इन्हें भला इलाज की क्या जरूरत है , गोली मार देनी चाहिए : राज ठाकरे , महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने तबलीगी जमात के लोगों की उद्दंडता पर सख्त कार्यवाही की माँग की है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते क्वारन्टाइन किए गए लोगों द्वारा नर्सों और दूसरे मेडिकल स्टॉफ के साथ जारी अभद्र व्यवहार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे लोगों को गोली मार देनी चाहिए।
राज ठाकरे ने ऐसे लोगों को दिए जा रहे उपचार पर सवाल करते हुए कहा, “इस तरह के लोगों का इलाज करने की जरूरत ही क्या है? इन्हें बुरी तरह पीटते हुए विडियो बना कर उसे वायरल कर देना चाहिए। जिससे लोगों में सरकार के प्रति कुछ भरोसा पैदा हो।”
जिस तरह तबलीगी जमात के लोग परहेजी खाने की बजाए बिरयानी और एग करी की मांग, नर्सों के सामने निर्वस्त्र होने से चहुँ ओर तबलीगी जमात की आलोचना हो रही है।
प्रधानमंत्री मोदी के 5 अप्रैल को 9 बजे 9 मिनट के लिए घरों की लाइट बंद कर, दीया/मोमबत्ती/मोबाइल फोन टॉर्च जला, कोरोना के खिलाफ देश की संयुक्त पहल दर्शाने की अपील पर राज ठाकरे ने कहा कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री कोरोना के संदर्भ में देश की वर्तमान स्थिति और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश कहाँ खड़ा है, इस पर कोई बात कहते।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, “दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज में यह तबलीगी जमात वाली मीटिंग लॉकडाउन के वक्त हुई। जमात के इस जमावड़े से कोरोना से जंग को नुकसान पहुँचा। ऐसे लोगों को तो गोली मारकर खत्म कर देना चाहिए। उन्हें भला इलाज की क्या जरूरत? एक अलग कानून बनाकर उन लोगों का इलाज रोक देना चाहिए। यदि वे सोचते हैं कि उनका धर्म देश से बड़ा है और वे कुछ साजिश कर रहे हैं… वे लोगों पर थूक रहे हैं… वे नर्सों से अभद्रता कर रहे हैं… तो उन्हें सबक सिखाने की जरूरत है।”
राज ठाकरे ने मीडिया से बात करते आगे कहा कि यह समय एक दूसरे पर दोषारोपण का नहीं है। न ही ये समय धर्म की बात करने का है। लेकिन मुस्लिम समुदाय के भीतर मौजूद कुछ सेक्शन जिस तरह की बात कर रहे हैं, वो पिटाई माँगते हैं। ठाकरे ने कहा, “उन्हें याद रखना चाहिए कि लॉकडाउन केवल कुछ दिनों के लिए है और उसके बाद हम उनके पीछे होंगे।” ठाकरे ने उन मौलवियों के भी लापता हो जाने की बात कही जो चुनाव के समय तो अपने लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करते खूब दिखते हैं, किन्तु आज अपने लोगों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने की जगह गायब हो रखे हैं।
मुख्य संपादक, उगता भारत