पाकिस्तान में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 1500 के पार पहुँच गई है। 12 लोगों की मौत भी हो चुकी है। स्थिति भयावह है, क्योंकि अस्पतालों में समुचित व्यवस्था नहीं है। लोगों की स्क्रीनिंग की भी सुविधा काफ़ी कम है। वहाँ की सरकार ने अर्थव्यवस्था के गिरने के डर से लॉकडाउन जैसे बचाव के उपायों की घोषणा करने में भी कोताही दिखाई है। मीडिया के अनुसार, पाकिस्तान में कोरोना वायरस के शुरुआती मामले ईरान से लौटे उन मजहबी तीर्थयात्रियों के हैं, जो तफ्तान सीमा से होकर देश में घुसे। ये सभी शिया मुस्लिम थे, जो ईरान गए थे।
इन इस्लामी तीर्थयात्रियों में से अधिकतर 15 मार्च को वापस लौटे और उसके बाद से ही पाकिस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा होना शुरू हो गया। इसके बाद कुछ पाकिस्तानी तुरंत ट्विटर पर गए और उन्होंने शिया मुस्लिमों को खरी-खोटी सुनानी शुरू कर दी। प्रोफेसर खालिद शेख ने लिखा कि कोरोना वायरस का प्रकोप ख़त्म होने तक देश भर में शिया समुदाय को किसी भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने इसे शर्म की बात बताते हुए दावा किया कि शिया समुदाय ही ईरान से कोरोना वायरस पाकिस्तान लाया है।
कुछ पाकिस्तानियों ने तो चीन को क्लीनचिट देते हुए दावा किया कि उससे ज्यादा तो कोरोना को फैलाने के लिए शिया मुस्लिम जिम्मेदार हैं। सैयद अज़ीम ने लिखा कि इसे ‘चाइनीज वायरस’ कहने की बजाय ‘शिया वायरस’ कहना चाहिए।
कुछ पाकिस्तानियों ने तो यहाँ तक आरोप लगाया कि शिया मुसलमानों ने जान-बूझकर कोरोना वायरस को फैलाया है। उन्होंने दावा किया कि शियाओं ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ईरान से वायरस लाकर यहाँ फैलाया। अन्य पाकिस्तानियों ने ईरान से लौटे शिया मुस्लिमों को देशद्रोही करार दिया। एक अन्य व्यक्ति ने माँग करते हुए कहा कि सभी शिया मुस्लिमों को गिरफ़्तार कर सज़ा देनी चाहिए और उन्हें क्वारंटाइन किया जाना चाहिए।
पाकिस्तान कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहा है, इसीलिए वह पूरे दक्षिण एशिया के लिए ख़तरा बन गया है। वहाँ मुल्ले-मौलवी अभी भी मजहबी कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं और उन्हें खुली छूट मिली हुई है। इसके उलट भारत में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है। यहाँ सभी प्रकार के धार्मिक व मजहबी कार्यक्रमों पर रोक लगी हुई है, ताकि भीड़ न जुटे।
मुख्य संपादक, उगता भारत