बीजिंग। बहुत जल्द चीन एंटी सेटेलाइट हथियार टेस्ट (एसेट) को एक बार फिर से अंजाम दे सकता है। एसेट को अमेरिका के ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) के लिए खतरा बताया जा रहा है। हालांकि, चीन की सरकारी मीडिया ने रविवार को दावा किया कि बीजिंग को यह परीक्षण करने का पूरा हक है। एसेट चीन को अमेरिका से दो कदम आगे पहुंचा देगा। यह अमेरिका के खिलाफ हमारा तुरुप का इक्का है। इससे पहले अमेरिकी मीडिया ने अपनी रिपोर्टो में दावा किया था कि चीन यह विवादास्पद परीक्षण दो हफ्तों के अंदर कर सकता है।
चीन ने एसेट को 2007 और 2011 में 11 जनवरी को अंजाम दिया था। इसलिए अमेरिकी सुरक्षा और खुफिया महकमों में यह अफवाह और तेजी से फैल रही है कि इस 11 जनवरी को भी चीन परीक्षण करेगा। चीन के पिछले परीक्षणों के बाद भारत में भी गंभीर चिंता जताई गई थी। भारतीय रक्षा अधिकारियों ने कहना था कि हमें भी जल्द से जल्द ऐसी क्षमता विकसित कर लेनी चाहिए। कैंब्रिज स्थित वैज्ञानिकों के एक संगठन ने बताया कि यह परीक्षण पूरी दुनिया में चिंताएं बढ़ाएगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक ग्रेगरी कुलेकी ने दो दिन पहले बताया कि क्रिसमस पर एक वरिष्ठ अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने मुझसे कहा था कि ओबामा प्रशासन इस प्रस्तावित परीक्षण से परेशान है। चीन के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए कहा जा सकता है कि परीक्षण जनवरी में ही होगा। हालांकि,अभी यह साफ नहीं कि परीक्षण किस तरह का होगा और इसका लक्ष्य क्या है। इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अमेरिकी रणनीतिकारों की चिंता अनावश्यक है। हमने 2007 में जब पहली बार परीक्षण किया तो बहुत शोर हुआ था। हालांकि, हम किसी सेटेलाइट को नुकसान पहुंचाने के लिए यह परीक्षण नहीं कर रहे। हम वह तकनीक हासिल करना चाह रहे है जिससे किसी सेटेलाइट को जरूरत पडऩे पर निष्क्त्रिय किया जा सके। अमेरिका ने अंतरिक्ष में अपने कदम बहुत आगे बढ़ा लिए हैं। अब चीन की बारी है।
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