विरोध का अधिकार , सड़क बंद करने का नहीं, बातचीत से हल नहीं तो कार्यवाही की खुली छूट : शाहीनबाग पर सर्वोच्च न्यायालय
सवाल यह नहीं है कि लोग विरोध कर रहे हैं। हर कोई विरोध करने लगेगा तो क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी सोमवार(फरवरी 17) को दिल्ली के शाहीन बाग में दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे विरोध-प्रदर्शन को लेकर की। अदालत ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को मध्यस्थ नियुक्त करते हुए प्रदर्शनकारियों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी है। इस मसले पर अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा जनजीवन को ठप करने की समस्या से जुड़ा है। विरोध के नाम पर सब सड़क पर उतरने लगे तो क्या होगा? कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है, लेकिन इसकी एक सीमा है। अगर सभी सड़क बंद करने लगे तो परेशानी खड़ी हो जाएगी। यातायात बंद नहीं होना चाहिए। विरोध-प्रदर्शन का तरीका होता है। सभी के पास विरोध करने का अधिकार है, लेकिन सड़क बंद करने का नहीं।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “पिछले 64 दिन से प्रदर्शन जारी है, लेकिन आप उन्हें हटा नहीं पाए। अब बातचीत से हल नहीं निकलता है तो हम अथॉरिटी को एक्शन के लिए खुली छूट देंगे।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह सड़क को बंद करके प्रदर्शन करने से दूसरे लोगों को भी आइडिया आएगा और वो भी ऐसा ही करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में चंद्रशेखर आजाद की ओर से पेश वकील ने कहा कि देश में इस तरह के 5000 प्रदर्शन होंगे। इस पर अदालत ने कहा, “हमें 5000 प्रदर्शनों से दिक्कत नहीं हैं, लेकिन रास्ता बंद नहीं होना चाहिए। हमें बस सड़क के जाम होने से चिंता है।”