*मंदिर :-* मंदिर सिर्फ एक देव या देवी स्थल ही नहीं होता था बल्कि एक बड़े समुह या जनता या जनसंख्या को एकत्रित, संयोजित और संगठित करने हेतु साधन होता था।
आपने इतिहास को खोदें तो आप पाएंगे की मंदिर राजाओं तथा महाराजाओं के द्वारा ही बनाया गया है। और मंदिर में दर्शन करने हेतु भक्तगण तथा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती थी। प्राचीन काल में आबादी कम थी तथा दुर दुर बस्तियां होती थी। अगर कोई राज्यनैतिक संदेश पहुंचाना पड़े, तो यह बहुत ही कठिन कार्य होता था, ऐसे में मंदिर बहुत ही आसान तथा कारगर तरीका साबित होता था, क्योंकि मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल होता था बल्कि एक धार्मिक केंद्र भी होता था। मंदिर में जाकर राजाओं के सैनिक सुचना सुगमता से प्रसारित करते थे। और राजा का संदेश दुर दुर बस्तियां, ग्राम तथा गांव गांव तक आसानी से पहुंच जाती थी। गुप्तचर विभाग भी आसानी से अपने काम करती रहती थी, और यहीं क्रांतिकारीयों का मुख्य केंद्र होता था।
*गुरु कुल :-* गुरु कुल में शास्त्र और शस्त्र दोनों ही की शिक्षा दी जाती थी। गुरु कुल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में हिन्दू धर्म के ज्ञान के साथ ही युद्ध कौशल में भी पारंगत होते थे। इससे यह ज्ञात होता है की गुरु कुल में शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी एक सफल योद्धा भी होता था जिसे संपुर्ण रण भुमि की युद्ध प्रणाली से अवगत कराया जाता था, जैसे श्री राम, श्री लक्षण, श्री भरत, श्री शत्रुघ्न, तथा पांच पांडव, तथा कौरवों, योद्धा कर्ण, ये सभी गुरुकुल से शिक्षित थे। यह ज्वलंत उदाहरण है।
अपने हिन्दू धर्म के ज्ञान के ज्ञाता के साथ एक उच्च कोटि के योद्धा भी होते थे।
*मुस्लिम आक्रमणकारी* कोई देश या सल्तनत के बादशाह नहीं होते थे बल्कि कबीली इलाकों के कबीलो के सरदार होते थे, और इन्हें कबाइली सरदार कहा जाता था। इनके अपने कबीली इलाके होते थे जो प्राय लूट पाट करते हुए अपने कबीले की जीवन यापन करते थे।आम भाषा में कहें तो ये लुटेरे होते थे। जब ये भारत में आएं तो यहां की संयोजित, संगठित व्यवस्था तथा संस्कृति का अध्ययन किया। तथा मंदिरों की व्यवस्था तथा गुरुकुल की परंपरा को अपनाया, और इसका प्रतिरुप मस्जिद तथा मदरसे के रूप में उजागर किया। इन लोगों ने हमारे परंपरा को अपहरण कर अपनाया और विकास किया अपने धर्म के अनुसार। और हमारे परंपरा का नाश कर दिया था।
*मस्जिद :-* मुस्लिम समुदाय का धार्मिक स्थल और धार्मिक केंद्र है जहां नमाज़ के बहाने मस्जिदों में लोगों को एकत्रित, संयोजित तथा संघठीत करने की प्रतिक्रिया होती है। तथा जन-जन तक साधारण या गुप्त संदेश पहुंचाने का सुगम और सरल माध्यम है।इसका मतलब मस्जीद उनका हमला करने की जगह है।उसका उदाहरण है लाहौर की लाल मस्जीद जिससे पाकीस्तानी फौज पर हमला किया गया।
*मदरसे :-* हमारे ही हिन्दू सभ्यता गुरुकुल से लिये गये, मुस्लिम समुदाय का मुस्लिम गुरुकुल जहां इस्लामिक धर्म के साथ ही युद्ध कौशल, शस्त्र कला भी सिखाई जाती है। और जिहादी तैयार किये जाते हैं।और समय समय पर मुस्लिम आक्रमणकारीयों के द्वारा किए गए हमले।
*मंदिरों के ध्वस्त करने के मुख्य कारण :-*
हमारे राजनीतिक तौर पर अपंग बनाने के लिए, मंदिरों को ध्वस्त किया, ताकि राजा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में अवरोध उत्पन्न हो, क्रांतिकारीयों को शरण न मिल सके। तथा उस देश की राजनीति की नींव को खोखला कर उस देश पर आसानी से आक्रमण कर अधिग्रहण कर लिया जाए। मंदिरों को मस्जिदों में तब्दील करने का मुख्य कारण था उस देश पर अधिग्रहण करने के बाद जो काम हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा किए जाते थे, वहीं काम मुस्लिम समुदाय करने के लिए प्रेरित करने हेतु एक सुगम तरीका का प्रमाण। जो काम राजाओं द्वारा किए जाते थे, वह काम मुसलमानों द्वारा किए जाने लगे।
मंदिरों के मस्जिदों में तब्दील होने से हिन्दूओं के धार्मिक स्थल और केंद्र के अभाव में एकत्रित, संयोजित और संगठित होने में कठिनाई, जिससे हिन्दूओं में फुट पड़ती गई।
*गुरु कुल का नाश :-*
इसलिए गुरु कुल की नाश की गई, ताकि किसी भी हिन्दू को सनातन धर्म की शिक्षा तथा शस्त्र की शिक्षा प्राप्त ही न हो सके और धर्म के ज्ञान के अभाव में आसानी से धर्मान्तरण किया जा सके, और शस्त्र की विद्या के अभाव के कारण योद्धाओं का अभाव, में कोई प्रतिरोध की संभावना नहीं रहती है, और आम नागरिकों पर आसानी से विजय प्राप्त किया जा सके।
*सारांश :- आज हमें फिर से हम हिन्दुओं को वही प्राचीन सभ्यता मंदिरों और गुरुकुल को फिर से जीवित करने की आवश्यकता है, जिसे हम पहले त्याग चुकें हैं। हमें हमारे प्राचीन सभ्यता और संस्कृति ही बचा सकतीं हैं और वह खोया हुआ परिचय और आदर्श दिला सकती हैं।
*तो हे-मलेच्छ हिन्दुऔ और सेक्युलरो मन्दिरों की परंपरा और देवी देवताओं का विरोध छोड़ो। अपनी परम्पराओं से नाता जोड़ों और उनका विकास करो। अपने जो मन्दिर सुरक्षा भी देते हैं। विद्या भी देते हैं। हमारे गुरुकुल और मन्दिर दोनो का है एक ही काम है शश्त्र और शाश्त्र ज्ञान देना।*
*युद्धम शरणम गच्छामि। धर्मों रक्षति रक्षितः।*
जय महाकाल
–
मुख्य संपादक, उगता भारत