मुजफ्फर हुसैन
गतांक से आगे….
यदि अहराम में हज यात्रा के समीप पवित्र काबा के आसपास तुमने जानवर की जान से खेलने का पाप किया और जान बूझकर उसे मार दिया तो तुम्हें बदले में उसी के समान एक जानवर देना होगा। नही दे सकते तो उसके मूल्य के बराबर भूखे को खाना खिलाना होगा और यह भी नही कर सकते हो तो फिर इस पाप के प्रायश्चित के लिए तुम्हें उपवास करना होगा।
ओहिल्ला लकुम सैदुल बहरे व तआमहू मताउन लकुम वलिल्ललसय्यारते वहुर्रेमा अलेकुम सैदुल बर्रे या ढुलतुल होरोमन वक्तकुल्लाहल्लजिया इलेहे तोहशरून।
इसका यह अर्थ हुआ कि कोई किसी पशु को जान बूझकर जाना होगा। यदि उसके पास पालतू जानवर नही है तो उसके मूल्य का उसे भोजन देना होगा। यदि अपराधी यह भी नही कर सकता है तो फिर उसे उतने दिनों तक उपवास करना पड़ेगा जितने दिनों का भोजन कोई भूखा आरोग सके। इसलिए किसी जानवर को मारना पाप है, इसलिए वह पवित्र काबा की सरहद में वर्जित है।
पशु को हलाल करने की विधि
इसलाम में पशु की कुरबानी करने की एक विस्तृत प्रक्रिया है। इस संपूर्ण प्रक्रिया का तात्पर्य यह है कि कम से कम जानवरों को काटा जाए। इस संबंध में प्रसिद्घ लेखक बाबा मोहियुद्दीन कहते हैं-जानवर को हालाल करते समय जब आप कलमा पढ़ रहे हों तब यह कलमा छुरे अथवा चाकू से तीन रगड़े में पूरा हो जाना चाहिए। एक रगड़े के साथ एक बार कलमा पढ़ना अनिवार्य है। उसके गले पर छुरा तीन बार फिरना चाहिए और छुरा हड्डी पर नही लगना चाहिए। वह बहुत तेज होना चाहिए और उसकी लंबाई पशु के आधार पर तय होनी चाहिए। पशु के काटने से पूर्व न तो उसके मुंह से खाया हुआ भोजन बाहर निकलना चाहिए और न ही आवाज करना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो वह हराम हो जाएगा। मोहियुद्दीन आगे बताते हैं कि यह व्यक्ति जिसने जानवर को पकड़ रखा है और जो जानवर को काट रहा है, उसे पांच समय की नमाज कर समय नियमित रूप से पढ़नी चाहिए। इसलिए कुरबानी करने वाला या तो इमाम होना चाहिए या फिर बांगी, जो अजान पुकारता है। कुरबानी मसजिद के पास होनी चाहिए जहां इस प्रकार के दो व्यक्ति सरलता से मिल सकें।
कुरबानी से पूर्व धार्मिक अनुष्ठान जैसे वुजू (नमाज से पूर्व हाथ पांव धोने की क्रिया) आदि करना चाहिए तीन बार कलमा पढ़ना चाहिए और पशु को पानी पिलाना चाहिए। उसे किब्ला यानी पश्चिम की ओर मुंह करके लिटाना चाहिए।
जिस जानवर की कुरबानी की जा रही है, काटने वाले को उसकी आंखों में आंखें डालकर देखना चाहिए। उसे कलमा पढ़ना चाहिए और फिर हलाल करना चाहिए। जब तक जानवर की जान नही निकल जाती तब तक उसकी आंखों में झांकना चाहिए। जान निकल जाने के पश्चात एक बार फिर कलमा पढ़ना चाहिए और चाकू या छुरा, जिससे उसे काटा है उसे पानी से धो डालना चाहिए। उसके पश्चात उसे दूसरे जानवर की तरफ बढ़ना चाहिए। ऐसा करने से काटने वाले का हृदय परिवर्तन संभव है।
क्रमश:
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