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मैं रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी का कोई बड़ा प्रशंसक नही हूँ क्योंकि उसके कार्यक्रमो में जिस तरह चीख चिल्लाहट होती है और वह स्वयं प्रतिभागियों पर आक्रमक होता है उससे मेरे कान के पर्दों के साथ, मेरे स्वयं की संवेदनशीलता आहत होती है। कभी कभी तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैं किसी शराबखाने में हो रहे हो हल्ले का साक्षी हूँ।
लेकिन इस सबके बाद भी मैं अर्नब का प्रशंसक हूँ क्योंकि अंग्रेजी मीडिया में, जिस तरह से भारत व हिंदुहन्ताओ, टुकड़े टुकड़े गैंग, लेफ्टलिब्रेल्स, सेक्युलर्स, हिंदुत्व व मोदी विरोधी पत्रकार व मीडिया और इन सबके आश्रयदाता कांग्रेस व उनकी इटेलियन सम्राज्ञी सोनिया गांधी के दोहरे मापदंडों, कालगुज़रियों, भृष्ट आचरणों और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को उजागर व तीखे प्रहार किए है, वह अन्य नही कर पाए है।
इसी क्रम में कल अर्नब गोस्वामी ने उन प्रश्नों को सामने रख दिया जिन प्रश्नों को सार्वजनिक रूप से पूछने की हिम्मत, भारत के किसी भी पत्रकार को अभी तक नही हुई थी। कई वर्षों से सेक्युलरता के नाम पर भारत देखता रहा है कि 130 करोड़ की जनता में एक अपवाद स्वरूप घटना, जिसमे कोई मुसलमान या ईसाई हताहति होता है तो पूरे हिन्दू समाजको कठघरे में खड़ा कर दिया जाता रहा है और हिंदुत्व पर प्रयोजित रूप से प्रहार किया जाने लगता है। लेकिन वही पर जब कोई हिन्दू, मुसलमानों और ईसाइयों के जघन्य अपराधों का शिकार होता है, तो वही लोग जो पहले छाती पीट पीट कर शोक मनाते व भारत मे धार्मिक असहिंष्णुता फैलने का आरोप मढ़ते, वे या तो मौन हो जाते है या सत्य को छिपाकर उसी अन्य रूप देने का निर्लज्ज प्रयास करते है।
अर्नब ने अपने कार्यक्रम में पालघर में साधुओं के अपहनन पर, सोनिया गांधी के मौन पर सीधे प्रश्न उठाया था। बाटला हाउस में मुस्लिम आतंकवादियों के मारे जाने पर रोने वाली सोनिया गांधी की, पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या पर चुप्पी को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था। अर्नब गोस्वामी के जिस तीखे सवाल पर कांग्रेस व उसका इकोसिस्टम सबसे आहत हुआ है, वह है अर्नब द्वारा सोनिया को उसके आधिकारिक नाम से संबोधित करने व धार्मिक आधार पर सोनिया द्वारा अपने आक्रोश व मौन का चयन करने से है। अर्नब ने बिना शब्दो को चासनी में लपेटे हुये, सोनिया के भारत की नागरिकता लेने वाले फॉर्म में उल्लेखित उनके आधिकारिक नाम सोनिया गांधी एंटोनिया मारिनो को लेकर कहा की यदि साधु की जगह किसी पादरी की हत्या होती तो रोम की इटली वाली सोनिया इसे साम्प्रदयिक बताती। लेकिन साधुओं की हत्या पर चुप है, वो अंदर ही अंदर खुश है कि भगवा पहने दो सन्तो को अपनी सरकार के संरक्षण में मरवा दिया, जिसके लिए वो रोम से वाहवाही बटोरेगी। अर्नब ने सोनिया से पूछे गए प्रश्नों के द्वारा यह स्पष्ट कर दिया कि सोनिया कांग्रेस हिन्दुओ के विरुद्ध, रोम के वेटिकन चर्च के तंत्र का प्रमुख भारतीय तंत्र है। सोनिया की आस्था भारत व उसके हिंदुओं के प्रति नही बल्कि वेटिकन चर्च और ईसाईयत के प्रति है।
इससे पहले मेनस्ट्रीम मीडिया पर सोनिया और कांग्रेस से सार्वजनिक पटल पर इतने असहज व कष्टप्रद प्रश्न पहले कभी भी पूछे नही गये थे। पूर्व में सोशल मीडिया पर हम लोग इस पर लिखते व आशंका व्यक्त करते रहे है लेकिन करोड़ो लोगो के सामने, सार्वजनिक रूप से पूछे जाने पर सोनिया कांग्रेस और उसका इकोसिस्टम एकदम से घबड़ा गया है। एक कठोर निरंकुश सत्य के आगे यह सोनिया का गिरोह इतना बौखला गया कि वे कल पूरे दिन, मीडिया के हर पटल पर अर्नब के विरुद्ध विषवमन करते रहे है और जगह जगह, अर्नब गोस्वामी के विरुद्ध हजारों एफआईआर करवाते रहे है।
अर्नब के प्रश्नों से सोनिया गांधी व उसके गुलामों का मानसिक संतुलन इस स्तर तक बिगड़ गया है कि कल देर रात कांग्रेस के गुंडों ने अर्नब और उसकी पत्नी पर जानलेवा हमला तक कर दिया है। मैं समझता हूँ कि जिस तरह सोनिया ने अर्नब गोस्वामी के प्रश्नों और आरोपो का तार्किक उत्तर न देकर, इटेलियन माफिया के हथकंडों का उपयोग कर के डराने और धमकाने का मार्ग अपनाया है, वह मार्ग स्वयं रोम की इटेलियन सोनिया एंटोनिया मारिनो गांधी के तिलस्म के टूटने व उसके बनाये अधम तंत्र के ध्वस्त होने की प्रक्रिया की ओर ही जारहा है।
#pushkerawasthi
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