अन्नदाता पर कोरोना की भयंकर मार कैसे हो उपचार
★ देश के दिग्गज किसान नेताओं औऱ विचारकों की महत्वपूर्ण राय,ब्यूरो चीफ राकेश छोकर के साथ
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★ राकेश छोकर / नई दिल्ली
“””””””””””””””‘”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘1. डॉ. राजाराम त्रिपाठी (राष्ट्रीय सयोंजक: अखिल भारतीय किसान महासंघ)
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” सरकार ने खेती किसानी के कार्यों को आंशिक छूट भले दी है ,पर जिला विकासखंड तथा ग्राम पंचायत के स्तर पर सही जानकारी के अभाव के कारण अभी भी गांव में पूरी तरह अफरा-तफरी फैली है। इन नियमों को लागू कराने में लगे पुलिस वाले भाइयों पर भी इस समय कार्य का भारी मनोवैज्ञानिक दबाव है, सो प्राय: खेतीकिसानी में छूट के नियम को डंडे की भाषा में पढ़ रहे हैं ,तथा डंडे से ही समझा रहे हैं। इसलिए साग सब्जियां, फल लेकर किसान तथा उनके ट्रैक्टर शहर तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। बाजार नहीं होने के कारण बेचना भी दुश्वार है। जो थोड़ा बहुत फसल शहर तक पहुंच पा रही है उसे बिचौलिए माटी के मोल खरीद कर चांदी काट रहे हैं।
किसानों की खड़ी साग सब्जी, फलों मसाले, औषधीय, सुगंधित फसलों, नगदी फसलों, रोपणी नर्सरी तथा इसी प्रकृति की अन्य फसलों का जो भी वास्तविक नुकसान हुआ है, ग्राम पंचायत स्तर पर उनका आकलन कर, उसमें भूमि मालिक, पट्टाधारी ,लीज अथवा किराए पर लेकर खेती करने वाला, छोटा किसान, बड़ा किसान, सब्जी का किसान ,मसाले का किसान, बागवानी किसान, रोपणी किसान औषधि पौधों की खेती का किसान ,बागवानी का किसान आदि भेदभाव बिना किए घाटे की क्षतिपूर्ति की राशि प्रति एकड़ वास्तविक लागत आकलन कर सीधे किसान के बैंक खातों में प्रदान की जाए। जिससे कि किसान आने वाली खरीफ की फसल की तैयारी तथा खाद, बीज मजदूरी आदि के लिए की उचित व्यवस्था समय रहते कर पाए।फसलों धान गेहूं सरसों तथा अन्य खड़ी फसलों को कटवा कर समुचित भंडारण तथा विपणन की व्यवस्था हेतु, संबंधित क्षेत्र के कृषि तथा राजस्व अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाए।”
2. डॉ राकेश राणा (प्रख्यात विश्लेषक,विचारक)………………………….. “ कोरोना के बाद सम्भावित परिस्थितियों का विश्लेषण भयावह परिदृश्य के संकेत दे रहा है। केंद्र सरकार के स्तर पर भी अर्थव्यवस्था को राहत देने की योजना वृहद स्तर पर बनाई जा रही है। वही हर राज्य अपने स्तर पर नागरिकों के लिए कुछ न कुछ कर रहा है। लेकिन सबसे दयनीय हालात किसान और मजदूर तबके की है। जो अचानक से आये इस संकट का सामना कर पाने में इसलिए असमर्थ है क्योंकि इस तबके के पास अपने भविष्य की सुरक्षा के साधन होते ही नही है। ऐसी स्थितियों में जब फसल की कटाई, भुखमरी, बेरोजगारी, सरकारी खजाने का कोरोना से पहले खाली हो जाना , यह सब संकट मिलकर सारा बोझ इस गरीब किसान मजदूर के पाले में जायेगा। जिन स्थितियों को समय रहते संभालने की जरूरत है। सरकार खुद आर्थिक दबावों में है ऐसे में किसान को संकट से उभरने के लिए देश के कारपोरेट जगत को आगे आना चाहिए। उसे राज्यवार गांवो को गोद लेकर संकट में किसान परिवारों की सीधे आर्थिक मदद करनी चाहिए।सरकार को चाहिए एक “नेशनल इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल” का गठन करे । इस काउंसिल में देश के विद्वानों को शामिल कर पुनर्निर्माण करे ,वरना हालात इसके बाद कोरोना बीमारी से भी कई गुना भयंकर होंगे। किसान मजदूर की मदद के लिए सरकार मनरेगा के बजट को दुगना करे , किसानों को फ़सलो का बीमा कंपनियों से भुगतान कराए । तभी गांव, किसान और मजदूर इस महामारी के भयावह संकट से बच पायेगा।”3.डॉ.राकेश कुमार आर्य (अध्यक्ष : राष्ट्रीय प्रेस महासंघ)
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कोरोनावायरस के चलते जब देश लॉक डाउन की असहज स्थिति से गुजर रहा है तब किसानों के लिए इधर ‘लॉक डाउन’ का पालन करना और उधर खेतों में फसल का काम आ जाना बड़ी असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है । इस समय फसल को भी नहीं छोड़ा जा सकता और लॉक डाउन का उल्लंघन भी उचित नहीं। ऐसे में मेरा किसान भाइयों से अनुरोध है कि वह ‘सोशल डिस्टेंस’ का पालन करते हुए खेतों में सूर्योदय के घंटे भर बाद कार्य करना आरंभ करें और सूर्यास्त से पहले ‘सोशल डिस्टेंस’ का पालन करते हुए अपना खेती का काम बंद कर दें। खेतों में काम करते हुए भी मुंह पर मास्क अवश्य लगाएं। खेतों से लौटने के पश्चात जरूर नहाएं और अपने कपड़ों को भी गर्म पानी से धो दें । किसी भी अजनबी मजदूर या आदमी को खेतों में काम करने के लिए आमंत्रित ना करें , ना किसी अजनबी आदमी को छूने की कोशिश करें।
खेतों में किसी भी अजनबी व्यक्ति के हाथ का भोजन या पानी ना लें । कोरोनावायरस से बचने के लिए खांड , गूगल व गंधक को यज्ञ अग्नि में जलाकर उसकी महक घर में अवश्य करें। खेतों में मजदूरों से भी सोशल डिस्टेंस का पालन अनिवार्य रुप से करवाएं। उन्हें भी मास्क पहनने को जरूर दें ।