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राकेश छोकर / नई दिल्ली
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अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) ने वर्तमान वैश्विक महामारी की वजह से उत्पन्न लॉकडाउन से हो रहे कृषि क्षेत्र के नुकसान और किसानों को बदहाल स्थिति से उबारने के लिए 25 सूत्री मार्गदर्शी सुझाव पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री औऱ केंद्रीय कृषि मंत्री को सौंपा है।
आईफा ने देश भर में सक्रिय अपने 52 अनुशांगिक किसान संगठन, किसान उत्पाद संगठनों (एपीओ), कृषि उत्पाद विपणन समूहों तथा कृषि से संबंद्ध संगठनों से कृषि व कृषकों की जमीनी दिक्कतों और कृषि की बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव मांगे थे. आईफा के आह्वान पर देशभर से भारी संख्या में न केवल किसान संगठन बल्कि किसानों ने अपने सुझाव भेजे हैं।
आईफा के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि अब वक्त आ गया है, कि कृषि क्षेत्र के सभी हितधारक वर्तमान समस्या के समाधान के लिए अलग-अलग राग अलापने के बजाय इसके लिए ठोस नीतिगत फैसले लें और सरकार के साथ सकारात्मक सामांजस्य स्थापित कर एक स्थायी पहल करे । डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि इन सुझावों का अध्ययन कर आईफा ने कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर 25 मुख्य विंदु चिन्हित किये हैं, जिसे केंद्र सरकार को भेजा गया है।. ये सुझाव तीन स्तरों को ध्यान में रख कर दिये गये हैं- पहला, तात्कालिक तौर पर कोरोना संक्रमण और इसकी वजह से लॉकडाउन से कृषि क्षेत्र के नुकसान से उबारने तथा किसानों को तात्कालिक राहत देने, दूसरे स्तर पर, भारतीय कृषि की आधारभूत संरचना को सदृढ़ करते हुए ऩीतिगत कृषि सुधार और तीसरे स्तर पर, वर्तमान वैश्विक परिस्थिति के मद्देनजर भविष्य के अवसरों का लाभ उठाने के लिए संरचनात्मक विकास के साथ कृषि क्षेत्र में निवेश और नवाचार के लिए सहज-सुगम माहौल का सृजन करना है।
डॉ त्रिपाठी के अनुसार भारतीय कृषि इस लॉकडाउन के पहले ही एक प्रकार से आईसीयू में थी।आईफा कृषि क्षेत्र के विभिन्न पहलु पर शोध-सर्वेक्षण के आधार पर नीति निर्माण के लिए वस्तुस्थिति की जानकारी केंद्र सरकार को उपलब्ध करायेगी, इसके लिए आईफा कृषि विशेषज्ञों की एक टीम भी बना रही है, जो अगले सप्ताह-दस दिन में मूर्त रूप ले लेगी।आईफा का मानना है कि सिर्फ आंदोलन से भारतीय कृषि की दशा-दिशा में बदलाव नहीं आएगा, बल्कि कृषि क्षेत्र के प्रत्येक हितधारकों को अपने स्तर पर कृषि के उज्जवल भविष्य के लिए अपना योगदान देना होगा।