आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम के समर्थन में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा रैली निकालने के बाद अब इन छात्रों ने ऐलान किया है कि वो लोकतंत्र को नहीं, अल्लाह को मानते हैं।
Students of Jamia द्वारा इस तरह की पोस्ट पर हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई भाई-भाई, गंगा-यमुना तहजीब की राग रागने वाले, संविधान और लोकतन्त्र की दुहाई देने वाले, #not in my name, #award vapsi और #intolerance गैंग क्यों चुप हैं? क्या जब दूसरी तरफ से प्रतिक्रिया होने पर होश में आएंगे?
फेसबुक पर Students of Jamia नाम के पेज ने ये पोस्ट किया है। इसमें लिखा गया है कि ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मद रसुल्लाह, लोकतंत्र के खिलाफ है।
इस पेज ने Al Haya Min Allah नाम के एक पेज को शेयर किया है। जिस पर लिखा गया है कि लोकतंत्र के सिद्धांत के विपरीत, इस्लाम जोर देकर कहता है कि हक को मेजॉरिटी के साथ परिभाषित नहीं किया गया है।
इसमें मसनद अहमद के हवाले से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद ने कहा था कि कई दुष्ट लोगों के बीच धार्मिक लोग भी होते हैं। जो उनकी अवहेलना करते हैं, उनकी संख्या उनके मानने वालों की तुलना में अधिक होती है। अल्लाह सार्वजनिक रूप से स्वीकृत मेजरिटेरिज्म के खिलाफ बात करते हैं। और यदि आप उन लोगों की बातें मानते हैं तो वो आपको अल्लाह के रास्ते से गुमराह करेंगे।
एक तरफ जहाँ सीएए का विरोध करते हुए ये कहा जा रहा है कि वो लोकतंत्र और संविधान का पालन कर रहे हैं, उसकी रक्षा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ जामिया के छात्रों का इस तरह से खुले तौर पर कहना कि उनके अल्लाह लोकतंत्र के खिलाफ हैं, कई सवाल खड़े करता है। जब जामिया के दंगाईयों पर पुलिस ने कार्रवाई की थी तो वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल समेत कई नेताओं ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या बताया था। उनका कहना था कि लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, मगर अब जो जामिया के छात्र कर रहे हैं, वो क्या है?
इसी जामिया के छात्रों ने असम को हिंदुस्तान से काटने की बात करने वाले शरजील इमाम के समर्थन में मार्च निकाला था। इस दौरान नारे लगाए गए थे, “शरजील तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। शरजील तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं। शरजील को रिहा करो।”
शरजील ही शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन का मुख्य चेहरा था, जो घूम-घूम कर भड़काऊ भाषण दे रहा था। उसने मस्जिदों में आपत्तिजनक पोस्टर्स बाँटे थे। ऐसे में शरजील के समर्थन में जामिया के छात्रों का खड़ा होना संदेह पैदा करता है। मार्च के दौरान इन छात्रों ने हज़ारों शरजील इमाम पैदा करने की बात कही। इससे पहले लखनऊ में भी शरजील इमाम के समर्थन में मार्च निकालने की कोशिश की गई थी। हालाँकि योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रयासों के कारण ये संभव नहीं हो सका।
मुख्य संपादक, उगता भारत