आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
लगता है गाँधी परिवार की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। अध्यक्ष सीताराम केसरी को उठाकर बाहर फेंक कर सोनिया गाँधी को अध्यक्ष बनाना बहुत भारी पड़ रहा है। दूसरे, भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को पार्टी ऑफिस तक में रखने की बजाए ऑफिस के गेट बंद करना भी कांग्रेस को भारी पड़ गया। तभी से पार्टी का ग्राफ निरन्तर गिर रहा है।
दिल्ली चुनावों में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस नेताओं में सिर फुटौव्वल जारी है। लेकिन, पहली बार किसी ने खुलकर शीर्ष नेतृत्व यानी गॉंधी परिवार को चुनौती दी है। ये नेता हैं पूर्व सांसद संदीप दीक्षित। वे दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं। शीला दीक्षित को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी अक्सर अपनी बड़ी बहन बताती थीं। यहॉं तक कि पिछले साल शीला के निधन के बाद सोनिया ने कहा था कि वे उनके लिए नेता से ज्यादा एक दोस्त थीं।
संदीप के बगावती सुर का कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी समर्थन किया है। थरूर के अनुसार, संदीप दीक्षित ने वही कहा है जो देश भर में मौजूद पार्टी के नेता निजी बातचीत में कहते हैं। उन्होंने, संदीप दीक्षित के साक्षात्कार को शेयर करते हुए ट्वीट लिखा, “संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं।” उन्होंने लिखा, “मैं सीडब्ल्यूसी से फिर आग्रह करता हूँ कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए नेतृत्व का चुनाव कराए।”