मुजफ्फर हुसैन
गतांक से आगे….
सूरा अल अनाम में कहा गया है-इस धरती पर न तो कोई जानवर है और न ही उड़ने वाले पक्षी। वे सभी तुम जानदारों की तरह इनसान हैं। इसलिए पृथ्वी पर रहने वाले जानवर, जिनमें पानी में रहने वाली मछलियां, मगरमच्छ, कीड़े, साथ ही चार पांव वाले जानवर, उड़ने वाले पक्षी-जिन्हें ताइर कहा गया है, मक्खियां तथा चमगादड़ बेट वे सभी जिनमें प्राण हैं और हमारी तरह सामाजिक एवं अकेलेपन में जीते हैं, ईश्वर के बनाए हुए हैं। हमें कोई अधिकार नही कि हम उनके जीवन को नष्टï कर दें। किसी भी जानादार जीव को मारने का हमें अधिकार नही है। पवित्र कुरान कहता है कि वे तुम्हारी तरह इनसान जैसे ही जीव हैं। वे इस ग्रह के नागरिक हैं, जो भिन्न भिन्न देशों में रहते हैं। वे ईश्वर और उसकी सरकार में संरक्षित हैं। सरकार का दायित्व है कि वे उसकी प्रजा की रक्षा करें। इनमें निर्दोष और असहाय प्राणी शामिल है। जो उनको मारते हैं अथवा सताते हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। पवित्र कुरान में उसने बतलाया कि तुम्हारे लिए उसने किस प्रकार के भोजन की व्यवस्था की है। उसने तुम्हारे लिए अनाज उगाया है-जैतून, पाम अंगूर और सभी प्रकार के फल पैदा किये हैं। उनके लिए पृथ्वी निष्प्राण के समान है। हम बार बार उस पर अनाज पकाते हैं, ताकि तुम उसको खा सको। हमने जमीन पर अंगूर और पाम के बगीचे लगाए हैं और उनके फलने फूलने के लिए पानी के झरनों की व्यवस्था की है। उन्हें खाने के लिए क्या मैंने हाथ नही बनाए? यदि ऐसा है तो फिर मेरा आभार मानो और मुझे धन्यवाद दो। वह ईश्वर ही है जिसने आकाश से जमीन पर पानी भेजा। निश्चित रूप से जान डालने के लिए उस निर्जीव धरती में। जिनके पास कान हैं वे इसे सुन सकते हैं। यह सुनने की शक्ति जानवरों के पास भी है। तुम्हारे लिए यह सीख है। धरती के पेट में जो पानी है वह तुम्हारे पीने के लिए दिया गया। मल और रक्त के बीच शुद्घ दूध दिया गया। खजूर के फल खाने के लिए दिये गये, जिनमें से तुम मीठा रस और पौष्टिïक पदार्थ प्राप्त करते हो। वास्तव में यह आदमी की समझ के लिए है। तुम्हारा ईश्वर उन मक्ख्यिों को पहाड़ों में वृक्षों में और जड़ों में अपना घर बनाने के लिए प्रेरित करता है।
इन आयतों से पता चलता है कि ईश्वर ने दूध शहद, अनाज, जैतून, खजूर अंगूर और सभी प्रकार के फल मनुष्य जाति के लिए बनाए हैं। हमें ईश्वर की कृपा का आभारी होना चाहिए, न कि अहसान फरामोश बनकर असहाय और निर्दोष जानवरों का रक्तपात अपनी जबान के स्वाद के लिए करते रहें।
पवित्र कुरान शुद्घ और आध्यात्मिक भोजन के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। ईश्वर कहता है कि हमने तुम्हें जो अच्छी वस्तुएं भोजन में खाने के लिए दी हैं उन्हें खाओ और यदि तुम उसके मानने वाले हो तो उसको धन्यवाद दो। उस रक्त और मांस का उपयोग न करो, जिसके लिए उसने मनाही की है। कुरान में यह स्पष्टï रूप से कहा गया है कि सुव्वर तुम्हारे लिए हराम है और जानवरों का रक्त भी तुम्हारे भोजन के लिए प्रतिबंधित है। इस प्रकार मुसलिम एक विरोधाभासी जीवन जीता है, जब रक्त खाने के लिए प्रतिबंधित है तो फिर मांस को रक्त से अलग करना असंभव है। इसलिए कोई मांस खाता है तो उसके साथ रक्त भी खाने में उस मांस के साथ शामिल हो जाता है। पवित्र कुरान के शब्दों में चिंतन करने वालों को सावधान और सतर्क करने वाली यह बात है।
पवित्र कुरान मुसलमानों को स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद भोजन में वैध और अवैध की जानकारी प्रदान कर देता है। पवित्र कुरान इस बात पर जोर डालता है कि पैगंबर साहब ने जो वस्तुएं अच्छी हैं, उन्हें वैध बताया है और जो अच्छी नही हैं, उन्हें अवैध की श्रेणी में रखकर उनके उपयोग करने की मनाही की है।
पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने कहा कि जो छोटे प्राणियों पर दया दिखाता है वह स्वयं पर दया करता है।
एक बार पैगंबर साहब जिस मार्ग से गुजर रहे थे, कुछ लोग एक भेड़ पर बाण चला रहे थे। तब आपने घृणा से कहा इस बेचार प्राणी को विकलांग न बनाओ।
एक व्यक्ति एक बार एक चिड़िया के घोंसले से अंडे निकाल रहा था। पैगंबर साहब उसके घोंसले के पास गये और कहा, जहां से इन्हें निकाला है वहीं रख दो। इस गूंगे जानवर को कष्टï देने से पहले ईश्वर से डरो। उन पशुओं पर तभी सवारी करो जब वे सवारी करने के योग्य हों और जब से थक जाएं तो उन पर से उतर जाओ। वे हमारे लिए वरदान हैं। उन्हें पीने के लिए पानी दो। जिस प्राणी के शरीर में लीवर होता है, उसे पानी की सख्त आवश्यकता पड़ती है।
छोटे प्राणियों पर दया और उनके प्रति सहानुभूति दिखाने हेतु पैगंबर साहब बहुत अधिक भार देते थे। उनका कहना था कि उनके साथ छोटे भाई जैसा व्यवहार करो। यदि छोटा भाई बुद्घिमान अथवा किसी काम करने के योग्य नही है तो इसका यह मतलब नही कि हम उसे मार डालते हैं, बल्कि उसकी रक्षा रक्षा करते हैं।
क्रमश: