1857 की क्रांति की महत्वपूर्ण तिथियां

महत्वपूर्ण तिथियां

-31 जनवरी 1857 : मंगल पांडे जो बैरकपुर में अंग्रेजी सेना की 34वीं नेटिव इन्फेन्ट्री के एक सिपाही थे, को एक भंगी द्वारा कारतूस में चर्बी होने की बात पहली बार मालुम हुई।
-28 फरवरी 1857 : 19वीं रेजीमेंट के कमाण्डर माइकेल द्वारा सिपाहियों को परेड के लिए आदेश परंतु -सैनिकों ने इनकार कर दिया।
-29 मार्च 1857 : मंगल पाण्डे (जन्म : तत्कालीन गाजीपुर 30 जनवरी 1831 उ.प्र. अब बलिया) ने लेफ्टिनेंट बाग एवं लेफ्टिनेंट जनरल ह्यूसन को गोली मारी।
-8 अप्रैल 1857 : बैरकपुर में मुकदमे में सैनिक न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने पर मंगल पाण्डे को फांसी।
-23 अप्रैल 1857 : तीसरी अश्वारोही पलटन मेरठ के आदेश के बावजूद कारतूस हाथ से नही छुआ
-24 अप्रैल 1857 : परेड में तीसरी अश्वारोही पलटन के 90 में से 85 सिपाही अनुपस्थित।
-4 मई 1857 : मंगल पाण्डे वाली 34वीं रेजीमेंट भंग।
-9 मई 1857 : अनुपस्थित सिपाहियों पर मुकदमा।
-10 मई 1857 : 1857 के गदर का प्रारंभ, लाइट कैवेलरी के तीसरी रेजिमेंट के घुड़सवार सैनिकों द्वारा सजा प्राप्त सैनिकों की बेड़ियां काटकर उन्हें आजाद घोषित, रात को ही दिल्ली रवाना।
-11 मई 1857 :सिपाहियों ने चुंगी पर एवं मुस्लिमपुर के अंग्रेजी बंगलों को फूँका। लालकिले के रक्षा -अधिकारी कैप्टन एवं डॉ चमन लाल मारे गये।
-12 मई 1857 : बहादुरशाह पुन: भारत के सम्राट बने।
-31 मई 1857 : इसी तिथि को सैनिकों ने विद्रोह की शुरूआत करना निश्चित किया था।
-4 जून 1857 : लखनऊ में विद्रोह
-5 जून 1857 : कानपुर में विद्रोह
-12 जून 1857 : बिहार में विद्रोह तथा बिहार रेजिमेंट के तीन सेनिकों को अपने कमाण्डर का आदेश मानने से इनकार।
-4 जुलाई 1857 : नाना साहब के सहयोग से दो सिपाही रेजीमेंटों ने कानपुर के शस्त्रागार और बंदीग्रह पर अधिकार कर लिया तथा बंदियों की मुक्ति।
-17 जुलाई 1857 : नाना साहब अंग्रेजों से पराजित।
-20 सितंबर 1857 : दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार
-12 सितंबर 1857 :बहादुरशाह का हडसन के सैनिकों के समक्ष आत्मसमर्पण।
-22 दिसंबर 1857 : लखनऊ में बेगम हजरत महल एवं उसके योग्य मंत्री अब्दुल्लाशाह ने अंग्रेजी सेना को हराया।
-31 मार्च 1858 : कैम्पबेल द्वारा संपूर्ण रूप से लखनऊ पर अधिकार।
-26 अप्रैल 1858 : कुंवर सिंह बिहार दिवंगत।
-18 जून 1858 : 23 वर्ष की उम्र में झांसी की रानी की मृत्यु
-8 अप्रैल 1858 : मारवाड़ के देशद्रोही राजा मानसिंह की मुखबरी पर अंग्रेजों द्वारा तात्यां टोपे अलवर के जंगलों में गिरफ्तार।
च ह्यूरोज ने लक्ष्मीबाई की वीरता से प्रभावित होकर कहा है कि भारतीय क्रांतिकारियों में यह अकेली मर्द है।

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