देश की अभी तक की कांग्रेसी सरकारें देश की सीमाओं के प्रति कितनी लापरवाह रही , इसका पता इस बात से चलता है कि चीन ने हमारे लद्दाख क्षेत्र के 38000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर अवैध कब्जा कर रखा है सरकारों को पता भी रहा इसके उपरांत भी कोई ठोस कार्यवाही चीन के खिलाफ नहीं कर सके । यद्यपि चीन के द्वारा कब्जाए गये भारत के किसी भी भूभाग को वापस लेने का संकल्प भारत की संसद ने लिया हुआ है परंतु यह आश्चर्यजनक रहा है कि केंद्र की सरकारें अपने उस संकल्प के प्रति भी आंखें मूंदे बैठी रही और कभी पड़ोसी देश चीन को यह स्पष्ट शब्दों में बताने का भी प्रयास नहीं किया कि उसने भारत के साथ भारत के भू भाग को हड़प कर ज्यादती की हुई है ।
अब केंद्र की मोदी सरकार ने लोकतंत्र के मंदिर संसद में देश को बेहद ही जरूरी तथा बड़ी जानकारी देते हुए बताया है कि चीन ने भारत के लद्दाख के 38,000 वर्ग किलोमीटर भूभाग को कब्जाया हुआ है. मोदी सरकार ने साथ ही संसद में बयान में ये भी साफ किया अरुणाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है तथा भारत की सरकार अपनी खोई जमीन वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध है.
भारत के विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा को लेकर विवाद है. उन्होंने कहा कि पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश में करीब 90 हजार स्क्वॉयर किलोमीटर के हिस्से पर अपना दावा करता है. इसके अलावा चीन के कब्जे में भारत के अभिन्न अंग लद्दाख का करीब 38 हजार स्क्वॉयर किलोमीटर का इलाका है. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच 2 मार्च 1963 को तथाकथित ‘सीमा समझौते’ के तहत इस्लामाबाद ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का 5,180 स्क्वॉयर किलोमीटर का भारतीय हिस्सा चीन को दे दिया था.
संसद द्वारा 1994 में PoK पर पारित एक प्रस्ताव पर सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ke सैद्धांतिक मत है कि अरुणाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और यह हमेशा रहेगा। यह बात चीन को कई मौकों पर बताई जा चुकी है. एक अन्य सवाल के जवाब में मुरलीधरन ने बताया कि सरकार पाकिस्तान के गैरकानूनी कब्जे वाले हिस्से समेत सभी भारतीय हिस्से में चल रही हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुई है.
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हम पाकिस्तान को गैरकानूनी तरीके से कब्जाए हिस्से को तत्काल खाली करने को कह चुके हैं. हमने पाकिस्तान को इस इलाके में मानवाधिकार उल्लंघन के मसले और किसी प्रकार के बदलाव को लेकर भी चेताया है. मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार लगातार इस बात पर कायम है और वह 22 फरवरी 1994 को संसद के दोनों सदनों से द्वारा पारित उस प्रस्ताव के साथ है जिसमें केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया गया था.
मुख्य संपादक, उगता भारत