डा. नरेश कौशल
डायबिटीज मैडिकल आधार पर जीवनशैली से जुडा हुआ एक रोग है। जिसका अर्थ है कि यह हमारे जीने के ढंग तथा पोषक संतुलन, कसरत, तनाव से जुझने का हमारे सामथ्र्य तथा अन्य आदतों के बारे में हमारे विकल्पों से पैदा होता है। इसके बारे में सुनना थोड़ा डारावना हो सकता है परंतु अच्छी खबर यह है कि यदि आप अपनी डाइट तथा जीवन शैली में छोटे मोटे परिवर्तन कर लें तो आप डायबिटीज में सुधार ला सकते हैं। इस बात को सुनिश्चित बनाने के लिए आपके ब्लड शुगर का स्तर आपकी पूरी जिंदगी को नियंत्रित न कर ले, यहां कुछ व्यावहारिक टिप्स दिये जा रहे हैं
शुगर को कहें न
ब्लड शूगर व्यक्ति द्वारा खाए गये खाद्यों से सर्वाधिक प्रभावित होती है। सबसे स्पष्ट कारण उन खाद्यों का सेवन है जो ब्लड शूगर के स्तर को बढ़ा देते हैं। यदि आप ऐसे खाद्यों का सेवन करते हैं जो शूगर में परिवर्तित होने में समय लेते हैं तो आपका शरीर अपने इंसुलिन स्तर को बरकरार रखने में बेहतर ढंग से सक्षम होगा। जो खाद्य शरीर में शूगर को तेजी से परिवर्तित करते हैं उनमें सभी प्रकार के रिफाइंड खाद्य जैसे चावल का आटा, मक्की का आटा, मैदा तथा सूजी, रिफाइंड शुगर, डिब्बा बंद फ्रूट जूस, ब्रैड, नूडल्स, आलू अरारो, बिस्कुट, मीठे फल, बेकरी उत्पादत तथा रैडी टू-ईट आइटम आदि शामिल हैं।
फाईबर को कहे हां
डाइबिटीज व्यक्ति के लिए वे खाद्य सबसे बढिय़ा रहते हैं जो अपने प्राकृतिक रूप में ही फाइबर यानि रेशे से भरपूर होते हैं। इनमें दलिया, साबुन अनाज तथा दालें शामिल हैं। इसके अतिरिक्त हर प्रकार के रेशेदान दानेदार खाद्य खासकर ज्वार तथा बाजरा भी विशेष है। जिन लोगों को हाई ब्लड शुगर की समस्या है उन्हें पपीते जैसे फलों का सेवन कर लेना चाहिए। जबकि अन्य फलों का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। अधिक मीठे फल जैसे केला, चीकू तरबूज तथा अंगूरों से परहेज ही करना चाहिए। ओट ब्रान, व्हीट ब्रान तथा ईसबगोल डायबिटिक व्यक्ति के लिए बहुत बढिय़ा रहती है। जिन लोगों में शुगर की समस्या है उनके लिए हरी पत्तेदार सब्जियां विशेष तौर पर लाभदायक हैं। मेवों तथा तेल के बीजों में सर्वाधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जिनका कोई नुकसान नही होता। फ्लैक्स सीड्स ओमेगा एसिडस के बढिय़ा स्रोत हैं जबकि बादाम, पाइन नट्स, वाल नट्स, सूरजमुखी के बीज तथा कद्दू के बीज स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ साथ स्वादिष्ट भी होते हैं।
अध्ययनों से पता चला है कि डाइबिटिक लोगों को क्रोमियम की आवश्यकता होती है जो इंसुलिन के निर्माण के लिए अच्छा होता है। मेवे तथा बीज क्रोमियम का सर्वाधिक बढिय़ा स्रोत है।
फलों में सरप्राइज
पपीता डाइबिटिक के लिए सर्वाधिक सुरक्षित फल है।
विशेष खाद्यों को कहें हां
डायबिटीज हमारी चयाचय प्रणाली (मैटाबोलिक प्रोसैस) में पैदा हुए असंतुलन से जुड़ी स्थिति है इसलिए जिस हद तक संभव हो सके लिवर को ताकतवर बनाना बहुत जरूरी है। लिवर को डीटॉक्सीफाई करने तथा ताकतवर बनाने के लिए उन जड़ी बूटियों का सेवन करना चाहिए जो डीटॉक्सीफिकेशन के लिए बहुत बढिय़ा होती हैं जैसे एलोवेरा। प्रतिदिन आप पानी में मिलाकर 20 मि.ली एलोवेरा का सेवन कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त आप आंवला जेस भी पी सकती हैं। प्रतिदिन एक आंवले का सेवन करें या फिर सुबह के वक्त एक चम्मच आंवला जूस पानीमें मिलाकर पीएं। दालचीनी भी बहुत बढिय़ा है। दालचीनीकी एक छड़ को पीस कर पानी में तब तक उबालें जब तक पानी का रंग बदल न जाए। प्रतिदिन इस पानी के दो कप का सेवन करें।
अन्य जड़ी बूटियों में अदरक उन लोगों के लिए बहुत बढिय़ा है जिनमें अधेड़ अवस्था में डायबिटीज की समस्या होती है। दिन में दो बार अदरक के अर्क का सेवन करें। इसके अतिरिक्त त्रिफला का भी सेवन किया जा सकता है-हर रात एक त्रिफला के सेवन से पित्त दोष दूर होता है। जामुन के बीजों के पाऊडर का लगभग आधा चम्मच पानी के साथ सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है। करेले का कड़वा स्वाद सभी को अच्छा न लगता हो परंतु इसका ताजा जूस पानी में मिलाकर सेवन करने से शुगर के स्तर को संतुलित करने में बहुत लाभदायक साबित होता है।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात है कि शरीर को डीटॉक्स तथा क्लींज करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना। ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए 9 गिलास पानी का सेवन करें। इस बात यकीनी बनाएं कि इनमें से तीन गिलास गुनगुने पानी के हों और यह आपकी दूसरी डाइट तथा सप्लीमेंटस के अतिरिक्त हो। यह उन लोगों के लिए बहुत ही बढिय़ा है जो रोजाना शुगर से जूझते हैं, साथ ही उन लोगों के लिए भी जिनमें वजन की समस्या है।

मधुमेह रोगियों का दोस्त मथीदाना
मैथीदाना भारतीय रसोईयों में प्रयोग किया जाने वाला बहुत प्रचलित मसाला है। आयुर्वेद में भी इसके औषधीय उपयोगों का वर्णन मिलता है। इसका उपयोग सदी, खांसी व पेट दर्द के इलाज में किया जाता है। यह मधुमेह रोग से वत्त शर्करा के नियंत्रण में भी काफी कागर सिद्घ हुआ है।
मैथीदान का पौष्टिक मूल्य : 100 ग्राम मैथीदाने में 26.2 ग्राम प्रोटीन 5.8 ग्राम वसा व 44.1 ग्राम कार्बोहाइडे्रट पाया जाता है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण तत्व टायगोनेलीन नामक एल्केलाईड होता है। जोकि रक्त शर्करा को कम करने में सहायक है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूटीशन हैदराबाद में किये गये शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकाले गये हैं: मैथीदाना पाउडर को यदि मधुमेह से पीडि़त व्यक्ति के आहार में शामिल किया जाए तो रक्त शर्करा व मूत्र शर्करा को कम करता है। इसका यह प्रभाव इंसुलिन आधारित मधुमेह व इंसुलिन रहित मधुमेह दोनों में देखा गया है-मेथीदाना, मधुमेह रोगियों में ग्लेकोज की क्षमता को बढ़ाता है। मैथीदान सीरम कालेस्टाल व टाइग्लिसराइड को कम करता है। इसका यह प्रभाव में इसमें पाए जाने वाले घुलनशील फाईवर के कारण होता है।
मैथीदान का आहार में प्रयोग: मैथीदाना का आहार में कितनी मात्रा में उपयोग किया जाए, यह रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। सामान्यत: इसे 20-25 ग्राम तक रोज लिया जाता है। शुरूआत में 25 ग्राम मैथीदाना को दो बराबर भागों में बांट कर दोपहर व रात के भोजन में प्रयोग करें। मेथीदाने के कड़वेपन को निम्न प्रकार से प्रयोग करने पर कम किया जा सकता है: (1) मैथीदाने के पाउडर को चपाती, दाल एवं सब्जी में मिलाकर उपयोग में ला सकते हैं। 2. इडली, डोसा कड़ी व आचार में उपयोग में लाया जा सकता है। 3. सबसे आसान तरीका रात में भिगोकर सुबह प्रयोग करें। 4. इसे दही छाछ व मठा में मिलाकर लिया जा सकता है। मैथीदाना के प्रयोग में सावधानी : मधुमेह रोगियों को यह ध्यान रखने चाहिए कि यह एक सपोर्टिव थैरेपी है। इसके उपयोग के साथ ही मधुमेह के लिए चल रहे इलाज को भी चलने दें, मीठा न खांए।
कुछ लोग मैथीदाने को भिगोकर केवल उसका पानी भी पी लेते हैं, परंतु दानों को फेंक देते हैं। मैथीदाने को फैंकिए मत, बल्कि उन्हें भी खाइए मैथीदाना को रक्त शर्करा को कम करने का प्रभाव मेथी की हरी पंक्तियों में नही पाया जाता।

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