उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन को विफल कराने के पीछे ‘शाहीन बाग’ ब्रिगेड
अजय कुमार
यह चुनौती तब और गंभीर हो जाती है जबकि पवित्र रमजान माह की शुरूआत हो गयी है। हालांकि रमजान का महीना काफी पवित्र है, लेकिन कुछ जमाती टाइप के लोग इस मौके पर भी अपनी हरकतों और रूढ़िवादी सोच से बाज नहीं आते हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य को कोरोना महामारी से बचाने के लिए हर संभव प्रयास और जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। योगी के साथ उनके मंत्री और सरकारी अमला भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के हालात अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर नजर आ रहे हैं। यदि राज्य में फैल रहे कोरोना महामारी में तब्लीगी जमातियों की ‘हिस्सेदारी’ कम कर दी जाए तो कोरोना पीड़ितों की संख्या आधी से भी कम रह जाती है। पूरे प्रदेश में फैले जमातियों और उनके संपर्क में आए लोगों में संक्रमण के कारण ही राज्य में कोरोना पीड़ितों की चेन बढती जा रही है। बात जमातियों से इतर की जाए तो जमातियों की तरह की पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में एक वर्ग के लोग लॉकडाउन का उल्लंघन करते नजर आ रहे हैं। यह लोग बेवजह सड़क पर घूमते-फिरते रहते हैं। फेस मास्क लगाने में अपनी बेइज्जती समझते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग से इनका कोई वास्ता ही नहीं है। पुलिस रोकती-टोकती है तो मारपीट पर उतर आते हैं। स्वास्थ्य कर्मियों को सहयोग इनसे मिल नहीं रहा है। ऐसा लगता है कि सब कुछ सुनियोजित तरीके से चल रहा है ताकि मोदी-योगी सरकार की नाक में ठीक वैसे ही ‘दम’ किया जा सके जैसा नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए की मुखालफत के समय किया गया था।
आश्चर्यजनक रूप से कोरोना महामारी को जमातियों के द्वारा अधिक से अधिक फैलाए जाने की साजिश के पीछे भी वही बिग्रेड सक्रिय है जो सीएए के खिलाफ देभभर में जहर उगल-उगल कर मुसलमानों को उकसा रही थी। तब सीएए के नाम पर सड़क पर तांडव मचाने वालों को जब पुलिस रोक रही थी, तब दंगाई पुलिस पर हमला कर रहे थे, तो अब कोरोना वारियर्स यानि स्वास्थ्य कर्मियों को निशाना बनाया जा रहा है। उस समय कर्फ्यू का उल्लंघन करके लोग सड़क पर आ रहे थे तो अब लॉकडाउन का उल्लंघन कर सड़क पर चहलकदमी की जा रही है। तब भी हमलावर मुंह पर कपड़ा बांध कर आते थे और आज तो मुंह ढंकने का बहाना भी मौजूद है। भले यह लोग वैसे फेस मास्क से परहेज करते हों, लेकिन जब हमलावर होते हैं तो फेस पूरी तरह से ढंका-छिपा रहता है ताकि पुलिस आसानी से पकड़ नहीं सके। उस समय सीएए को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया जा रहा था तो आज कहा जा रहा है कि कोरोना काफिरों के लिए है। सबसे बड़ी बात यह है कि तब भी इस समाज का बुद्धिजीवी वर्ग मौन साधे रहा था और आज भी वह मूक दर्शक बना हुआ है।
ऐसे में योगी सरकार के सामने चुनौती कम होती नहीं दिख रही है। खासकर यह चुनौती तब और गंभीर हो जाती है जबकि पवित्र रमजान माह की शुरूआत हो गयी है। हालांकि रमजान का महीना काफी पवित्र है, लेकिन कुछ जमाती टाइप के लोग इस मौके पर भी अपनी हरकतों और रूढ़िवादी सोच से बाज नहीं आते हैं। यह वह तबका है जो यह मान कर चलता है कि रमजान की नमाज मस्जिदों में सामूहिक रूप से ही पढ़ी जानी चाहिए। भले ही इससे सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का मकसद तार-तार हो जाए। हालांकि लखनऊ सहित प्रदेश के तमाम प्रमुख धर्मगुरुओं ने अभी से मुसलमानों से आह्वान करना शुरू कर दिया है कि वह तराबी और रमजान की नमाज घर पर ही पढ़ें, लेकिन ऐसे लोगों की भी संख्या कम नहीं है जो इससे उलट विचार रखते हैं। इसी के चलते 25 अप्रैल से शुरू होने वाले रमजान माह के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखना उत्तर प्रदेश पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। लॉकडाउन का पालन कराना, सोशल डिस्टेसिंग बनाए रखना और रोजेदारों के घरों तक जरूरी खाद्य सामग्री पहुंचाना, प्रत्येक मोर्चे पर पुलिस को अत्यधिक सक्रिय रहना पड़ेगा। इसके साथ ही रमजान माह में बेवजह इधर-उधर थूकने वालों पर भी पुलिस नजर रखनी होगी क्योंकि कोरोना संक्रमण के फैलाव के दौर में इधर-उधर थूकना काफी गंभीर मामला बन सकता है। इस पर पुलिस सख्त रवैया भी अपना सकती है। दरअसल, रमजान के दिनों में रोजेदार दिन में मुंह में बनने वाली थूक और लार को भी गले के नीचे नहीं उतरने देते हैं। ऐसे में रोजेदार मुंह में बनने वाले थूक को कहीं भी थूक देते हैं। कोरोना महामारी के चलते पुलिस प्रशासन इस पर सख्त है। रमजान के लिए पुलिस खास तरह का मास्टर प्लान तैयार करने में जुटी है जिसमें थूकने वालों पर भी नजर रखे जाने का प्रावधान है। इस बीच किसी को भी घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होगी। शहर के जिस एरिया में हॉटस्पॉट नहीं हैं वहां पर भी होम डिलीवरी के माध्यम से आवश्यक सामग्री पहुंचाई जाएगी। रोजेदार इधर-उधर न थूकें, लॉकडाउन का पालन करें और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें यह समझाने के लिए योगी सरकार मुस्लिम धर्मगुरुओं का भी सहारा ले रही है।
गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में जिला प्रशासन और धर्मगुरु लगातार मुस्लिम समुदाय से अपील कर रहे हैं कि रमजान में अपने घरों पर ही नमाज पढ़ें। मस्जिदों में और समूहों में नमाज नहीं पढ़ें। अपने-अपने घरों पर सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए इफ्तार करें। इसके साथ ही किसी तरह की रोजा इफ्तार की पार्टी का आयोजन न किया जाए। यदि कोई ऐसा करता है तो उसके विरूद्ध कठोर कार्रवाई का प्रावधान है। एक तरफ धर्मगुरु समझा रहे है तो दूसरी तरफ योगी सरकार भी मुस्तैद है। जो धर्मगुरुओं की बात नहीं मानेंगे, उन्हें पुलिस अपने हिसाब से समझाएगी। पुलिस मुस्लिम इलाकों में रात के वक्त और सुबह के वक्त गलियों और मोहल्लों में गश्त करेगी। इसके साथ ही आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार किए गए ड्रोन की भी मदद ली जाएगी। आईआईटी कानपुर ने पुलिस विभाग की मदद के लिए रात के अंधेरे में नजर रखने वाले ड्रोन मुहैया कराए हैं। इन ड्रोन में हाई क्वालिटी के नाईट विजन कैमरे लगे हैं जो सूई की नोक के बराबर चीजों पर नजर रखने में सक्षम हैं।
बहरहाल, रमजान का एक माह मुस्लिम धर्मगुरुओं और योगी सरकार दोनों की परीक्षा का होगा। उम्मीद यही की जानी चाहिए कि रमजान की पवित्रता और कोरोना महामारी की चुनौती, दोनों चीजों को समझते हुए मुस्लिम भाई और रोजेदार कोई ऐसा काम नहीं करेंगे, जिससे धर्मगुरुओं को शर्मिंदा होना पड़े या फिर सरकार को कोई सख्त कदम उठाना पड़े।