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हिंदू आतंक की वास्तविकता

बलबीर पुंज
लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अबू जुंदाल की गिरफ्तारी और जांच एजेंसियों द्वारा उससे की जा रही पूछताछ से सामने आ रही जानकारी आजकल समाचार पत्र पत्रिकाओं की सुर्खियों में है, किंतु सेक्यूलर दुराग्रह से ग्रस्त मीडिया द्वारा जुंदाल के एक महत्वपूर्ण खुलासे की अनदेखी कई प्रश्नों को खड़ा करती है जुंदाल की गिरफ्तारी से जहां पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है वहीं भारत के सेक्यूलरिस्टों का सच भी सामने आया है। क्यों यह महज संयोग है कि पाकिस्तान पोषित आतंकी जिस रणनीति पर भारत को लहूलुहान करने में लगे हैं, यहां के सेक्यूलरिस्ट उसी लीक पर चलते हुए भारत के सामाजिक ताने वाले को ध्वस्त करने की साजिश में जुटे हैं?
जांच एजेंसियों द्वारा की गयी पूछताछ में अबू जुंदाल ने यह खुलासा किया कि मुंबई हमलों को हिंदू चरमपंथियों की प्रतिक्रिया के रूप में स्थापित करने की साजिश रची गयी थी। मालेगांव बम धमाकों के सिलसिले में महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे द्वारा की गयी जांच में कथित तौर पर हिंदू संगठनों का हाथ पाया गया था। करकरे ने अभिनव भारत नामक कथित हिंदू संगठन से जुड़े होने के आरोप में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुराहित को गिरफ्तार किया था मुंबई हमले के मास्टर माइंड अबू जुंदाल के साथ पाकिस्तान के कराची स्थित वाररूम में बैठे उसके आकाओं ने मुंबई हमलों को वस्तुत: हिंसक भगवा प्रतिक्रिया के रूप में प्रस्तुत करने का षडयंत्र रचा था। इसके लिए जुंदाल ने आतंकियों को हिंदी बोलने के लिए प्रशिक्षित किया और उन्हें हिंदू नाम के फर्जी पहचान पत्र दिए गये। आतंकियों को माथे पर टीका लगाने और कलाई में कलावा बांधने का निर्देश दिया गया ताकि पहली नजर में ही उनके हिंदू होने की पहचान बन जाए। यह साजिश आतंकी अजमल कसाब के जिंदा गिरफ्तार हो जाने से विफल हो गयी। आतंकवाद को पोषित कर रहे पाकिस्तान को इससे भले निराशा हाथ आई हो, किंतु इधर के सेक्यूलरिस्ट उी लीक पर जुटे रहे। इस आतंकी हमले में करकरे आतंकियों के हाथों मारे गये, किंतु उनकी शहादत को अपमानित करते हुए सेक्युलरिस्टों ने भगवा आतंक का हौवा खड़ा कर दिया। मुंबई हमलों के ठीक बाद महाराष्टï्र पुलिस के एक मुस्लिम अधिकारी ने एक पुस्तक लिखी हू किल्ड करकरे? इसमें वही मालेगांव विस्फोट के बाद हिंदुओं की गिरफ्तारी और उसकी प्रतिक्रिया का सिद्घांत उछाला गया। यह पुस्तक सेक्यूलरिस्टों के लिए जल्दी ही एक पवित्र ग्रंथ ने आज भगवा आतंक का सच खोला है किंतु क्या यह महज संयोग है कि मुंबई हमलों के तुरंत बाद ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एआर अंतुले ने एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत के लिए मालेगांव बम विस्फोट के आरोपियों को ही जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की थी? इससे पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद पवार ने मालेगांव विस्फोट के संदर्भ में कहा था, मुसलमानों को आतंकवादी कहकर निशाना बनाया जा रहा है, जबकि हिंदू आतंकवादी समूहों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हो रही है। जांच प्रक्रिया आरंभ होने से पूर्व ही शरद पवार किस तरह से आश्वस्त थे कि मालेगांव में हुए बम विस्फोट के लिए हिंदू संगठन ही जिम्मेदार है?
एक स्वनामधन्य जिहादी कलमकार ने श्रंखलाबद्घ लेख लिखकर संघ और हिंदू संगठनों को कठघरे में खड़ा किया। लेखक के अनुसार भारत में होने वाले सभी दहशतगर्दना हमले संघ और मोसाद की मिली भगत से हुए करकरे यही सच सामने लाने वाले थे इसलिए उनकी हत्या कर दी गयी। इन लेखों को बाद में पुस्तका कार रूप में आरएसएस की साजिश 26/11 नाम से प्रकाशित किया गया, जिसके विमोचन समारोह में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और राज्यसभा के उपसभापति रहमान खान विशेष अतिथि थे। इस पुस्तक में 26 नवंबर की घटना के दोषी कसाव व पाकिस्तान को दोषमुक्त करते हुए भारत की जांच एजेंसियों हिंदू संगठनों और अमेरिका और इजराइली जासूसी संस्थाओं को कसूवरवार बताया गया। लेखक के अनुसार इंडियन मुजाहिद्दीन संघ द्वारा खड़ा किया संगठन है। वह इसे बजरंग दल का कोड नाम बताते हैं। दिग्विजय सिंह ने तो यहां तक कहा था कि करकरे ने उन्हें फोन कर हिंदूवादी संगठनों पर अपनी हत्या किये जाने का अंदेशा व्यक्त किया थ। हिंदुओं और इसदेश की सनातन बहुलतावादी संस्कृति के प्रति यह दुराग्रह क्यों? जब आतंकवादी घटनाएं शुरू हुई तो सेक्यूलरिस्टों ने इसके लिए विवादित ढांचा ध्वंस और उसके बाद गुजरात दंगों को उसका कारण बताया। यदि अयोध्या में एक विवादस्पद ढांचे के गिरने से कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जिहादी इस्लाम का जन्म हो सकता है तो पाकिस्तान और बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर मंदिरों को जमींदोज किये जाने की कैसी प्रतिक्रिया होनी चाहिए थी? अन्य देशों की चर्चा छोड़े, जम्मू कश्मीर में ढहाए गये मंदिरों या कश्मीरी पंडितों के बलात निर्वासन पर क्या हिंदू समाज की ओर से कहीं कोई हिंसक प्रतिक्रिया दर्ज की गयी? यदि सेक्यूलरिस्टों के कुतर्क को स्वीकार भी ले तो अफगानिस्तान पाकिस्तान जैसे कई अन्य मुस्लिम देशों में आतंकवादी घटनाएं क्यों हो रही हैं? केरल में भाजपा का एक भी सांसद विधायक नही है, किंतु आज केरल जिहादियों को गढ़ क्यों बन गया है? सेक्यूलरिस्टों के पास इन सवालों को कोई उत्तर नही है।
देश में प्रजातंत्र और पंथनिरपेक्षता यदि आज जिंदा है तो उसका श्रेय कालजयी सनातनी संस्कृति और बहुलतावादी दर्शन को है। इसी दर्शन के कारण हिंदुस्तव ने इस्लाम, ईसाइयत, पारसी, यहूदी बौद्घ जैन आदि नाना मतों का खुले दिल से स्वागत किया। यहां मुसलमानों को भी बहुसंख्यकों के बराबर वैधानिक अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है। इसके विपरीत आज पाकिस्तान और बांग्लादेश में गैर मुसलमानों का शरीयत का पहरा है और उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है। भारत को हजार घाव देकर उसे टुकड़ों में बांटना पाकिस्तान का पोषित एजेंडा भले हो, किंतु यह भी सच है कि उसे इस काम में सफलता भारत के सेक्यूलरिस्टों की कुत्सित नीतियों के कारण ही मिल पा रही है। यह स्थापित सत्य है कि भारत में इस्लामी आतंकवादी हमलों का जनक मूलत: पाकिस्तान है। अपने इस खूनी एजेंडे को मूर्त रूप देने के लिए स्वाभाविक रूप से उसको स्थानीय सहायता की आवश्यकता पड़ती है। यह सहायता से बौद्घिक और साजिश को अंजाम देने वाले हाथों के रूप में चाहिए। जुंदाल के खुलासे से सामने आया सच आतंकियों के साथ सेक्यूलरिस्टों की इसी जुगलबंदी का खुलासा करता है। (साभार)

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