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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NEET का उद्देश्य सिस्टम में होने वाली बुराई और कुप्रथा को खत्म करना है. NEET के बारे में बताते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए है कि शिक्षा का मानक बना रहे और प्रबंधन के विशेष अधिकार की आड़ में कुप्रबंधन न हो.सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक NEET के रूप में नियामक उपाय “शिक्षा को उसी दान के दायरे में लाना है, जो उसका चरित्र खो गया है. कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि NEET ने धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक समूहों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के अधिकार के साथ हस्तक्षेप किया है। हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद शिक्षा में समरूपता की आवश्यकता को बुद्धिजीवी वर्ग की ओर से अनिवार्य है और आवश्यक मने जाने की बात कही जाती रही है उसे स्थापित करने में बहुत अधिक सुविधा होगी।
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