‘इंसान और मुसलमान दोनों अलग-अलग’ – ऐसी सोच दुनिया के लिए खतरे की घंटी : एसडी विजयन



नई दिल्ली । ( सत्यजीत कुमार ) वसीम रिजवी शिया नेता ने कोरोना जिहाद के मुद्दे पर टीवी पर चर्चा में स्पष्ट कहा कि ये मुसलमान ही हैं जो सोचते हैं कि वो सारी दुनिया पर राज करेंगे, इसलिये कुछ मुस्लिम कुर्बान भी हो जायेंगे तो बाकी मुसलमानों का राज तो होगा, इसलिये वो इंसानों को मारने में लगे रहतें हैं । यहां ये पूरी तरह उस बात से सहमत नजर आतें हैं जो मैने उनकी गतिविधियों के आधार पर विश्लेषण किया, ये मेरे अपने विचार नही है, जो भी मुस्लिम विद्वान, मौलाना, आंतकी या कट्टरपंथी दिन रात मनुष्यों के विरोध में कहते और करते हैं, मात्र उसका संकलन व आकलन है। यह मानना है अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव एसडी विजयन का।
वह कहते हैं कि ” इंसान व मुसलमान ” ये शब्द एक जिम्मेदार मुस्लिम नेता वसीम रिजवी के हैं। जब तक मनुष्य समस्या के मूल को नही समझेंगे, ऐसे ही नष्ट होते रहेंगे, विश्व दो वर्गों में विभाजित है, मनुष्य व मुसलमान, मुस्लिम धर्मगुरु, कट्टरपंथी, आतंकवादी दिन रात अपने विचारों से, आचरण से, आतंक से मनषयों को बार बार लगातार नये – नये तरीकों से समझा रहे हैं कि उन्हें मनुष्यों के अस्तित्व से परेशानी है और वे उनको मिटाने या अपने जैसा बनाने में लगे हैं, पर मनुष्य हैं कि मानते ही नही, मुस्लिम शरणार्थी मुस्लिम देशों में मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित हो । किसी मुस्लिम देश मे नही जाते हैं न उन्हें कोई शरण देने के लिये आमंत्रित करता है, वे गैर मुस्लिम देशों में जाते हैं, सुरक्षा व जीवन की सभी सुविधाएं, सब पाते हैं , फिर अपने ही अभयदान देने वालों को प्रताड़ित करते हैं, उन्ही विचारों व मान्यताओं को लागू करने के लिये हिंसा करते हैं । जिनके कारण उनका परिवार नष्ट हुआ , वे बेघर हुये, देश छूटा , पर वे फिर से उन्ही स्थितियों का निर्माण करना चाहते हैं । क्योंकि वे मनुष्य वाली सभ्यता व विचार को नही अपना सकते, विकल्प नही है उनके पास ।
ऐसा नहीं है कि इस्लाम धर्म को मानने वालों में अच्छे लोग नहीं हैं , अच्छे लोग हैं , परंतु वहां पर मजहब के ठेकेदार लोगों को भ्रमित करते हैं और इस्लाम के नाम पर बरगलाते हुए उनका दुरुपयोग करते पाए जाते हैं। जो अतिवादी मुस्लिम नही है, वो मनुष्यों को ही समझाने में लगा रहता है, कि उन्हें गलत मत समझो, नासमझ है, गरीब हैं, अशिक्षित हैं, शोषित हैं, इसमे धर्म का कोई कुसूर नही, इस्लाम के बारे में गलत मत सोचो, ये तो शांति का धर्म है, और मनुष्य को लगता हैं, ओहो बेचारे , वो उनकी स्थिति का जिम्मेवार खुद को मामने लगता है और इनके जेहादी अपना अगला शिकार ढूंढने निकल पड़ते हैं।
इनमे एक वर्ग मुस्लिम लगातार युद्ध की स्थिति में है, वो युद्ध लड़ रहा है और जो गैर मुस्लिम है वो इन्हें भटके हुये मानकर सन्तुष्ट रहता है । इनके कृत्य को सामान्य मानवीय अपराध मानकर कानून व्यवस्था से इनका निराकरण चाहता है ।
उन्होंने कहा कि इस समय देश, समाज व संसार के लिए किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर इंसानियत की खिदमत करने का समय है । अपने आपको शांति का धर्म बताने वाले लोगों को इस क्षेत्र में निश्चित रूप से आगे आना चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी के इस नारे के साथ सहमति व्यक्त करनी चाहिए कि जान है कि जान भी और जहान भी।
इस समय सभी मनुष्यों को समान समझकर सबके भले के लिए लोगों को आगे आना चाहिए और उसमें इस्लाम को भी अपनी उपस्थिति दर्ज करनी चाहिए । देश की सामाजिक व्यवस्था व मानवीय कानून या नियमों से अपने को पालित व संचालित करते हुए अपने खुदाई कानून पीछे रखने का समय है । मानवीय संवेदनाओं से परे जाकर किसी भी प्रकार की गतिविधियों में संदीप तो होना अपने आप को विश्व की मुख्यधारा से अलग करना होगा। इंसानियत जीते और हैवानियत हारे इसके लिए इस्लाम के संवेदनशील और शिक्षित लोगों को इस समय इस्लाम का नेतृत्व अपने हाथों में लेना चाहिए।

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