आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार में माइनॉरिटी कमीशन (दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग) के अध्यक्ष ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने भारत के हिन्दुओं को अरबी मुसलमानों की धमकी है। ज़फरुल इस्लाम ख़ान ने कुवैत को ‘भारतीय मुसलमानों के साथ खड़े होने’ के लिए धन्यवाद दिया है। चलो देर आये दुरुस्त आये, बिल्लियां थैले से बाहर आ रही हैं। अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि कट्टर हिन्दू ऐसा समझते थे कि बड़े स्तर पर आर्थिक रिश्तों को देखते हुए अरब देश भारत में हो रहे ‘मुसलमानों के अत्याचार’ को नज़रअंदाज़ कर देगा, जबकि कुवैत ने ऐसा नहीं किया।
जफरुल इस्लाम ने अरबी मुसलमानों की दी धमकी
ज़फरुल ने कहा कि कट्टर हिन्दू ये भूल गए थे कि अरबी मुसलमानों की आँखों में भारतीय मुसलमानों की साख काफ़ी ऊँची है। बकौल ज़फरुल, भारत के मुसलमानों ने इस्लाम के लिए जो किया है, उसे देखते हुए अरबी उन्हें सिर-आँखों पर रखते हैं। भारतीय मुसलमान अरबी और इस्लामी अध्ययन में पारंगत हैं, दुनिया को दुनिया भर में इस्लामी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी विरासत में अपने अहम योगदान दिया है।
ज़फरुल ने इन लोगों को शाह वलीहुल्ला देहलवी, अबू हस्सान नदवी, बहुदुद्दीन खान और ज़ाकिर नाइक का नाम गिनाया। बता दें कि मलेशिया में रह रहे ज़ाकिर नाइक को वापस लाने के लिए भारत सरकार प्रयत्न कर रही है और उसके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर आतंकियों को भड़काने तक के आरोप हैं। भारत में कई जगह युवा कट्टर मुसलमानों के यहाँ से ज़ाकिर नाइक की सीडी मिली, जिसे देख कर वो आतंक की राह अपनाते रहे है।
ज़फरुल ने चेताया कि कट्टर हिन्दुओं को शुक्र मनाना चाहिए कि भारत के मुसलमानों ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के मुसलमान एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे। ज़फरुल इस्लाम ने मंगलवार (अप्रैल 28, 2020) को बयान जारी कर के ये बातें कहीं।
CAA और NRC विरोध प्रदर्शन के दौरान जफरुल का काला इतिहास
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि ज़फरुल इस्लाम ने न सिर्फ़ ज़ाकिर नाइक को एक हीरो के रूप में प्रस्तुत किया है बल्कि भारत को अरबी मुसलमानों के हमले की भी धमकी दी है। ज़फरुल एनआरसी-सीएए आंदोलन के दौरान सीजेआई एसए बोबडे को पत्र लिख कर सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखना और विरोध करना सभी लोगों के मूलभूत अधिकारों में शामिल है। उन्होंने लिखा था:
“अभी देश भर के कई इलाक़ों में सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन चल रहा है, जिसमे पुलिस का व्यवहार काफ़ी आपत्तिजनक रहा है। पुलिस ने शांतिपूर्ण होने के बावजूद कई प्रदर्शनों को बंद कर दिया, कई जगह धारा-144 लगा दी और मोबाइल व इंटरनेट सेवाओं को ठप्प कर दिया। ये सब जनता को उनके अधिकार से वंचित रखने के लिए किया जा रहा है। मेरठ, बिजनौर, सीमापुरी और वाराणसी के अलावा दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर हमले भी किए। न सिर्फ़ प्रदर्शनकारियों के हाथ-पाँव व खोपड़ियाँ तोड़ दी गईं बल्कि 2 दर्जन को मार भी डाला गया।“
चीफ जस्टिस को लिखा पत्र
इस पत्र में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ज़फरुल इस्लाम ने पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के घरों में घुस कर उन पर क्रूरता से हमला करने का भी आरोप मढ़ा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने की अपील की थी। हालिया तबलीगी जमात मामले में भी ज़फरुल ने महामारी फैलाने वालों का महिमामंडन किया। उन्होंने दावा किया कि सरकार जमातियों से कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा डोनेशन तो ले रही है लेकिन उनके साथ बड़े अपराधियों की तरह व्यवहार कर रही है।
हालाँकि, ये छिपा नहीं है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन कितना ‘शांतिपूर्ण’ था। शाहीन बाग़ में चंद लोगों ने पूरी दिल्ली को बंधक बना आकर रखा और वहाँ पिकनिक मनाते रहे। इन्हीं प्रदर्शनों के कारण दिल्ली में हिन्दू-विरोधी दंगे हुए। साथ ही सीएए विरोध की आड़ में अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नज़र में देश को बदनाम करने की साज़िश रची गई। शरजील इमाम जैसों ने संविधान को ही भला-बुरा कहा।
स्वास्थय सेवाओं को बताया कैदखाना
ज़फरुल ने दावा किया कि उन्होंने अब तक जितने भी आइसोलेशन सेंटर के बारे में जानकारी जुटाई है, हर जगह रह रहे लोगों ने बताया है कि वहाँ हज़ारों लोगों को बंद कर के रख दिया गया है और उन्हें समय पर भोजन नहीं दिया जा रहा है, बाहर से कुछ ख़रीदने भी नहीं दिया जा रहा है और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है। ये आरोप अजीब है क्योंकि क्वारंटाइन फैसिलिटी अपने-आप में स्वास्थ्य सुविधा है, जहाँ डॉक्टरों और नर्सों की निगरानी में मरीजों की अच्छी देखभाल की जाती है।