ग्रेटर नोएडा । ( विशेष संवाददाता ) वैसे तो उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालयों के बाहर यह लिखवा रखा है कि जनता से मिलने का समय 9:00 से 11:00 बजे तक है , परंतु अधिकांश प्रशासनिक अधिकारी सरकार के इस आदेश की खुली धज्जियां उड़ा रहे हैं । यदि बात गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह की की जाए तो उनका भी यह सामान्य रूटीन है कि लगभग 11:00 बजे अपने कार्यालय पहुंचते हैं। तब 5 से 10 मिनट में फटाफट लोगों की समस्याओं को मनमाने ढंग से सुनते हैं और कोई संतोषजनक समाधान किए बिना लोगों को फटाफट अपने ऑफिस से निकल जाने के आदेश दे देते हैं ।
जिलाधिकारी के इस प्रकार के व्यवहार से शासन की वह मंशा कहीं पीछे रह जाती है जो यह प्रकट करती है कि जन समस्याओं का संतोषजनक समाधान हो और लोगों को कम से कम असुविधा हो।
जब से जिले में कमिश्नरी स्थापित हुई है तब से प्रशासनिक अस्त व्यस्तता और भी अधिक बढ़ गई है। अभी तक भी लोगों को यह पता नहीं है कि अमुक कार्य कमिश्नर के क्षेत्राधिकार में है या जिलाधिकारी के क्षेत्राधिकार में है । बात यदि हथियारों के लाइसेंस की की जाए तो लोग असमंजस में फंसे हुए हैं ।यद्यपि जिलाधिकारी के यहां दलाल खुले रूप में बाहर सौदा करते मिल जाते हैं कि इतने दे दीजिए और हम आपका काम करा देंगे। जो शरीफ लोग हैं उन्हें जिलाधिकारी खुद कठोर भाषा में अपने कार्यालय से यह कहकर बाहर निकाल देते हैं कि यह काम अभी नहीं होगा । जबकि जो लोग पैसा खर्च कर देते हैं वह अपने काम को अभी भी कराने में सफल हो रहे हैं। अब इसे क्या कहा जाए ,?
शासन की नीतियों को यदि समझा जाए तो शासन की नीति है कि कम से कम असुविधा में अधिक से अधिक लाभ जनसाधारण को दिया जाए और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली को देखा जाए तो पता चलता है कि लोगों को अधिक से अधिक परेशान करना ही उनका उद्देश्य है। जब कोई घटना कहीं पर घटित हो जाती है तो उस समय इन अधिकारियों का काफिला वहां पर पहुंचता है और तब इनकी पोल खुलती है कि अमुक व्यक्ति ने पहले ही आर्म्स लाइसेंस लेने के लिए अप्लाई किया था , परंतु प्रशासनिक अधिकारियों की हठधर्मिता या घूसखोरी की प्रवृत्ति के कारण उसे लाइसेंस समय पर नहीं मिला।
ज्ञात रहे कि गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह अपने व्यवहार के कारण पहले भी आलोचना का पात्र बने हैं । जनसमस्याओं के प्रति उनका कोई सकारात्मक दृष्टिकोण न होने के कारण लोग उनकी शिकायत मुख्यमंत्री से करते रहे हैं , परंतु शासन में बैठे लोग अभी भी श्री सिंह पर कृपालु हैं । देखते हैं कब जिले को श्री सिंह से मुक्ति मिलती है ?