कोरोना के आतंक को देखकर अब समझ में आया कि हमारे पूर्वज ऐसा क्यों करते थे ?

डॉ उमेश उपाध्याय , मास्को1. शौचालय और स्नानघर निवास स्थान के बाहर होते थे।2.क्यों बाल कटवाने के बाद या किसी के दाह संस्कार से वापस घर आने पर बाहर ही स्नान करना होता था बिना किसी व्यक्ति या समान को हाथ लगाए हुए।3. क्यों पैरो की चप्पल या जूते घर के बाहर उतारा जाता था, घर के अंदर लेना निषेध था।4. क्यों घर के बाहर पानी रखा जाता था और कही से भी घर वापस आने पर हाथ पैर धोने के बाद अंदर प्रवेश मिलता था।5.क्यों जन्म या मृत्यु के बाद घरवालों को 10 या 13 दिनों तक सामाजिक कार्यों से दूर रहना होता था।6. क्यों किसी घर में मृत्यु होने पर भोजन नहीं बनता था ।7. क्यों मृत व्यक्ति और दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति के वस्त्र शमशान में त्याग देना पड़ता था।8. क्यों भोजन बनाने से पहले स्नान करना जरूरी था और कोसे के गीले कपड़े पहने जाते थे।9.क्यों स्नान के पश्चात किसी अशुद्ध वस्तु या व्यक्ति के संपर्क से बचा जाता था।10.क्यों प्रातःकाल स्नान कर घर में अगरबत्ती,कपूर,धूप एवम घंटी और शंख बजा कर पूजा की जाती थी।हमने अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित नियमों को ढकोसला समझ छोड़ दिया और पश्चिम का अंधा अनुसरण करने लगे।आज कॉरोना वायरस ने हमें फिर से अपने संस्कारों की याद दिला दी है,उनका महत्व बताया है।हिन्दू धर्म, ज्ञान और परंपरा हमेशा से समृद्ध रही है,आज वक्त है अपनी आंखो पर पड़ी धूल झाड़ने और ये उच्च संस्कार अपने परिवार और बच्चो को देने का।🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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