लिमटी खरे
इधर, कोरोना कोविड 19 वायरस का संक्रमण पैर पसार रहा है, वहीं दूसरी ओर सियासी नेताओं
के द्वारा जिस तरह से बयानबाजी की जा रही है वह दुर्भाग्यपूर्ण मानी जा सकती है। देखा जाए
तो यह समय बयानबाजी का नहीं, वरन सभी साथ मिलकर एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर
चलें, इसका है।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया बार बार इस बात की अपील कर रही है कि केंद्र सरकार या
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कोविड 19 की रोकथाम के लिए पहले कदम क्यों नहीं उठाए
गए, पर बाद में भी हिसाब किताब हो सकता है। संसद का सत्र आगे भी चलेगा, तब इस बात को
वजनदारी के साथ उठाया जा सकता है, यह माकूल समय नहीं है इस तरह के आरोप प्रत्यारोपों
का।
नई दिल्ली में तबलीगी जमात में शामिल बहुत सारे लोगों को कोरोना पाजिटिव पाए जाने के
बाद नेताओ के द्वारा इसे साांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी निंदा भर
करने से काम नहीं चलने वाला। इस पर सियासी दलों के मुखियाओं को कड़ाई से पहल करने
की आवश्यकता है।
सियासत में किस कदर गंदगी पसर गई है इसका एक उदहारण हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री
अनिज बिज के उस बयान से मिलता है जिसमें उन्होंने कहा है कि इटली में लोग ताली बजा
रहे हैं, मोमबत्तियां जला रहे हैं इससे देश की एकता प्रदर्शित हो रही है और इटली वाली के बच्चे
इसका विरोध कर रहे हैं। इस तरह की बयानबाजी को शायद ही कोई बर्दाश्त करे। इस पर
तत्काल रोक लगाई जाने की महती जरूरत है।
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व की तारीफ करना होगा, क्योंकि भाजपा के अध्यक्ष के द्वारा दो
टूक शब्दों में अपने नेताओं को यह हिदायत दी गई है कि वे कोरोना महामारी को लेकर इस
तरह के बयान कतई जारी न करें कि इसे सांप्रदायिक रंग में रंगा जा सके। उन्होंने इस तरह के
- बयानों से समाज के विभाजित होने की आशंकाएं बढ़ने की बात भी कही है। जेपी नड्डा का यह
कदम सराहनीय माना जा सकता है।
इतना ही नहीं दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकारों के बीच भी आरोप प्रत्यारोपों के दौर चलते रहे।
प्रधानमंत्री के द्वारा इस संकट की घड़ी में देश एकजुट है इस बात को सांकेतिक रूप से प्रदर्शित
करने की पहल में भी सियासी नेताओं के द्वारा अगर राजनैतिक आशय ढूंढें जाएं तो इसे
दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जाएगा।
इस तरह के सियासी तीर चलाने वालों को यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के
द्वारा जो आव्हान अब तक किए गए हैं, वे आव्हान किसी दल के नेता के बतौर नहीं, वरन देश
के अभिभावक के रूप में किए गए थे। देश के वर्तमान हालातों को देखते हुए इसी सकारात्मक
दृष्टिकोण में प्रधानमंत्री की अपील को लिया जाना चाहिए।
वर्तमान में देश संकट के क्षणों से जूझ रहा है। अभी समय इस बात का है कि सियासी नेता
आपसी मतभेदों को किनारे रखते हुए एकजुटता का प्रदर्शन करें। आज समय की जरूरत यह है
कि पहले देश को बचाया जाए, देश के निवासियों को इस संकट से कैसे बचाया जाए, इस बारे में
विचार किया जाए, सियासत तो बाद में भी होती रहेगी।
आप अपने घरों में रहें, घरों से बाहर न निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को
बरकरार रखें, शासन, प्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर
पर ही रहें।