आज का दिन बीता आसाम की पवित्र धरती पर
आज प्रातः आसाम की पवित्र भूमि के लिए दिल्ली से 9:15 बजे उड़ान भरी 11:35 पर और गुवाहाटी पहुंचा । उसके पश्चात यहां पर अखिल भारत हिंदू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में मेरे द्वारा पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती रेणु मोहन्ता को शपथ दिलाते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा गया। इस अवसर पर पार्टी के पूर्वोत्तर प्रभारी श्री अश्विनी दत्ता सहित कई प्रादेशिक नेता उपस्थित रहे ।
इस अवसर पर मेरे द्वारा उपस्थित कार्यकर्ताओं को बताया गया कि आसाम का इतिहास रामायण काल से प्रारंभ होता है। उस समय यहां पर कुश के पुत्र का शासन करने का उल्लेख मिलता है।
उसके पश्चात महाभारत में यहां का शासक भगदत्त था । जिसने हिंदचीन , वर्मा , थाईलैंड पर भी शासन किया । मेरे द्वारा यह भी बताया गया कि यहां पर प्राचीन काल में इस प्रांत को प्रागज्योतिषपुर के नाम से जाना जाता था ।सूर्य सबसे पहले भारत वर्ष के इसी भाग पर प्रकाश डालता है। उसका ज्योतिष की गणना से विशेष लाभ है । इसको ज्योतिषियों ने ध्यान में रखते हुए क्षेत्र का नाम प्रगज्योतिषपुर रखा।
इस प्रांत में मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी को , जिसने नालंदा को लूटा व जलाया था , आकर परास्त होना पड़ा था । यह 1205 की घटना है । इसके बाद 1228 में यहां पर अल्तमस को परास्त होना पड़ा। उसके बाद 1333 में मोहम्मद बिन तुगलक को परास्त होना पड़ा । इसके बाद अकबर और दूसरे मुगल बादशाहों को यहां पर अपमानित होकर लौटना पड़ा। कुल मिलाकर कभी भी यह प्रांत विदेशी शासकों के अधीन नहीं रहा।
मेरे द्वारा अहोम राजाओं के गौरवपूर्ण इतिहास पर भी प्रकाश डाला गया । जिन्होंने दीर्घकाल तक यहां पर शासन किया । इसके साथ ही बरफूकन के गौरवपूर्ण व्यक्तित्व और कृतित्व पर भी प्रकाश डाला गया।
सभी लोग अपने इतिहास के गौरवपूर्ण पक्ष को सुनकर गदगद थे । हमने सरकार से अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से यह मांग की कि असम के गौरवपूर्ण इतिहास को भारत के राष्ट्रीय इतिहास में स्थान देकर सारे देश में उसको पढ़ाया जाए। जिससे हिंदू गौरव की झलक से सारे देश को परिचित कराया जा सके।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत