एनडीटीवी : क्या रवीश को आज अपना मुंह काला कर लेना चाहिए, क्योंकि जो गिरफ्तार हुआ वह शाहरूख ही है ?
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राजनीतिक पार्टियां मुस्लिम तुष्टिकरण करें, समझ आता है, लेकिन लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाए जाने वाली पत्रकारिता जब तुष्टिकरण करे, उसे पत्रकारिता नहीं, बल्कि पत्रकारिता के नाम पर कलंक है। और जब ऐसी पत्रकारिता होगी समाज के सामने सच कौन लाएगा? लेकिन NDTV के अलावा कुछ और भी मीडिया हैं, जो सच्चाई को छुपाकर अपने दर्शक और पाठकों को गलत जानकारी दे रहे हैं।
जब एक मुस्लिम शाहरुख़ गोली चलाता है, एनडीटीवी के रविश कुमार उसे हिन्दू अनुराग मिश्रा बताकर झूठ फैलाते हैं, ठीक वैसे ही मुंबई इस्लामिक आतंकवादी हमले को जब एनडीटीवी जैसे चैनल “हिन्दू आतंकवाद” और “भगवा आतंकवाद” नाम देने में दिन-रात एक किये हुए थे।
दूसरे, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगे में जिसे देखो पागलों की तरह अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के भाषणों को दोषी बता कर शाहीन बाग़ और अन्य स्थानों पर मौलाना, मुस्लिम नेता हिन्दुत्व, मोदी एवं योगी के विरुद्ध भाषण दिए जाने और अलगावादी भड़काऊ बयान देने वालों को सुरक्षा दे रहे हैं। पहल किस ओर से हुई उसे छिपाया जा रहा है और ईंट का जवाब पत्थर से देने वालों को दोषी बताते किसी को लेशमात्र भी शर्म नहीं आती।
दिल्ली में हुई हिन्दू विरोधी हिंसा के दौरान भीड़ के बीच से निकलकर दिल्ली पुलिस के एक सिपाही पर बंदूक तानने वाला मोहम्मद शाहरूख खान आज उत्तर प्रदेश के शामली से गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी गिरफ्तरी के साथ ही सोशल मीडिया पर दो हैशटैग ट्रेंड करने लगे। एक- शाहरुख और दूसरा अनुराग मिश्रा। शाहरुख के हैशटैग पर उसकी गिरफ्तारी की खबरें आई। लेकिन अनुराग मिश्रा पर क्लिक करते ही सामने आया NDTV का नाम और रवीश कुमार का चेहरा।
सोशल मीडिया पर जिस समय शाहरूख द्वारा दिल्ली पुलिस के सिपाही पर गोली तानने की वीडियो वायरल हुई। उस समय खुद वामपंथी मीडिया पोर्टल ने सबसे पहले उसके नाम की पुष्टि की थी। जिसके बाद तरह-तरह के कयास लगाए गए, लेकिन सच वही था, जिसे वामपंथी मीडिया ने अपने रिपोर्ट में छापा। यानी गोली चलाने वाले का नाम शाहरूख ही था।
मगर, एनडीटीवी की हद पत्रकारिता देखिए… घटना के कुछ दिन बाद यानी 26 फरवरी को अपने प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने अपने दर्शकों को बरगलाने के लिए अपनी लच्छेदार बातों से उनके मन में सवाल छोड़ा कि जिसने दिल्ली हिंसा में गोली चलाई वो शाहरूख है तो फिर सोशल मीडिया पर उसे अनुराग मिश्रा क्यों कहा जा रहा है? इस सवालिया निशान के साथ रवीश ने अपने दर्शकों के मन में हिंदू नाम के पीछे जो संदेह जताया, उससे साफ हो गया कि वो शाहरूख के अपराधों को दुनिया के सामने तभी लाना चाहते हैं, अगर वो ‘अनुराग मिश्रा’ साबित हो जाए। रवीश जी ने अपने इस प्राइम टाइम में दिल्ली पुलिस से भी कहा कि उन्हें इस नाम पर दोबारा बोलना चाहिए।
हालाँकि, रवीश कुमार और उनकी टीम ने जिस अनुराग मिश्रा की प्रोफाइल को लेकर ये प्रोपेगेंडा तैयार किया, उसने खुद वीडियो के जरिए ऐसा करने वालों के झूठ का पर्दाफाश किया। साथ ही कहा कि वह उस हर शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया।
आज जब उसी शाहरूख की गिरफ्तारी हुई और मालूम हुआ कि शाहरुख के पिता साबिर का भी क्रिमिनल रिकॉर्ड रहा है और ड्रग माफियाओं से संबंध के चलते वह एक बार जेल भी जा चुका है। तो शायद रवीश कुमार के पास जस्टिफाई करने को कुछ नही बचा। लेकिन उनकी करतूतों और अजेंडे से वाकिफ यूजर्स ने फिर भी उन्हें बता दिला कि अब उनके झूठ से दर्शक अपना मत तैयार नहीं करते।
शाहरुख की गिरफ्तारी की तस्वीर आते ही सोशल मीडिया पर लोग रवीश कुमार को, उनकी टीम को, उनके गिरोह को याद दिलाने लगे कि ये जो आज जिसकी आज गिरफ्तारी हुई है, वो अनुराग मिश्रा नहीं बल्कि मोहम्मद शाहरूख है और इस बात को वो अपने जहन में डाल लें।
इस हैशटेग को ट्रेंड कराकर इस समय आम आदमी पार्टी को घेरा जा रहा है। वामपंथी मीडिया को निशाना बनाया जा रहा है। अनुराग मिश्रा की असली वीडियो को शेयर किया जा रहा है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि रवीश कुमार को तो अब अपना मुँह काला करवा लेना चाहिए। क्योंकि शाहरुख ने अपने शाहरुख होने के कागज भी पेश कर दिए हैं।
मुख्य संपादक, उगता भारत