नई दिल्ली । (अजय आर्य ) अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा नंदकिशोर मिश्र ने कहा है कि देश के पूर्व उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी अपनी संकीर्ण सोच को बार-बार दर्शा रहे हैं । उससे स्पष्ट होता है कि वह सांप्रदायिक एजेंडे पर काम कर करते रहे हैं । देश की संस्थाओं के प्रति कुछ भी गैरजिम्मेदाराना बयान देना पूर्व उप-राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी की फितरत बन चुकी है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आप इसे उनकी मजबूरी भी कह सकते हैं, क्योंकि जिस गाँधी परिवार का अपने निजी हितों को साधने के लिए जिंदगी भर ढोल बजाया और पेट भरकर खाया हो, उसको पचाने के लिए यह सब भी जरूरी है, खैर एक बार फिर हामिद अंसारी ने अपनी वही भूमिका दोहराते हुए कहा है कि भारत में बहुत ही खतरनाक प्रक्रिया चल रही है, आज देश की प्रमुख संस्थाएँ खतरे में हैं।
बता दें कि यह बातें दो बार देश के उप-राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी ने नई दिल्ली में मार्च 17 को राज्यसभा सदस्य रहे भालचंद्र मुंगेकर की किताब के विमोचन के अवसर पर कहीं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जिन सिद्धांतों पर संविधान की प्रस्तावना की गई आज उनकी अवहेलना की जा रही है। अंसारी ने आगे कहा कि लोग मुश्किल समय में जी रहे हैं और प्रतिक्रिया करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यदि यह जारी रहा तो बहुत देर हो जाएगी। हालाँकि, अंसारी को शायद अपने ऊपर चिदंबरम जैसी कार्रवाई होने का डर था, इसीलिए वह अपने पूरे संबोधन में खुलकर कुछ नहीं बोल सके और चारों ओर नजरें धुमाते हुए बस एक ही बात को दोहराते रहे, “हम बहुत मुश्किल समय में जी रहे हैं। मुझे इसके विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत के गणतंत्र की संस्थाएँ बहुत खतरे में हैं।”
इस पर हिंदू महासभा के नेता ने कहा कि क्या तुष्टिकरण पुजारी और लिबरल गैंग यह बताने का कष्ट करेंगे कि जब तक हामिद मियां उपराष्ट्रपति रहे, तब तक इस आदमी को कोई डर नहीं था; दूसरे, जब ये आदमी ईरान में राष्ट्रदूत रहा, ईरान में रॉ अधिकारियों के बारे में पाकिस्तान को सूचित कर भारत सुरक्षा को संकट में डाल दिया था। यानि जिम्मेदारी पद पर रहते भारतीय सुरक्षा की गोपनीयता को जगजाहिर कर रॉ अधिकारियों के जीवन को खतरे में डाल दिया था। मुसलमान होने पर देश से गद्दारी कर पाकिस्तान के टुकड़ों पर मालपुए खाते रहे। क्या हामिद अंसारी के ये काम संविधान और शपथ के विरुद्ध नहीं थे ?