कमल खिलाएगी नरेंद्र-राजनाथ की जोड़ी
नई दिल्ली। नितिन गडकरी की विदाई और राजनाथ सिंह की नाटकीय तरीके से ताजपोशी के बाद अब भाजपा पूरी तरह से चुनावी तैयारियों में जुट गई है। इसी के तहत रविवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली आकर भाजपा अध्यक्ष के साथ संगठन में फेरबदल और केंद्र में अपनी भूमिका के मुद्दे पर चर्चा की। इस बैठक के बाद ये संकेत पुख्ता हो गए कि अगले आम चुनाव से पहले मोदी केंद्रीय भूमिका में नजर आएंगे। राजनाथ के अध्यक्ष बनने के बाद उनका पहला काम अब अपनी नई टीम बनाना है और ऐसे संकेत हैं कि वह इस बार मोदी को पार्टी की सर्वोच्च निर्णय वाली इकाई संसदीय बोर्ड में शामिल कर सकते हैं। पिछले कार्यकाल में उन्होंने मोदी को संसदीय बोर्ड से हटा दिया था जिसके बाद दोनों के संबंधों में कटुता आई थी। पिछले कुछ अरसे से गुटों में बंटी भाजपा के भीतर राजनाथ-मोदी की यह भेंट बेहद अहम है। संघ ने पार्टी में बिखराव रोकने के लिए ही गडकरी की जगह राजनाथ को पार्टी की कमान सौंपी है। राजनाथ सुलझे हुए और साफ छवि के नेता माने जाते हैं। उनकी न सिर्फ गडकरी से पटती रही है, बल्कि हाल के गुजरात चुनाव में मोदी के साथ भी उनके पुराने गिले-शिकवे दूर हो चुके थे। संघ की मंशा है कि राजनाथ-मोदी-गडकरी आगामी चुनाव के लिए अहम भूमिका में रहें और सभी वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलें। संघ के सूत्रों की मानें तो राजनाथ और मोदी की जोड़ी को अगले वर्ष चुनाव के मद्देनजर संगठन को एकजुट करने का निर्देश मिला है। इसके तहत राजनाथ के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सभी प्रांतों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की पहली बड़ी चुनौती है। सूत्रों ने बताया कि यूपीए 2 सरकार का कार्यकाल अगले साल मई में पूरा होगा और वह बजट के ठीक बाद चुनाव मैदान में उतरना चाहती है। ऐसे में भाजपा के पास अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए 15-16 महीने का वक्त है और इन दिनों में वह सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाएगी। भ्रष्टाचार और महंगाई के साथ-साथ जब भी उसे मौका मिलेगा सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने से नहीं चूकेगी। इसका ट्रेलर राजनाथ के अध्यक्ष बनने के दिन ही मिल गया जब उन्होंने शिंदे के बयान के खिलाफ अगले दिन देशव्यापी धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया। उधर, सूत्रों ने कहा है कि पार्टी और संघ ने मोदी को पहले से ही बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहने को कह दिया है। हालांकि, वह अभी मुख्यमंत्री बने रहेंगे लेकिन संगठन के कामकाज में भी वो राजनाथ का हाथ बटाएंगे।
भाजपा के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी ने मोदी को चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी देने का मन बना लिया है लेकिन इसका एलान वह सितंबर-अक्टूबर में करेगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि राजनाथ और मोदी अब अगले चुनाव में भाजपा के खेवनहार हार होंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी पूरी तरह से सामने आते हैं या पर्दे के पीछे रहकर ही अपनी भूमिका निभाते हैं।