कोरोना की जांच में डब्ल्यूएचओ को शामिल नहीं करने पर क्या छुपा रहा है चीन ?
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
वर्ष 2020 की शुरुआत एक ऐसी त्रासदी से हुई है जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। चीन के वुहान से निकले नोवल कोरोना वायरस(corona virus) ने आज पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। चीन की मीडिया की माने तो उसने वुहान समेत अपने कई शहरों में तेजी से फैले कोरोना वायरस को काफी हद तक नियंत्रित कर लेने का दावा किया है, लेकिन दुनिया के कई देश इस बीमारी से निजात पाने के लिए युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।
अकेले इटली जैसे देश में सोमवार(मार्च 23) तक कुल 5,477 लोगों की इस वायरस से मौत हो चुकी है. अमेरिका में कुल 582 और भारत में 10 लोगों की मौत के मामले सामने आये हैं। जहां दुनिया के देश इस महामारी को रोकने की जी-तोड़ कोशिश में लगे हैं। इस वायरस को लेकर चीन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस वायरस को नियंत्रित करने के लिए ये जानना जरूरी है कि ये वायरस आया कहां से?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अधिकारी गौडेन गेलिया ने एक बयान में कहा है कि चीन की सरकार वुहान में कोरोना वायरस के फैलाव की वास्तविक कारणों की जांच में लगी हुई है और डब्लूएचओ (WHO) को इस जांच में शामिल नहीं किया गया है। इसकी जांच में हम चीन सरकार की मदद करने के लिए बेहद उत्सुक हैं। चीन की सरकार वुहान में कोरोना वायरस के फैलाव की तहकीकात कर रही है लेकिन दुनिया के कई देश चीन की इस जांच को शक की निगाह से देख रहे हैं।
चर्चा यह भी सुनने को मिल रही है कि चीन ने अपनी बढ़ती जनसँख्या को कम करने के इस वायरस को बनाया है। यदि यह मात्र एक अफवाह है, फिर किस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन को जाँच में शामिल कर रहा? जो इस चर्चा/अफवाह/शक को बल दे रहा है। चीन को यह भी मालूम होना चाहिए कि हो सकता है उसकी जाँच विश्व के लिए सार्थक सिद्ध हो। यह भी संभव हो सकता है कि चीन को WHO को शामिल करने पर अपनी कमियों के जगजाहिर होने का डर हो।
जेएनयू के प्रोफेसर अश्विन महापात्रा ने चीन सरकार के उस दावे पर सवाल उठाया है जिसमें चीन का कहना है कि उसकी जांच में इस वायरस को ह्यूमन टू ह्यूमन (यानी एक इंसान से दूसरे इंसान) से फैलने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। प्रोफेसर अश्विन महापात्रा ने कहा है कि हमें चीन के ऐसे किसी भी दावे पर यकीन नहीं करना चाहिए।
कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने ट्विटर पर चीन की मंशा पर सवाल उठाते हुए लिखा है, ”चीन ने WHO को कोरोना वायरस की जांच से क्यों बाहर रखा है, चीन ऐसा क्या छुपा रहा है.” मनीष तिवारी के मुताबिक, ‘जीन म्यूटेशन की सामान्य प्रक्रिया में इस वायरस को फैलने में सालों लग जाते हैं जबकि लैब में…?’
चीन के मीडिया का तर्क है कि कोरोना वायरस जानवर के जरिये इंसान में फैला है, चीन के वैज्ञानिक वुहान में इस वायरस के फैलाव के पीछे बैट या पैंगोलिन जैसे जानवर को जिम्मेदार मानते हैं लेकिन WHO इस तर्क से पूरी तरह सहमत नहीं है।
गौडेन गेलिया के मुताबिक किसी भी जानवर से इंसान तक वायरस का फैलाव होने में कई-कई साल लग जाते हैं। सार्स जैसी खतरनाक बीमारी के वायरस को फैलने में दस साल से ज्यादा समय लगा।’
इस विषय से जुड़े कुछ जानकारों का मानना है कि इस वायरस को चीन के लैब में बनाया गया है और चीन स्वतंत्र तरीके से जांच न करा कर कुछ न कुछ छुपा रहा है। को-फाउंडर आफ जूडिशियल वाच एंड फ्रीडम वाच के लैरी क्लेमैन ने आरोप लगाया है कि COVID-19 चीन के वुहान में बना एक जैविक हथियार है।
लैरी क्लमैन ने वुहान में स्थित वुहान इंस्टीट्यूट आफ वीरोलोजी के खिलाफ 20 ट्रिलियन डॉलर का मुकदमा दायर किया है। लैरी क्लेमैन ने इस वायरस के लिए चीन की पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना है और वुहान में स्थित लैब को जिम्मेदार ठहराया है।
मुख्य संपादक, उगता भारत