ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है। जिसे हम को सृष्टि प्रारंभ में ईश्वर ने दिया। ईश्वर ने वेद को मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए प्रदान किया। ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद नाम से कुल चार वेद जाने जाते हैं। वेदों के ब्राह्मण ब्राह्मण ग्रंथ हैं :–
वेद ब्राह्मण
1 – ऋग्वेद – ऐतरेय
2 – यजुर्वेद – शतपथ
3 – सामवेद – तांड्य
4 – अथर्ववेद – गोपथ
वेदों के चार उपवेद हैं । जैसे ऋग्वेद का आयुर्वेद , यजुर्वेद का धनुर्वेद , सामवेद का गंधर्ववेद ,अथर्ववेद का अर्थवेद। शिक्षा , कल्प , निरुक्त , व्याकरण ,छंद व ज्योतिष – ,ये वेद के चार अंग हैं।
ईश्वर ने सृष्टि प्रारंभ में ऋग्वेद को अग्नि ऋषि , यजुर्वेद को वायु नाम के ऋषि , सामवेद को आदित्य नाम के ऋषि और अथर्ववेद को अंगिरा नाम के ऋषि के अंतः करण में प्रकट किया। वेदों का यह ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को समाधि की अवस्था में प्रदान किया।
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सब सत्य विद्याओं का ज्ञान विज्ञान वेदों में निहित है । इस प्रकार अविद्या वेदों को छू भी नहीं गई है। ऋग्वेद का विषय ज्ञान , यजुर्वेद का कर्म , सामवेद का उपासना और अथर्ववेद का विषय विज्ञान है।
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में 10589 ऋचाएं हैं। जबकि यजुर्वेद में 1975 , सामवेद में 1875 और अथर्ववेद में 5977 ऋचाएं हैं। वेदों के विषय में यह कहना कि इन्हें शूद्र वर्ग के लोग या महिलाएं नहीं पढ़ सकतीं – निरी मूर्खता है। ईश्वर ने वेद मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए दिया है तो स्पष्ट है कि इसे संसार का प्रत्येक स्त्री पुरुष पढ़ भी सकता है।
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वेदों में मूर्ति पूजा का संकेत मात्र तक भी नहीं है। अतः भारतवर्ष में यदि मूर्ति पूजा पाई जाती है तो वह भी वेदविरुद्ध है।
वेद विशुद्ध ज्ञान की खान हैं। उनमें किसी भी प्रकार के अवतारवाद की व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही उनका समर्थन किया गया है। वेदों के उपांग हैं :–
1- न्याय दर्शन – गौतम मुनि।
2- वैशेषिक दर्शन – कणाद मुनि।
3- योगदर्शन – पतंजलि मुनि।
4- मीमांसा दर्शन – जैमिनी मुनि।
5- सांख्य दर्शन – कपिल मुनि।
6- वेदांत दर्शन – व्यास मुनि।
शास्त्रों के विषय आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि हैं ।
भारत के बारे में
किसी विद्वान ने भारत के बारे में सच ही तो कहा है कि भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आज़ादी पाने के बाद भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत