अरविंद छाबड़ा
ओम जय जगदीश हरे। ये आरती उत्तर भारत में वर्षों से करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को स्वर देती रही हैए लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके रचयिता पर ब्रितानी सरकार के खिलाफ प्रचार करने के आरोप भी लगे थे। पंजाब के छोटे से शहर फि ल्लौर के रहने वाले श्रद्धा राम फि ल्लौरी ने इस आरती को शब्द दिए थे। 30 सितंबर को उनकी 175वीं वर्षगांठ है।
30 सितंबर को श्रद्धा राम फि ल्लौरी की 175वीं वर्षगांठ है। जिसने इस लोकप्रिय आरती की रचना की। आरती में शामिल पंक्ति . श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा में श्रद्धा शब्द जहां धार्मिक श्रद्धा बढ़ाने को कहता है वहीं ये संभवत: इसके रचयिता की तरफ भी इशारा करता है फि ल्लौरी का हिंदी साहित्य में भी अहम योगदान रहा है कुछ विद्वान 1888 में आए उनके उपन्यास शौभाग्यवती को हिंदी का पहला उपन्यास मानते हैं।
30 सितंबर को श्रद्धा राम फि ल्लौरी की 175वीं वर्षगांठ है
फि ल्लौरी के शहर और आसपास के अधिकतर लोग उनके नाम से परिचित हैं शहर के बस अड्डे पर उनकी मूर्ति लगाई गई है दरअसल यहां के लोगों में भी कुछ साल पहले ही उन्हें लेकर जागरुकता बढ़ी है श्रद्धा राम ट्रस्ट चलाने वाले अजय शर्मा कहते हैं लगभग 20 साल तक ये मूर्ति नगर परिषद के दफ्तर में पड़ी रही फि र साल 1995 में बेअंत सिंह सरकार ने इसे बाहर निकाला और इसे लगाया गया। वे बताते हैं शहर साल उनके जन्म दिवस पर यहां एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें श्रद्धा राम को श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके बारे में जानकारी साझा की जाती है इस बार 175वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम कुछ बड़ा आयोजन होगा। श्रद्धा राम फि ल्लौरी का जन्म 1837 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके शहर के लोग बताते हैं कि जब वे महाभारत की कथा सुनाते थे तो सुनने के लिए काफी लोग जुटा करते थे। लगभग 20 साल तक यह मूर्ति नगर परिषद के दफ्तर में पड़ी रही। फि र साल 1995 में बेअंत सिंह सरकार ने इसे बाहर निकाला और इसे लगाया गया। अजय शर्मा श्रद्धा राम ट्रस्टण् उन पर 1865 में ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ प्रचार करने के आरोप लगे और उन्हें शहर से निकाल दिया गया था। उन्होंने कुछ समय तक शहर से बाहर जा कर काम किया और फिर वापस अपने घर आ गए। 43 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया। यहां के लोग श्रद्धा राम को पंडित जी कह कर याद करते हैं वे बताते हैं कि श्रद्धा राम ने अपने ज़माने में भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराईयों के खिलाफ अभियान चलाया थाण् शर्मा कहते हैं कि अब उनके बारे में जानकारी बढऩे लगी है और कुछ लोग उन पर अध्ययन भी करना चाहते हैं।
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