(आरबीएल निगम , वरिष्ठ पत्रकार के ब्लॉग से साभार)
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों के कई विडियो सोशल मीडिया में छाए हुए हैं। बुधवार (मार्च 4, 2020) को एक नया विडियो सामने आया। विडियो में दंगाई भीड़ दिल्ली पुलिस पर लाठी और पत्थर से हमला करती नजर आ रही है। दावा किया जा रहा है कि इसी भीड़ ने दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की जान ली और इसी भीड़ के आतंक के कारण डीसीपी अमित शर्मा घायल हुए।
सोशल मीडिया पर इस विडियो को चाँदबाग इलाके का बताया जा रहा है, जिसे 24 फरवरी को शूट किया गया। विडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस की कार्रवाई के बाद पहले वहाँ मौजूद भीड़ आगे की तरफ भागती है। लेकिन तभी दूसरी ओर से आई उपद्रवियों की भारी भीड़ पुलिस पर हमला कर देती है। भीड़ में शामिल बुर्का धारी महिलाएँ भी पुलिस पर हमला करते हुए नजर आती हैं। ध्यान से सुनने पर विडियो में गोली चलने की आवाजें भी सुनी जा सकती है।
इस विडियो के सामने आने से पहले एसीपी अनुज कुमार ने उस भीड़ की हिंसा के बारे में बताया था।उन्होंने भी कहा था, “24 तारीख की सुबह साढ़े 11 बजे और 12 बजे के आसपास की बात है। मेरी और रतनलाल और बाकी कर्मचारियों की ड्यूटी चाँदबाग मजार से 80-100 मीटर आगे थी। 23 को वहाँ पर वजीराबाद रोड को जाम किया गया था, जिसे देर रात को खुलवाया गया था। उस रास्ते को क्लियर रखने के निर्देश मिले थे।”
उन्होंने आगे बताया था कि उस दिन धीरे-धीरे काफी लोग जमा हो गए थे। महिलाएँ फ्रंट पर थीं। वजीराबाद रोड के पास जब वे आने लगे। तो हमने उन्हें समझाया। मगर वे लगातार आगे बढ़ते रहे। एसीपी अनुज ने भीड़ का हिंसक रूप याद करते हुए यहाँ तक बताया था कि उन्हें उस दिन यमुना विहार की तरफ भागकर अपनी जान बचानी पड़ी थी, क्योंकि अगर वह चांदबाग मजार की ओर जाते तो सीधे मार दिए जाते।
कई ख़बरों के मुताबिक, इसी हिंसा में आईपीएस अमित शर्मा बुरी तरह जख्मी हुए और उन्हें बचाने के लिए कॉन्स्टेबल रतनलाल बलिदान हो गए। इसी दिन मोहम्मद शाहरुख को भीड़ से निकलकर पुलिस पर गोली ताने देखा गया और फिर इसके अगले ही दिन अंकित शर्मा की निर्मम हत्या की खबर मीडिया में वायरल हो गई। यानी साफ है कि इन दंगों में हिंसक भीड़ के निशाने पर सिर्फ़ हिंदू नहीं थे, बल्कि वे सुरक्षा अधिकारी भी थे, जो लोगों के बचाव में या फिर उन्हें शांत करने सड़कों पर उतरे।
इस हिंसा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस अभी तक 531 केस दर्ज कर चुकी है। जिनमें से 47 केस आर्म एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं। फिलहाल, कई दंगाइयों के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को इस समय ताहिर हुसैन की तलाश है। इस पूरी हिंसा में सरगना के तौर पर नाम उछलने के बाद पुलिस जगह-जगह उसकी धर पकड़ के लिए दबिश दे रही है। लोगों का आरोप है कि इस हिंसा में ताहिर की बहुत बड़ी भूमिका रही।