रे शुरू होने पर समस्त मन्दिर आज तक बंद है, इतने त्यौहार गए, सब घरों में बंद रहकर मनाते रहे, केवल जनहित में। लेकिन इस तरह धमकियां देने पर जब कोई कानूनी कार्यवाही होने पर एकदम Victim Card लेकर सडकों पर आ जाएंगे। जिनके घर शीशे के होते हैं, दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते। लेकिन इसमें इनका कसूर नहीं, वास्तव में दोषी हैं तुष्टिकरण की गन्दी सियासत खेल इन्हें सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने वाले छद्दम धर्म-निरपेक्षी नेता।
CAA के विरुद्ध हुए हंगामे क्या हुआ? “fuck hindutva”, “हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी”, “मोदी तेरी कब्र खुदेगी”, “योगी तेरी कब्र खुदेगी” आदि नारे लगाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता, बशर्ते नारे लगाने वालों को छद्दम एवं ढोंगी धर्म-निरपेक्ष सियासतखोर नेताओं का संरक्षण न हो। फिर थोड़ा पीछे चलते हैं।
इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने हिन्दुओं को “हिन्दू आतंक” और “भगवा आतंकवाद” के नाम से बदनाम ही नहीं कलंकित करने का काम यूपीए के कार्यकाल में हुआ। बेकसूर निर्दोष साधु, संत और साध्वियों को केवल जेलों में ही नहीं डाला, बल्कि उनका सात्विक भी नष्ट करने का कुकर्म हो चूका है। 2019 चुनाव में पीड़ित साध्वी प्रज्ञा द्वारा जिसकी केवल पलक झपक झलकी दिखाने पर समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्षियों की तड़पन देश ने देखी थी।
जबकि मेरा व्यक्तिगत मानना था कि 2019 चुनाव जीतने के लिए किसी मोदी या योगी की जरुरत नहीं केवल स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को प्रचार मैदान उतार दे, कांग्रेस और समस्त छद्दमों की नींद हराम हो जाएगी। जिसका उल्लेख कई अपने लेखों में भी कर चूका हूँ। इन छद्दमों ने इन पर अमानवीय यातनाएं दी। विपरीत इसके अपने छद्दम देशप्रेम को दर्शाने पकडे गए आतंकवादियों को बिरयानी, कोरमा और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते थे।