नई दिल्ली । (अजय आर्य) अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संदीप कालिया ने कहा है कि देश में पालघर की घटना के पश्चात साधुओं पर हो रहे हमलों में निरंतर वृद्धि होना निंदनीय है । उन्होंने कहा कि इस विषय में सरकार का कोई भी कठोर कार्रवाई करने से पीछे हटना या बचना और भी अधिक चिंता जनक स्थिति पैदा करती है । उन्होंने कहा कि पालघर की घटना से अब यह स्पष्ट हो गया है कि वह सब कुछ एक षड्यंत्र के अंतर्गत संपन्न हुआ था । इसके बाद पंजाब और पंजाब के बाद उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में ऐसी ही घटनाओं को अंजाम देना निश्चित रूप से इस प्रकार की घटनाओं के पीछे के षड्यंत्र को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है ।
श्री कालिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा बुलंदशहर की घटना के पश्चात प्रशासनिक अधिकारियों को अपराधियों के विरुद्ध कड़ाई के निर्देश दिए गए यह एक अच्छी बात है । परंतु अभी तक भी उक्त प्रकरण में कोई संतोषजनक कार्यवाही न होना और ऐसी विघटनकारी और षड्यंत्रकारी शक्तियों का पर्दाफाश न होना सरकार की निष्क्रियता को प्रकट करता है , जो अपने षडयंत्रों में रोजाना लगे हुए हैं और कहीं ना कहीं सफल भी होते जा रहे हैं ।
पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि अखिल भारत हिंदू महासभा इस संबंध में पहले ही यह निर्णय ले चुकी है कि वह अपनी ओर से पीड़ित साधुओं के लिए जो भी कुछ करना पड़ेगा उसे करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी कानूनी विषयों पर भी अपनी ओर से पहल करने से पीछे नहीं हटेगी । राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि हम इस विषय में अपने विधि विशेषज्ञों से सलाह मशवरा कर रहे हैं और सही परामर्श मिलने के पश्चात उचित निर्णय लिया जाएगा। पार्टी के नेता ने कहा कि अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से लॉकडाउन के दौरान हो रही इन घटनाओं को लेकर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा गया है ।
उन्होंने कहा कि इस पत्र में यह मांग की गई है कि देश के साधु सन्यासियों की जान को दिख रहे खतरों के दृष्टिगत उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए । उन्होंने कहा कि यदि ऐसी ही घटना इस समय किसी मौलवी के साथ हो गई होती तो निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय मंचों तक शोर मच गया होता कि भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है। परंतु निरंतर हिंदू संतों के साथ होती जा रही इन घटनाओं पर न केवल देश का टुकड़े-टुकड़े गैंग और पदवी वापस करने वाले गैंग सहित असहिष्णुता का शोर मचाने वाले सारे कम्युनिस्ट और कांग्रेसी व सेकुलर कीड़े शांत हैं बल्कि विदेशों से भी कोई प्रतिक्रिया ऐसी नहीं आ रही है जिससे यह कहा जा सके कि साधू सन्यासियों की बात को उठाने वाला सुनने वाला भी कोई है।
श्री कालिया ने मानव अधिकार आयोग की भूमिका को भी संदेह के घेरे में लेते हुए कहा कि यदि किसी अन्य संप्रदाय के मुल्ले मौलवी पादरी के विरुद्ध ऐसा हो गया होता तो मानव अधिकार आयोग स्वयं ही सक्रिय हो गया होता , परंतु अब क्योंकि हिंदू संतों के साथ ऐसा हो रहा है इसलिए वह भी निराशाजनक चुप्पी साधे हुए हैं जो कि निंदनीय है।