जनता सतर्क रहे : सावधानी नहीं बरतने पर भारत में 63 लाख और विश्व में 200 करोड़ को हो सकता है कोरोना

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार

चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस आज लगभग पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने को आतुर नजर आ रहा है। जिससे निपटने के लिए पूरी दुनिया आज लॉकडाउन के मुहाने है। भारत में भी कई प्रदेशों ने खुद के सम्पूर्ण लॉक डाउन की जहाँ घोषणा कर दी है, वहीं देश भर के उन 75 जिलों को भी लॉकडाउन कर दिया गया है जहाँ कोरोना से संक्रमित रोगी पाए गए हैं और जहाँ इसके संक्रमण के फैलने की आशंका बेहद ज्यादा हो चुकी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों से सतर्कता बरतने का बार-बार अनुरोध कर रहे हैं, जनता है कि इस बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रही है। जिस कारण पंजाब और महाराष्ट्र ने तो इस गंभीर बीमारी के प्रति जनता के लापरवाह होते देख कर्फ्यू तक लगा दिया है। दिल्ली में भी मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आंशिक कर्फ्यू की घोषणा कर दी है।

दूसरे, मेरी आयु के वरिष्ठों ने छटी अथवा सातवीं कक्षा में सामाजिक ज्ञान विषय में अर्थशास्त्री माल्थस का जनसँख्या नियंत्रण पर अध्याय जरूर पढ़ा होगा, जिसमें अर्थशास्त्री माल्थस ने जनसँख्या नियंत्रण करने के उपाय जैसे परिवार नियोजन आदि बताए हैं। साथ में यह भी सचेत किया था कि “यदि लोगों ने स्वयं जनसँख्या को नियंत्रण नहीं किया, फिर प्रकृति अपना प्रभाव जैसे बाढ़, तूफान और महामारी आदि से धरती पर जनसँख्या नियंत्रण करेगी। किसी समय पर प्लेग आदि महामारी होने पर गांव और मौहल्ले तक खाली हो जाते थे। इस गंभीर बीमारी पर 60 के दशक में निर्माता-निर्देशक-अभिनेता ओ.पी. रल्हन ने धर्मेंद्र और मीना कुमारी अभिनीत सदाबहार फिल्म “फूल और पत्थर” प्रदर्शित की थी। वह फिल्म केवल मनोरंजन मात्र नहीं थी, इस गंभीर बीमारी की तरफ सरकार का ध्यान आकृषित किया था। लेकिन विज्ञानं के बढ़ते प्रभाव से प्लेग, टीबी, आदि बिमारियों पर काबू पा लिया है।

कहने का अभिप्राय केवल इतना ही है कि पागलों की तरह सरकार के प्रयासों को विरोध रूप में लेने की बजाए सावधानी बरतें, सावधानी बरतने में जनता ही की भलाई है। क्योकि मोदी विरोधियों द्वारा इस महामारी को हल्के में ले रहें, जैसे ये मोदी ने फैलाई है। यह बीमारी विश्वव्यापी हो चुकी है। और जहाँ जनता की तरफ से लापरवाही होने पर विकराल रूप धारण कर रही है। फिर भी जनता नहीं समझ रही।

ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि कोरोना संक्रमण किस कदर फैलता है। मैथमैटिकल मॉडल के जरिये इसके संक्रमण के पैटर्न को समझ, हम इसकी रोकथाम के लिए जरूरी लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने जैसे तौर तरीकों की अहमियत को भी समझ सकते हैं। इन्हीं सब पर ऑपइंडिया के अजीत भारती ने आईआईएम अहमदाबाद से पढ़े नीतेश से बात की जिहोंने आँकड़ों की मदद से इस महामारी के फैलने पर विस्तार से बताया।

भारत की स्थिति समझने के लिए, सबसे पहले चीन के आँकड़ों को समझने की जरुरत है। 22 जनवरी को चीन में कोरोना संक्रमण के सिर्फ 548 केस थे, जो अगले तीन दिन यानी 25 जनवरी तक 1000 पर पहुँच गए, ये संख्या 1 फरवरी तक 1000 से 10000 और अगले 12 दिनों में 50000 क्रॉस कर गई।

इटली की बात करते हुए नीतेश ने कहा कि वहाँ कोरोना के पहले 100 मामले 23 फरवरी को हुए, जो 29 फरवरी तक 1000 और 7 मार्च तक 5000 तक ही पहुँचे थे पर उसके बाद कोरोना संक्रामक मरीजों की संख्या में वहाँ एक्सपोनेंशियल वृद्धि दिखी और मामले 10 मार्च तक 10000, फिर 21 मार्च तक 50000 पार कर गए।

चीन और इटली के बाद भारत में फैलते इस संक्रमण के आंकड़ों और इस घातक वायरस की एक्सपोनेंशियल वृद्धि को समझाते हुए नीतेश ने कहा कि भारत में 14 मार्च को जहाँ पहली बार कोरोना पेशेंट की संख्या 100 छुई थी वह अगले 6 दिन में दोगुनी होकर 200 और उसके अगले 2 दिन में 200 से 400 तक पहुँच गई।

नीतेश ने अपने मॉडल के आधार पर बताया कि यदि इसी तरह ये संख्या बढ़ती रही तो भारत में कुल कोरोना संक्रामक मरीजों की तादाद 63 लाख तक पहुँच सकती है जबकि यदि लॉकडाउन (समुदायों, शहरों, जिलों, राज्यों, देशों के बीच आवाजाही पर प्रतिबन्ध), सोशल डिस्टेंसिंग (यानी, लोगों के बीच दूरी बना कर रहना), आदि निर्देशों का पालन किया गया तो भारत में कोरोना की यह संभावित संख्या 1000 गुना कम होकर महज 6000 के आसपास रह सकती है।

चार्ट में अगर आप वैश्विक स्थिति देखेंगे तो चीन के अलावा बाकी देशों के 2 अरब लोग संक्रमित हो सकते हैं। इसीलिए, बार-बार हाथ धोना, लोगों से मिलना-जुलना बंद करना, अनावश्यक कामों से घर से बाहर निकलना बंद करना आदि कुछ ऐसी सावधानियाँ हैं जिससे इस महामारी के फैलने की गति को रोका जा सकता है।

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