गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का बयान रोजाना नया गुल खिला रहा है। पहले पाकिस्तानी आतंकी हाफीज सईद ने शिंदे के बयान के आधार पर पाक में हुए सभी धमाकों के पीछे भारतीय संगठन का हाथ बताया। अब शिंदे के बयान का ही सहारा लेकर एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 1992 बाबरी मस्जिद के गिरने के बाद के सभी बम धमाकों की जांच की मांग की है। कल ही जमानत पर बाहर आए ओवैसी ने आज मिलाद उल नबी के मौके पर हैदराबाद में कहा कि उन्हें शक है कि भारत में आतंकवाद फैलाने के पीछे हिंदुत्व ताकते काम कर रही है। अपनी इस बात के लिए ओवैसी ने सुशील कुमार शिंदे के बयान को आधार बनाया है। ओवैसी ने इस बात की आलोचना की कि बम धमाके में शामिल प्रज्ञा ठाकुर और दूसरे आरोपियों को बचाने के लिए लाल कृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। ओवैसी ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस शिंदे को इसलिए निशाना बना रहे हैं कि क्योंकि वह दलित हैं।
ओवैसी ने कहा कि मैं उस दिन के इंतजार में हूं जब आंध्र प्रदेश में भी मायावती और मुलायम सिंह यादव जैसे नेता होंगे। हम उनके साथ काम करेंगे। ओवैसी ने अपनी बात को साफ करते हुए कहा कि वह न तो हिंदु के खिलाफ है और न ही हिंदुवाद के खिलाफ। बल्कि वह हिंदु ताकतों और संघ परिवार के खिलाफ हैं। ओवैसी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह नीजि प्रतिशोध के कारण हमे, अकबरुद्दीन ओवैसी और एमआईएम के अन्य नेताओं को निशाना बना रही है।
अगले चुनाव में कांग्रेस को हराने की कसम खाते हुए ओवैसी ने कहा कि उत्तेजक भाषण के संबंध में सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। सरकार ने अकबरुद्दीन ओवैसी पर देशद्रोह का आरोप लगा दिया। लेकिन स्वामी कमलानंद भारती पर नहीं। यहां तक कि स्वामी की बेल का भी विरोध नहीं किया गया। गौरतलब है कि 19 जनवरी को स्वामी को उनके भड़काऊ भाषण के मामले में जमानत मिली है। स्वामी हिंदु देवालय परिरक्षणा समिति के अध्यक्ष हैं।
सरकार पर अकबरुद्दीन ओवैसी को परेशान करने का आरोप लगाते हुए अकबरुद्दीन के बड़े भाई असाउद्दीन ओवैसी ने कहा कि अकबरुद्दीन एक राजनीतिक कैदी है। उसे बीमारी की हालत में एक शहर से दूसरे शहर ले जाकर सरकार उसकी जिंदगी से खेल रही है। असाउद्दीन को कल ही जमानत मिली है।
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