भगवान कृष्ण जब शांति दूत बनकर हस्तिनापुर आए और उन्होंने दुर्योधन से पांडवों का राज्य लौटाने को कहा, यहां तक कि पांडवों को पांच गांव देने तक का भी प्रस्ताव रखा तो दुर्योधन ने पांच गांव तक भी देने से मना कर दिया। इस पर भगवान कृष्ण मुस्कुराये और चल दिये। इस घटना से आशंकित होकर शकुनि ने दुर्योधन से कहा था-दुर्योधन संसार में यदि मुझे किसी से डर लगता है, तो वह कृष्ण है। उसकी तीन बातों को कभी सहजता से मत लेना।
दुर्योधन ने पूछा-मामाश्री वे तीन बातें कौन सी हैं? शकुनि ने उत्तर दिया-कृष्ण के वचन, दृष्टि और मुस्कान को समझना सामान्य व्यक्ति की बुद्घि की परिधि से बाहर की बात है। इनकी गंभीरता और दूरगामी परिणामों को संसार में कोई बिरला ही जान सकता है।
दुर्योधन! कृष्ण के श्रीमुख से निकले हुए एक एक वचन के सात सात अर्थ होते हैं, और सुन, कृष्ण की आंखों में कभी आंखें डालकर बातें मत करना। क्योंकि उसकी आंखों में वह तेज है, यदि वह कोपदृष्टि बन जाए तो ऐसे व्यक्ति को संसार में बचाने वाला कोई नही। कृष्ण के वचन और दृष्टि से भी अधिक प्रभाव छोडऩे वाली उसकी रहस्यपूर्ण मुस्कान है।
उसकी मुस्कान या तो किसी पर तरस बनकर आती है, कृपा बनकर आती है अन्यथा वह उसका विनाश बनकर आती है, काल बनकर आती है। जैसा शिशुपाल की सौ गाली पूरी होने से पहले आयी थी। इसलिए आज मैं न जाने क्यों इतना भयभीत हूं कि कृष्ण के राज दरबार से प्रस्थान करते समय उसके होठों पर जो मुस्कान थी उससे मेरा मन आशंकित है। वह किसी अनहोनी की परिचायक थी।
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