दंगाइयों का यह है सही इलाज
बचपन में एक कहानी सुनी थी। एक बार एक राज्य में 4 आदमी जुआ खेलते पकड़े गए। दण्ड देने से पहले राजा ने इतिहास पता करवाया उसी के अनुसार दण्ड दिया।पहला बहुत संवेदनशील था। उसे कभी किसी ने गलत बोलते भी नही देखा था। भ्रम में पड़ कर जुए वालों के साथ चला गया।पहले की पगड़ी उतार कर इसे कुछ देर के लिए कोने में खड़ा कर दिया। फिर घर जाने दिया।दूसरे का समाज और परिवार में बहुत सम्मान था। बाहर कुछ लापरवाही भी कर ले परन्तु घर मे बहुत अच्छा व्यवहार करता था।दूसरे के परिवार को बुलवाया और उनके सामने बताया गया कि तुम्हारे परिवार का सदस्य जुआ खेलते पकड़ा गया। इतना कह कर जाने दिया।तीसरा व्यापारी था। व्यापार में उसकी बहुत साख थी। उसका लेन देन का व्यवहार बहुत अच्छा था।तीसरे के सहयोगी व्यापारियों को बुलाया और उसके जुआ खेलने के बारे में बताया और जाने दिया।चौथा आदतन जुआरी और बेशर्म था। राजा ने कहा कि इसका मुंह काला करके गधे पर बैठा कर पूरे शहर में घुमाओ।—परिणाम क्या हुआ।पहले ने स्वंय को इतना अपमानित समझा कि कई दिन तक घर मे बन्द कमरे में अकेला रहा और किसी से नहीं मिला।दूसरे ने कई दिन तक अपने परिवार वालों से नजर भी नही मिलाई।तीसरा कई दिन तक व्यापार के लिए बाजार ही नहीं गया।चौथे ने क्या किया।जब उसे काले मुंह के साथ गधे पर बैठाकर घुमाया जा रहा था तो रास्ते मे उसका अपना घर आया। उसने अपनी पत्नी को कहा कि नहाने का पानी गर्म कर देना। बस जैसे ही शहर जा चक्कर पूरा होगा तुरन्त वापिस आकर नहाऊंगा।——-दंगाइयों को गोली मारने का विकल्प सबसे खराब है। क्योंकि ये दंगाई केवल शतरंज के मोहरे की तरह हैं। उनका मास्टरमाइंड कहीं दूर होता है। वह तो चाहता है कि गोली चले और दंगाई मरे और उसे सहानुभूति मिले।सभी को जेल में डालना भी सही नहीं है क्योंकि इनका केस लड़ने के लिए वकीलों की फौज खड़ी रहती है। दूसरा अधिकतर दंगाई बेरोजगार होते हैं। उनकी नौकरी आदि जाने का खतरा नहीं। जेल भेज कर खर्च के नाम पर दंगे का मास्टरमाइंड मोटा चंदा जमा कर लेता है। वैसे भी हमारी जेलें विचाराधीन कैदियों से भरी पड़ी हैं।दंगाइयों से जुर्माना वसूलना और सम्पत्ति कुर्क कर देना सबसे अच्छा दण्ड है। इससे दंगाई और उसके परिवार दोनों को दण्ड मिल जाता है। सहानुभूति भी नही मिलती और दंगाई मास्टरमाइंड को भी जाकर परेशान करते हैं।
मुख्य संपादक, उगता भारत