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AMU के छात्र चला रहे खाड़ी देश में रहने वाले हिंदुओं के ख़िलाफ़ प्रोपेगेंडा खाड़ी देशों में हिंदुओं को निशाना बनाने के अभियान के पीछे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के कुछ पूर्व व वर्तमान छात्र-छात्राओं के नाम सामने आया है। आरोप है कि ये लोग खाड़ी देशों में रह रहे हिंदुओं के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया में पोस्ट कर अभियान चला रहे हैं।
इन छात्रों पर शिकायत दर्ज कराने के लिए AMU के ही एक पूर्व छात्र निशित शर्मा ने कुछ स्क्रीनशॉट्स प्रमाण के रूप में पेश किए हैं। शर्मा ने दावा किया है कि इन्हीं सबके कारण अरब देशों में गुजर-बसर कर रहे हिंदुओं का कोरोना महामारी के बीच बहिष्कार शुरू हुआ है। वहाँ हिंदुओं को न उचित इलाज मुहैया कराया जा रहा है और न ही उनका कोरोना टेस्ट हो रहा है।
इन स्क्रीनशॉट्स से साफ मालूम होता है कि AMU के छात्र लगातार अनऑफिशियल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी फेसबुक पेज पर अरब देशों में रह रहे हिंदुओं के ख़िलाफ़ साजिश रच रहे थे। वे अपने पोस्टों में हिंदुओं के ख़िलाफ़ नफरत फैलाने का काम कर रहे थे। ये लोग सोशल मीडिया पर ऐसे हिंदुओं को खोज रहे थे जो खाड़ी देशों में कार्यरत हैं। जैसे निशित ने जो स्क्रीनशॉट सामने रखे हैं उनमें राजीव नाम के व्यक्ति के ख़िलाफ़ अनऑफिशियल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पेज से शिकायत करने की माँग की गई है।
इसके अलावा एक देवासुरम नाम का व्यक्ति जिसने पिछले दिनों एक पोस्ट किया कि वे मुस्लिमों से सामान नाम नहीं लेगा और न ही मुस्लिमों को कंपनी में हायर करेगा। उसे भी कुछ पूर्व छात्रों ने हाइलाइट किया है।
इसके अतिरिक्त अली सोहराब नामक विवादित पत्रकार भी इस सूची में शामिल है। उसने दुबई में रह रही हिंदू धारा पटेल नाम की महिला की शिकायत की, क्योंकि, वे तबलीगी जमातियों और पाकिस्तानी आतंकी समूह के बारे में मुखर होकर लिख रही थीअली सोहराब ने दुबई पुलिस का ध्यान धारा की ओर आकर्षित कराते हुए बोला कि ये महिला सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैला
इतना ही नहीं, AMU के पूर्व छात्रों ने अरब देशों में रह रहे हिंदुओं के ख़िलाफ़ अपनी कुँठा व्यक्त करने के लिए अपनी टाइमलाइन पर उन्हें संघी करार दिया है और ये भी कह रखा है कि अरब में अभी सिर्फ़ चार लोग एक्टिव हुए हैं और संघी बाप सावरकर की तरह माफी वीडियो डाल रहे हैं।
अब इन्हीं सब स्क्रीनशॉट्स आदि को प्रमाण के रूप में पेश करते हुए निशित शर्मा ने इन सबके ख़िलाफ़ उपयुक्त कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है, “अरब देशों में रह रहे हिंदू भारतीयों पर अत्याचार के पीछे एक संगठित वर्ग है। इसका संचालन पाकिस्तान एवं भारत के विभिन्न स्थानों से सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहा है।”
उन्होंने लिखा, AMU के पूर्व एवं वर्तमान छात्र-छात्राएँ सोशल मीडिया पर निरंतर अरब देशों में रह रहे हिंदुओं के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं। ये वही अराजक तत्व हैं जो नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन में हिंसक गतिविधियों में लिप्त रहे थे।
अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखे गए पत्र में दावा किया गया है कि ये सब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करने, हिंदू धर्म के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर द्वेष फैलाने और हिंसा भड़काने की एक सुनियोजित साजिश है। इसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े लोग भी लिप्त हैं।
खाड़ी देशों में कार्य कर रहे भारतीय मूल के लोगों पर अत्याचार एवं धार्मिक कट्टरपंथी मढ़ना कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान के आतंकी समूहों के प्रोपेगेंडा के कारण वहॉं ये सब कई बार हो चुका है। शिकायतकर्ता ने 2019 के एक वाकए का जिक्र किया है, जब केवल सीएए का समर्थन करने के कारण एक भारतीय डॉक्टर को मुस्लिम विरोधी करार देकर, अस्पताल से निकाल दिया गया था। (साभार)