कांग्रेस को खा गया केजरीवाल पार्टी से हुआ गुप्त समझौता
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जब कांग्रेस में राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाने की चर्चा शुरू ही हुई थी, तब उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “जितनी जल्दी हो राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाओ”, परिणाम सबके सामने है। धीरे-धीरे राहुल के उल्टे-सीधे बयानों के कारण कांग्रेस अपना जनाधार खो रही है। एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा यानि राहुल जो बयानबाज़ी कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे थे, ऊपर से प्रियंका वाड्रा को लाकर और नुकसान पहुँचाने का काम किया जा रहा है।
किसके इशारे पर आम आदमी पार्टी से गुप्त समझौता हुआ?
दूसरे, दिल्ली में जनाधार निम्न स्तर पर जाने पर सभी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे, परन्तु कोई यह पूछने को तैयार नहीं कि आम आदमी पार्टी के साथ किसने और किसके कहने पर गुप्त समझौता कर पार्टी को इतना नीचे गिरा दिया? क्यों नहीं पार्टी ने अपने बलबूते पर चुनाव लड़ा? सिर्फ इसलिए की बीजेपी की सरकार न बने? अगर पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ा होता, बेशक बीजेपी सरकार की सरकार बनती, लेकिन पार्टी की इतनी दुर्गति नहीं होती, कम से कम 10/15 सीटें निकाल पार्टी के अस्तित्व पर आघात नहीं होता। आप को इतनी सीटें नागरिकता संशोधक कानून के विरुद्ध या फ्री में बिजली, पानी के कारण नहीं, बल्कि कांग्रेस को मिलने वाला सारा वोट आप को गया। ठीक है, दिल्ली में बीजेपी सरकार नहीं बनी, लेकिन कांग्रेस को जो भारी नुकसान हुआ है, इसकी भरपाई कैसे होगी? क्यों अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी ?
दिल्ली में तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के विकास पर किसके इशारे पर पानी फेरा गया? यह पार्टी के लिए आत्मघाती कदम है। इन ज्वलंत प्रश्नों का उत्तर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को देना होगा।
इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी को बदलना होगा। इससे पहले चुनावी नतीजे के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और दिल्ली के प्रभारी पद से पीसी चाको ने इस्तीफा दे दिया, कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता हार के लिए पार्टी की रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं।
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ‘हमारी पार्टी के लिए यह बहुत ही निराशाजनक है। नई विचारधारा और नई कार्यप्रणाली की आपात जरूरत है। देश बदल गया है, इसलिए हमें भी नए तरीके से सोचना होगा और देश के लोगों से संपर्क करना होगा।’
इससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी दिल्ली चुनाव में कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको पर सवाल खड़े किए थे। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर की कलह खुलकर सामने आने लगी।
कांग्रेस को सख्ती से अपना पुनरावलोकन करना चाहिए: जयराम रमेश
कांग्रेस की पार्टी की खराब हालत पर चिंता जताते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी को सख्ती से अपना पुनरावलोकन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें खुद को मजबूत करने की आवश्यकता है, ‘अन्यथा, हम अप्रासंगिकता की ओर बढ़ रहे हैं। हमें अहंकार छोड़ना होगा, छह साल से सत्ता से दूर होने के बावजूद हममें से कई लोग कई बार ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे वे अब भी मंत्री हैं।’
पार्टी में नेतृत्व के सवाल पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं को प्रोत्साहन देना होगा और आगे बढ़ाना होगा, स्थानीय नेताओं को स्वतंत्रता और स्वायत्तता दी जानी चाहिए। हमारे नेतृत्व के स्वभाव और शैली को बदलना होगा। जयराम रमेश ने कांग्रेस को मिली हार की तुलना कोरोना वायरस की तरह त्रासदी से करते हुए कहा है कि पार्टी को गंभीरता से अपनी समीक्षा करनी होगी।
दिल्ली में चेहरे की रही कमी: कपिल सिब्बल
दिल्ली में कांग्रेस को मिली जबरदस्त हार पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी के पास दिल्ली में प्रोजेक्ट करने के लिए चेहरे की कमी थी, यह पार्टी का अंदरूनी मुद्दा है हम इस पर गौर कर जल्द समाधान करेंगे।
मतदाताओं ने कांग्रेस को गंभीरता से नहीं लिया: वीरप्पा मोइली
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने भी दिल्ली चुनाव में हार के परिप्रेक्ष्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एक सर्जिकल कार्रवाई का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी क्योंकि उनका मानना था कि केवल आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ही भाजपा को हरा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस तरह लोगों ने मान लिया कि कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने का कोई मतलब नहीं। उन्होंने कहा कि हम चिंतित हैं, दिल्ली का परिदृश्य यह है कि मतदाताओं ने कांग्रेस को गंभीरता से नहीं लिया।
पी. चिदंबरम को कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लगाई थी लताड़
आम आदमी पार्टी की जीत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने अरविंद केजरीवाल को बधाई दी थी। उन्होंने कहा था- दिल्ली की जनता ने भाजपा के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया है।
जिस पर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने चिदंबरम पर तंज कसा। उन्होंने ट्वीट किया- सर, मैं जानना चाहती हूं- क्या कांग्रेस ने भाजपा को हराने का काम राज्य की पार्टियों को आउटसोर्स किया है?
जबकि वास्तव में पार्टी की ढुलमुल नीति, आत्म विश्वास में कमी और स्थानीय नेताओं पर भरोसा न होने ने पार्टी को डुबो दिया। पार्टी को हुए घात पर कारणों पर मंथन करने की बजाए, क्यों आम आदमी पार्टी की जीत पर जश्न मनाया जा रहा है? अगर कांग्रेस ने गंभीरता से चुनाव लड़ा होता, बेशक केजरीवाल सत्ता से बाहर होने से कांग्रेस का अस्तित्व बना रहता। समझौता करने से बीजेपी को नहीं, बल्कि कांग्रेस को ही नुकसान हुआ है। अगर करना ही था गठबंधन कर लेते, समझौता क्यों किया, वो भी गुप्त?