विश्व का सर्वाधिक बड़ा और संवेदनशील आर्थिक पैकेज

– मोदी 33 करोड़ परिवारों के सदस्य नहीं मुखिया बन गये हैं

प्रवीण गुगनानी

कोरोना वायरस संकट के कारण देश में लगाए गए 21 दिनों के लॉकडाउन को देखते हुए मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विश्व के सबसे बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा की। इसके साथ ही मोदी जी ने जी 20 देशों की बैठक आयोजित करने की पहल करके व विश्व का सबसे बड़ा लाक डाऊन करके विश्व समुदाय मे कोरोना के विरुद्ध स्वयं को अग्रणी पंक्ति मे खड़ा कर दिया है। इस अवसर पर एक बड़ी सुंदर कथा स्मरण हो आई। एक महाकंजूस गुजराती सेठ के घर एक बड़े उदार घर की लड़की बहू बनकर आई। इस नये घर की बात बात मे कंजूसी देखकर वह आधे सिर दर्द से बीमार लगी। कण भर अन्न या कण नमक भी भूमि पर गिर जाये तो सिर आसमान पे उठा लेने वाले सास ससुर से बहू की बीमारी बढ़ती जा रही थी। वैद्य को बुलाया गया। वैद्य ने कहा सेठजी बहू की सिर दर्द की बीमारी बड़ी गंभीर है इसकी दवाई हेतु मण भर (40किलो) मोती का चुरा बनाकर उसकी दवाई बनानी पड़ेगी। अब बहू का चेहरा फक्क पड़ गया उसे लगा कि नीचे गिरा हुआ कण भर नमक भी उठवाने वाला ससुर क्या मण भर सच्चे मोती के चूर की दवाई बनवाएगा?! पर पल भर मे बहू के सामने बड़ा ही चोंकाने वाला दृश्य आया, गुजराती सेठ उठा और तिजोरी से मण भर मोती की बोरी उठा लाया, बोला, लो वैद्य बनाओ बहू के लिए दवाई !! वैद्य के जाने के बाद आश्चर्य से भरी बहू ससुर के पास गई और पैर छूकर उससे पूछा, बाबूजी आप तो कण भर नमक नुकसान होने पर भी मुझे डांटते हो फिर ये मण भर मोती आपने मेरे ऊपर खर्च कर दिये!! ससुर बोला बेटा कण कण बचाया ही इसलिए था कि विपदा आने पर बच्चों पर मण भर मोती लूटाया जा सके। कहना न होगा कि यहां गुजराती सेठ हमारे प्रधानमंत्री मोदी के लिये ही कहा गया है जो कि घर परिवार को छोड़कर देश सेवा के लिये निकले संघ के एक प्रचारक हैं और बेहद सीमित व्यक्तिगत आवश्यकताओं वाले व्यक्ति हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित एक लाख सत्तर हजार करोड़ के आर्थिक पैकेज की भी यही स्थिति है। मोदी सरकार ने जनता पर अपना खजाना उदारता से खोल दिया है।

पूरे विश्व मे कोरोना के हाहाकार किंतु परस्पर समन्वय, संवाद के अभाव को भी मोदी ने ही समाप्त किया है। विगत चार माह से चल रहे कोरोना के प्रकोप के बाद भी वैश्विक स्तर पर कोई पहल नहीं तो सबसे प्रथम पहल नरेंद्र मोदी ने ही की। वैसे तो मोदी प्रत्येक संकट से कुछ न कुछ सीखते और अपने लिये नया मार्ग बनाते हैं किंतु कोरोना ने तो उनसे 135 करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री का पद छीन कर उन्हें देश भर के समस्त परिवारों का सदस्य नहीं बल्कि 33 करोड़ परिवार का मुखिया बना दिया है।

पहले नरेंद्र मोदी 19 मार्च को बड़े ही प्रेमल व भावूक स्तर पर 29 मिनिट के अपने उद्बोधन से देश से जुड़े और 24 घंटे लाकडाऊन का आग्रह रखा। विश्व यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि 136 करोड़ लोगों ने उनका आदेश वैसे ही माना जैसे घर मे पिता का आदेश चलता है। फिर यह क्रम 23 मार्च तक चला और इसके बाद मोदी जी ने अपने पुनः उद्बोधन मे देश की जनता से हाथ जोड़कर विनती की और 21 दिन के लाकडाऊन का वचन ले लिया।

आर्थिक पैकेज के अंतर्गत 80 करोड़ ग़रीबों को अगले तीन महीने तक मुफ़्त आटा या चावल और एक किलो दाल देने की घोषणा की गई है। ग़रीब महिलाओं को सिलेंडर भी मुफ़्त में मिलेगा। 1.70 लाख करोड़ रुपये के इस पैकेज से निर्धन वर्ग हेतु भोजन का प्रबंध भी किया जायेगा। 20 करोड़ जनधन खातों मे प्रतिमाह 500 रु॰ नगद, प्रवासी मज़दूरों व शहरी-ग्रामीण, भिखारियों की भूखा न रहने की चिंता, कोरोना के यौद्धा 20 लाख स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 50 लाख का इंश्योरेंस कवर, अन्न योजना मे 80 करोड़ निर्धनों को अगले तीन महीने तक पांच किलो चावल/गेहूं मुफ़्त, एक किग्रा दाल मुफ्त (पीडीएस के अतिरिक्त) रहेगा। यहां आप अस्सी करोड़ का आंकड़ा देखकर विस्मित तो अवश्य हुये होंगे क्योंकि इतना बड़ा निःशुल्क अन्न वितरण भी अपने आप मे विश्व का सबसे बड़ा व अनोखा – अनूठा सेवा प्रकल्प होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 130 करोड़ नागरिकों के अन्नदाता 8.70 लाख किसानों के खाते में 2000 रुपये हर महीने डाले जायेंगे। मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी है। वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए अतिरिक्त 1000 रुपये पेंशन के तौर पर दिए जाएंगे। सात करोड़ परिवारों की सदस्य संख्या वाले 63 लाख स्वयं सहायता समूहों को 10 लाख की जगह 20 लाख रुपये बिना गारंटी दिये जायेंगे। ऐसी और भी कितनी ही महत्वपूर्ण व संवेदनशील घोषणाएँ इस पैकेज मे सम्मिलित है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल देश मे सबसे बड़े वैश्विक आर्थिक पैकेज की घोषणा करते तक ही नही रुके, उन्होने कोरोना के विरुद्ध वैश्विक स्तर पर नेतृत्व की पहल करते हुये जी 20 देशों का वर्चुअल सम्मेलन बुलाने हेतु पहल व व्यवस्थाए की। मोदी द्वारा की इस पहल के कारण कोरोना की महा आपदा से संघर्ष कर रहे विकासशील देशों हेतु नई संभावनाएं विकसित हो रही है। मोदी जी ने आरंभिक संबोधन में कहा कि हमें इस वैश्विक महामारी की दृष्टि से प्रभावी और समन्वित कार्रवाई करनी होगी तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकासशील देशों का विश्वास बहाल करना होगा और बताया कि कोविड 19 के 90% मामले और 80% मृत्यु जी 20 देशों मे हुये हैं। इस आनलाइन मीटिंग मे सभी देशों ने कोरोना के विरुद्ध नरेंद्र मोदी के विषय मे यह धारणा बनी की वे ही वैश्विक स्तर पर कोरोना के विरुद्ध युद्ध का सफल नेतृत्व कर सकते हैं।

आइये सर्वे भवन्तु सुखिनः के हमारे प्राचीन सनातनी वाक्य का उद्घोष करते हुये हम इस आपदा की समाप्ति तक मोदी से वचनबद्ध हो जायें।

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