अजय कुमार
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साधुवाद देना ही पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू देशवासियों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है तो यूपी वालों को मोदी के साथ−साथ योगी का करिश्मा रास आ रहा है। योगी हर तरफ ध्यान दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह से प्रदेश को कोरोना से बचाने के लिए जद्दोजद हर रहे हैं वह न केवल प्रशंसनीय है बल्कि ऐसे प्रयास किए जाने जरूरी भी थे। योगी ने कोरोना के खिलाफ जो ‘युद्ध’ छेड़ रखा है, उसमें थोड़−बहुत चूक जरूर नजर आ सकती है, लेकिन योगी के प्रयास पूरी ईमानदारी से जारी हैं। अगर कहीं कोई कमी नजर आ रही है तो इसके लिए योगी सरकार से अधिक यहां की जनता कसूरवार है, जो घर में रूकने को तैयार ही नहीं है। बेवजह सड़क पर झुंड बनाकर खड़े और टहलने वाले लोग पूरे प्रदेश और समाज के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। सबसे दुख की बात यह है कि ऐसे लोगों को अगर पुलिस रोकती है तो यह उससे भी उलझ जाते हैं। कहीं−कहीं तो पुलिस पर हमलावर भी हो रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर में कुछ लोगों को पुलिस की घरों में रहने की नसीहत इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। इस हमले में एक सब इंस्पेक्टर और एक कॉन्स्टेबल घायल हो गए हैं। यह घटना मुजफ्फरनगर के मोरना इलाके में हुई, जहां कुछ लोग लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि इस हमले में एक सब इंस्पेक्टर और एक कॉन्स्टेबल घायल हो गए हैं।
यूपी के सहारनपुर में तो नमाज पढ़ने को लेकर मस्जिद के बाहर इकट्ठा भीड़ को हटाने और छह लोगों को हिरासत में लेने पर लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया। भीड़ ने लाठी−डंडों से हमला कर पकड़े गए लोगों को छुड़वा लिया। इस दौरान दो सिपाही भी चोटिल हो गए। इसी प्रकार से रामपुर के टांडा में गत दिवस उप जिलाधिकारी गौरव कुमार, तहसीलदार महेंद्र बहादुर सिंह, जब कोतवाली निरीक्षण दुर्गा सिंह नगर के मोहल्ला मियां वाली मस्जिद के पीछे लॉक डाउन का पालन कराने के लिए माइक से एनाउंस कर रहे थे। इतने में उन्होंने गली में कुछ युवाओं को बेवजह खड़े हुए देखा। उन्हें टोकते हुए घर के अंदर जाने को कहा। इतने में एक छत से लोगों ने अधिकारियों पर पथराव कर दिया। यह घटनाएं तो बानगी भर हैं। इस तरह की कई घटनाएं सामने आ रही हैं।
बात हमले तक ही सीमित नहीं है। तमाम लोग अंधविश्वास आौर अज्ञानता के चलते कोरोना वायरस की गंभीरता को ही नहीं समझ रहे हैं। न तो यह लोग सोशल डिस्टेंस बना रहे हैं और न ही कोरोना से बचाव के लिए सरकार से जारी अन्य जरूरी निर्देशों का पालन कर रहे हैं। कुछ मौलानाओं द्वारा तो मुसलमानों को भड़काने का काम भी किया जा रहा है। कहा यह जा रहा है कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। सरकार जानबूझ कर कोरोना का डर लोगों में बैठा रही है। ऐसे समय में जब कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी धार्मिक स्थलों को बंद करा दिया गया है तब किसी धार्मिक स्थल या उसके आसपास लोग चोरी−छिपे जमा रहें तो चिंता होना लाजिमी है।
यह बहुत दुखद है कि कोरोना वायरस से जंग के तहत देशव्यापी लॉकडाउन के लिए सबसे बड़ा खतरा देश के विभिन्न इलाकों में स्थित मस्जिदों−मदरसों में छिपे कोरोना पीड़ित साबित हो रहे हैं, जो यह मानने को तैयार ही नहीं हैं कि कोरोना मुसलमानों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यूपी से सटी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर देवबंद तक में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां कोरोना प्रभावित देशों से आए मुस्लिम प्रचारक रह रहे हैं, जिनके बारे में प्रशासन को कतई कोई सूचना नहीं है, इसी कड़ी में एशिया के सबसे बड़े मदरसे दारुल उलूम देवबंद के भी ढेरों छात्र निगरानी में हैं, ये सभी छात्र मलेशिया−इंडोनेशिया से आए तबलीगी जमात के 40 प्रचारकों के संपर्क में आए थे। इसी वजह से एक बड़ा संदेह अब यह उभर रहा है कि क्या कोरोना वायरस का संक्रमण मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान देवबंद तक पहुंच गया है ? यह सवाल इसलिए क्योंकि एशिया के सबसे बड़े मदरसे के रूप में पहचान रखने वाले दारुल उलूम देवबंद के बहुत से छात्र भी निगरानी में हैं। ये लोग तबलीगी जमात के प्रचारकों के संपर्क में आए थे। देशभर के करीब 500 से अधिक लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के संदेह में निगरानी में रखा गया है। निगरानी के दायरे में आए लोग 2 मार्च से 20 मार्च के बीच मलेशिया और इंडोनेशिया से आने वाले 40 इस्लामिक उपदेशकों के एक समूह के सम्पर्क में आए थे। इनमें से अधिकतर ऐसे परिवार और स्टूडेंट्स हैं जो देवबंद के मशहूर मदरसे में पढ़ते हैं और उसके पास की मोहम्मदी मस्जिद के आसपास रहते हैं। माना जा रहा है कि इस्लामिक उपदेशकों के इस ग्रुप ने 9 मार्च और 11 मार्च के बीच देवबंद की यात्रा की थी।
इसी प्रकार गत दिनों उत्तर प्रदेश की संगमनगरी प्रयागराज के पुराने शहर के शाहगंज थाना अंतर्गत अब्दुल्ला मस्जिद के पास स्थित मुसाफिर खाने में छिपे सात इंडोनेशियाई नागरिकों समेत नौ लोगों को पुलिस ने पकड़ा था। पूछताछ में पता चला कि पकड़े गए सभी लोग दिल्ली स्थित निजामुद्दीन की तबलीगी जमात में शामिल हुए थे। जिनके कोरोना वायरस संक्रमित होने की आशंका है। आनन−फानन में वरिष्ठ अधिकारियों समेत भारी संख्या में फोर्स मौके पर पहुंच गई और मुसाफिर खाने में रह रहे कुल 37 लोगों को क्वरैंटाइन कर दिया गया।
बहरहाल, योगी आदित्यनाथ को साधुवाद देना ही पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू देशवासियों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है तो यूपी वालों को मोदी के साथ−साथ योगी का करिश्मा रास आ रहा है। योगी हर तरफ ध्यान दे रहे हैं। गरीबों को फ्री राशन, मनरेगा के करीब 28 लाख मजदूरों के खाते में 611 करोड़ रुपए ट्रांसफर, नोएडा में कोरोना के मामले में लापरवाही बरतने वाले जिलाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई करके ब्यूरोक्रेसी को सख्त मैसेज देना, दूसरे राज्यों से आकर यहां काम करने वाले मजदूरों का पूरा ध्यान रखना और अन्य राज्यों में फंसे यूपी के लोगों के संबंध में वहां के मुख्यमंत्रियों से बात करके उनके खाने−पीने, रहने की व्यवस्था करना जैसे कदम उठाकर योगी अपनी जिम्मदारियों का पूरी तरह से निर्वहन कर रहे हैं। इसी प्रकार योगी ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आने की भी पुलिस को पूरी छूट दे रखी है।