पर्यावरण संरक्षण में पंचायतों की भूमिका
डॉ संजीव कुमारी गुर्जर
भारत गांव का देश है । गांव में ग्राम पंचायतों का राज है। पंचो को गांव में परमेश्वर माना जाता है। पंचायतें पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। जिससे हम अपनी धरती मां को प्रदूषण से बचा सकते हैं। पंचायतें निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
१. सामान्य फसलों के अलावा शामलात भूमि में कृषि वानिकी अपनाई जानी चाहिए इससे पानी का भी संरक्षण होगा भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहेगी और लंबे समय तक पंचायत की आमदनी का स्त्रोत बनेगा। शामलात भूमि में कृषि वानिकी कृषि वानिकी की तरफ ध्यान देने से उस भूमि का सदुपयोग होगा और पंचायत की आमदनी भी बढ़ेगी।
२. पंचायत द्वारा यह व्यवस्था की जानी चाहिए कि गांव के तालाब झील कुएं आदि में किसी प्रकार की गंदगी ने डाली जाए जिससे इनमें उपलब्ध सारा पानी उपयोग में लाया जा सके एवं पानी प्रदूषित ना हो।
३. वर्षा साफ जल का एक अच्छा स्रोत है वर्षा के पानी का संचय करने के तरीके अपनाए जाने चाहिए जल संचय पंचायत की भूमि में भी किया जा सकता है।
४. सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न विभागों जैसे कृषि बागवानी वाणी की महिला एवं बाल कल्याण पंचायती राज आदि की योजनाओं को पूर्णता लागू किया जाना चाहिए ताकि सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाएं लोगों तक पहुंच सके तथा पंचायत पर्यावरण को बचाने में अपनी भूमिका निभा सकें।
५ ग्रामीण परिवेश में पशु पालन आम जिंदगी का हिस्सा है पशुओं का गोबर आज इधर-उधर पड़ा रहता है तथा प्रदूषण का कारण बनता है पंचायत स्तर पर गोबर बैंक बनाया जाए और सामुदायिक बायोगैस संयंत्र का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीणों को साफ एवं स्वच्छ ऊर्जा मिल सके।
६. इंधन के लिए आमतौर पर पेड़ों को काटा जाता है पंचायत इस प्रकार की व्यवस्था करें कि पेड़ों की केवल सूखी हुई टहनियों को ही इंधन के लिए तोड़ा जाए
७. जैविक खेती पर जोर दिया जाना चाहिए पंचायतें पंचायतों की भूमि पर जैविक खेती की जानी चाहिए जिससे पंचायती भूमि में सुधार होगा ।
८. गांव में जगह-जगह लगे गोबर के ढेर एवं कुरड़ियों को 40 45 दिन में तैयार होने वाले सफल कंपोस्ट में बदलना चाहिए।
९. किसान धान एवं गेहूं के फानों को जला देते हैं जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति नष्ट होती है तथा वायु प्रदूषण होता है पंचायत को अपने स्तर पर किसानों को इसके नुकसान के बारे में समझाना चाहिए तथा ना मानने पर जुर्माना भी लगाना चाहिए १०. ऊर्जा संरक्षण का महत्व समझते हुए पंचायत को अक्षय ऊर्जा के प्रयोग पर बल देना चाहिए सरकार द्वारा अक्षय ऊर्जा के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के बारे में जागरूकता का प्रसार करते हुए उन्हें लागू किया जाना चाहिए।
११. पौधे हमारे जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं यह जनता को समझाते हुए अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए पौधे हमें प्राणवायु यानी ऑक्सीजन देते हैं तथा वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड गैस लेते हैं।
१२. ग्लोबल वार्मिंग आज एक बहुत बड़ी समस्या है धरती का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है जिसका बुरा असर कृषि व पर्यावरण पर पड़ रहा है उसको कम करने में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी के लिए पंचायतों को चाहिए कि वे ग्रामीणों को जागरूक करें ।
१३.भूमि संरक्षण एवं भूमि स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र में रसायनों का न्यूनतम प्रयोग करने पर बल दिया जाना चाहिए।
१४. साफ सफाई एवं स्वच्छता से हमारे जीवन में क्या-क्या फायदे हैं इसके बारे में प्रकाश डालते हुए जल के सदुपयोग एवं कूड़े कचरे के प्रबंधन द्वारा स्वच्छता पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
१५. महिलाएं सारे घर की जिम्मेदारी उठाती हैं उन्हें पर्यावरण संरक्षण में खासतौर पर भागीदार बनाया जाना चाहिए महिलाएं ज्यादा संवेदनशील है इसीलिए वह अच्छी तरह से पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी निभाएंगी।
१६. पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों को पंचायत एवं सरकार की तरफ से प्रशंसा पत्र या अवार्ड देकर सम्मानित किया जाना चाहिए इस तरह हौसला बढ़ाने से समाज के दूसरे लोग भी आगे आएंगे।
१७.आज सारा विश्व पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंतित है इसके लिए समय-समय पर विभिन्न विभागों से मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए ताकि लोग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भलीभांति समझे और इसके संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाएं।
इस प्रकार पंचायत द्वारा उठाए गए कदमों से हम समूचे भारत की तस्वीर बदल सकते हैं और अपने पर्यावरण एवं धरती को बचा सकते हैं पर्यावरण संरक्षण में पंचायतों की भूमिका के महत्व को लेकर निम्नांकित नारा अत्यंत सटीक है:
पंचायत के साथ-साथ हमारी भी है जिम्मेदारी निभानी होगी पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी
मुख्य संपादक, उगता भारत