दुनियाभर में आतंकवाद का तमगा लिए घूम रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों को अलग-अलग देशों में लगे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। मुस्लिमों को अपने देश में प्रतिबंधित करने वाले देशों की सूची में एक नाम और जुड़ गयी है। यह नाम है फ्रांस। फ्रांस ने अपने देश में विदेशी इमामों के प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि इस निर्णय के बाद देश में आतंकी घटनाओं में कमी आएगी।
मैक्रों ने मीडिया से बात करते हुए बताया, “हमने 2020 के बाद अपने देश में किसी भी अन्य देश से इमामों के आने पर रोक लगा दी है।” उन्होंने कहा कि इस फैसले से फ्रांस में आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब जर्मनी में मुसलमानों को लेकर विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं। राष्ट्रपति मैक्रों ने फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल से भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि इस बात पर विशेष नज़र रहे कि 2020 के बाद कोई भी विदेशी इमाम फ्रांस में प्रवेश न कर सके। यह आदेश सितंबर के बाद से देशभर में लागू हो जाएगा।
राष्ट्रपति मैक्रों ने यह भी आदेश जारी किया है कि जो भी देश में विदेशी इमाम हैं, वह सभी फ्रेंच भाषा सीखें। साथ ही चेतावनी दी कि कोई कट्टरपंथी भावनाएँ न भड़काएँ और न ही किसी प्रकार की आतंकी गतिविधियों में हिस्सा लें। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि हर मुसलमान आतंकी नहीं है, लेकिन अधिकतर मामलों में इस्लामिक आतंकवाद ही सामने आता है। इसलिए देश की रक्षा करने के लिए ऐसा कद़म उठाया गया है। आतंकवाद का समर्थन करने वालों को हम किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे।
राष्ट्रपति मैक्रों की योजना 1977 में बनाए गए एक प्रोग्राम को समाप्त करने की है, जिसके तहत नौ देशों को फ्रांस में फ्रेंच भाषा सिखाने के लिए शिक्षक भेजने की अनुमति थी। इस प्रोग्राम के तहत फ्रांस में हर वर्ष आने वाले करीब 300 इमाम करीब 80,000 छात्रों तक पहुँचते हैं। इनमें ज्यादातर इमाम अल्जीरिया, मोरक्को और तुर्की से आते हैं। साथ ही फ्रांस अब मस्जिदों को विदेशों से मिलने वाले धन को पारदर्शी बनाने के लिए एक नया कानून बनाने की तैयारी में है।
मुख्य संपादक, उगता भारत