योगेश कुमार गोयल
पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच करीब तीन अरब डॉलर के रक्षा समझौतों पर सहमति बनी और तीन समझौता पत्रों पर भी हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों से एक दिन पहले ट्रम्प ने अहमदाबाद में अपने भाषण में कहा था कि आज के बाद से अमेरिका में भारतीयों के लिए निश्चित तौर पर प्यार बढ़ेगा। इन्हीं वजहों से भविष्य में दोनों देशों के आपसी संबंधों में और गर्माहट आने की उम्मीदें बढ़ी हैं। ट्रंप के भारत दौरे के बाद भारत-अमेरिकी रिश्तों की डोर कितनी मजबूत होगी, दावे के साथ इसकी भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाजी ही होगी। दरअसल ट्रंप का इस यात्रा से पहले तक का भारत के प्रति व्यवहार देखें तो साफतौर पर दिखाई देता रहा है कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अमेरिका भारत का सच्चा दोस्त नहीं रहा बल्कि आर्थिक लाभ उसे भारत के करीब खींच लाता है। अमेरिका का रक्षा बाजार बहुत बड़ा है, वह आधुनिकतम तकनीक से निर्मित खतरनाक से खतरनाक साजो-सामान का निर्माण करता है, जिन्हें बेचने के लिए उसे भारत जैसे बड़े बाजार की जरूरत रहती है। आंकड़े देखें तो भारत का रूस से हथियार आयात 2008 से 2013 के बीच करीब 78 फीसदी था, जो 2013 से 2018 के बीच घटकर 58 फीसदी रह गया जबकि अमेरिका से यह आयात 2013 से 2018 के बीच करीब 569 फीसदी बढ़ा है। ट्रंप यात्रा को भारत-अमेरिकी संबंधों का नया अध्याय बताते हुए प्रधानमंत्री ने साफतौर पर कहा है कि दोनों के रिश्ते नई ऊंचाईयों पर पहुंचे हैं और दो देशों के संबंधों का सबसे बड़ा आधार विश्वास होता है। आने वाले दिनों में ही इस बात का खुलासा होगा कि ट्रंप ने अपनी भारत यात्रा के दौरान भारत के प्रति दोस्ती को लेकर जो कुछ कहा, उस पर वे कितना खरा उतरने की कोशिश करते हैं।
अमेरिका में इसी साल के अंत में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। वहां करीब चालीस लाख भारतीय बसे हैं, जिनकी आज के समय में वहां काफी प्रभावशाली भूमिका है। इसीलिए कुछ लोगों ने भले ही ट्रम्प के इस दौरे को अमेरिका में बसे भारतीयों को साधने के लिए महज ट्रम्प के राजनीतिक फायदे वाला दौरा करार दिया हो लेकिन ट्रम्प की यात्रा के सभी पहलुओं पर गौर करें तो ट्रम्प और मोदी के घनिष्ठ होते संबंधों को देखते हुए माना जाना चाहिए कि इस यात्रा के बाद भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाई मिलेगी। दो देशों के आपसी संबंध उन दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के आपसी संबंधों पर भी निर्भर करते हैं और ट्रम्प कुछ माह पहले अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में आयोजित कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ से लेकर अब तक जिस प्रकार मोदी की प्रशंसा करते रहे हैं, उससे दोनों के आपसी संबंधों को मजबूती मिली है। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों के मजबूत होते इन्हीं आपसी संबंधों से दोनों राष्ट्रों के आपसी संबंध भविष्य में और मजबूत होंगे। दोनों के बीच कुछ समय से जिस तरह का तालमेल दिखाई दे रहा है, उससे भारत-अमेरिका संबंधों को नया आयाम मिलना तय माना जा रहा है। सही मायनों में ट्रम्प की यात्रा ने भारत के साथ भारतीयों की बढ़ती ताकत का भी स्पष्ट अहसास कराया है।
ट्रम्प के मोदी को कठिन वार्ताकार कहे जाने का बिल्कुल सीधा का अर्थ है कि एक ओर जहां अमेरिका अपने फायदे वाले कुछ बड़े सौदों पर भारत से वार्ता कर रहा है, वहीं भारत अपने हित साधने के लिए अपनी जिद पर अड़ा रहा है। भले ही तीन अरब डॉलर के रक्षा समझौतों पर सहमति के अलावा ट्रम्प की भारत यात्रा का ज्यादा कारोबारी महत्व नहीं रहा हो लेकिन इससे एक बात तो स्पष्ट हुई ही है कि भारत अब अपने व्यापारिक हितों की अनदेखी नहीं करता है। दरअसल ट्रम्प कई बार कह चुके हैं कि भारत कई वर्षों से अमेरिकी व्यापार को प्रभावित कर रहा है। भारत के संबंध में वे कह चुके हैं कि वे हम पर शुल्क लगाते हैं और भारत में यह दुनिया की सबसे अधिक दरों में से एक है। ट्रम्प के कुछ कठोर कदमों से भारत को भी बड़ा झटका लग चुका है। हालांकि तमाम गतिरोधों के बावजूद दोनों देशों के बीच पिछले दो वर्षों में व्यापार करीब 10 फीसदी वार्षिक दर से बढ़ा है और अमेरिका का लाभ लेने के मामले में भारत अब चीन से आगे निकल रहा है।
भारत यात्रा के दौरान ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका भारत को प्रेम करता है, भारत का दोस्त है, उसका सम्मान करता है और अमेरिका के लोग सदैव भारत के लोगों के सच्चे और निष्ठावान दोस्त रहेंगे। उन्होंने अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम लेते हुए यह भी कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाम लगानी ही होगी और आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका साथ-साथ लड़ाई जारी रखेंगे। आतंकवाद को लेकर उन्होंने भारत के साथ मिलकर लड़ने की बात दोहराई तो यह मानने से गुरेज नहीं होना चाहिए कि मित्र देशों की सूची में अमेरिका अब भारत को खास महत्व दे रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ट्रम्प की भारत यात्रा के बाद ये रिश्ते नए सिरे से परवान चढ़ेंगे। बदलते दौर में अमेरिकी नीति में भारत का महत्व काफी बढ़ा है। राष्ट्रपति रहते बराक ओबामा ने दो बार भारत के दौरे किए और अब जिस प्रकार ट्रम्प ने भारत आकर भारत की महत्ता को स्वीकारा, उससे इसका स्पष्ट आभास भी हो जाता है।
दोनों देशों के बीच घनिष्ठ होते संबंध अंतराष्ट्रीय स्तर पर चीन को महाशक्ति बनने से रोकने में मददगार साबित होंगे। इसके अलावा भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के मामले में भी अमेरिका का साथ मिल सकता है। हालांकि अमेरिका अभी तक भारत के परम्परागत दोस्त के बजाय पेशेवर दोस्त की भूमिका में ही नजर आया है। ट्रंप ने जिस प्रकार अपने भाषण में भारत को ज्ञान की धरती और भारतीय संस्कृति को महान बताते हुए गंगा, जामा मस्जिद व मंदिरों सहित भारतीय धरोहरों तथा स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी का उल्लेख किया और होली-दीवाली जैसे त्योहारों का जिक्र करना भी नहीं भूले, साथ ही यह भी स्वीकार किया कि अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों ने वहां के विकास में बड़ा किरदार निभाया है, उससे दोनों देशों के आपसी रिश्ते मजबूत होने की संभावनाएं प्रबल हुई हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा कई पुस्तकों के लेखक हैं, उनकी हाल ही में पर्यावरण संरक्षण पर 190 पृष्ठों की पुस्तक ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ प्रकाशित हुई है)