नई दिल्ली । विश्व में कोरोना का आतंक इस समय अपने चरम पर है । कोरोना के बारे में यह तथ्य स्थापित हो चुका है कि यह हाथ मिलाने व दूसरों को छूने से हो सकता है । इस बात को समझते ही दुनिया को भारत के सनातन धर्म की परंपराओं की याद आ गई है । परिणाम स्वरूप इस्लाम और ईसाइयत को मानने वाले लोग भी लोगों से हाथ में मिलाकर दूर से नमस्ते करने में ही भला देख रहे हैं । किस करना भी लोग छोड़ रहे हैं। जिससे समाज में एक अच्छा संदेश जा रहा है कि हम किसी प्रकार की चरित्रहीनता को न फैलाकर भारत की परंपराओं को मानेंगे ।
जिस प्रकार से कोरोना भगवान विश्व को धर्म की राह पर लाकर स्नात्तनी बना रहे हैं, लगता है ये प्रभु का सूक्ष्म रूप अवतार हैं। गीता में प्रभु ने स्वयं ही कहा है :-
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ ।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ।।
ये बात एक अकाट्य सत्य है कि आज के युग मे धर्म की सर्वाधिक हानि हो रही थी। अब कोरोना भगवान की कृपादृष्टि पाने के लिये पूरा विश्व सनातनी होने की राह पर चल पड़ा है। कोरोना से डरने की आवश्यकता नही है,अपने द्वारा किये गये गलत कामों और पापों की क्षमा माँगिये, कोरोना भगवान आपकी रक्षा करेंगे ।
यह बात यद्यपि फेसबुक पर मेरे द्वारा व्यंग्य में लिखी गई थी , परंतु लोगों ने इस पर हास उपहास भरी टिप्पणी ना कर इसे गंभीरता से लिया । जिससे पता चलता है कि सनातन की परंपराओं के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ा है।