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दिल्ली चुनाव : कांग्रेस का भविष्य , 67 की जमानत जब्त

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार

कभी-कभी राजनीतिक दुश्मनी बहुत महँगी पड़ती है। जिसे कांग्रेस ने प्रमाणित कर दिया है। क्या जरुरत थी आम आदमी पार्टी से गुप्त समझौता करने की? कम से कम अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए कांग्रेस को पुरे दमखम के साथ चुनाव लड़ना था। होता क्या, बीजेपी की सरकार बनती, लेकिन कांग्रेस का अस्तित्व तो बना रहता। अगर कांग्रेस ने गंभीरता से चुनाव लड़ा होता, कम से कम कांग्रेस 10/15 सीटें जरूर जीतती। किसी की जमानत जब्त नहीं होती। ये शायद भारत की सियासत में पहली बार हुआ है, कांग्रेस उम्मीदवारों की थोक के भाव में जमानत जब्त हुई है। आप से गुप्त समझौता कांग्रेस के लिए आत्मघाती नहीं, बल्कि अपने स्थानीय नेताओं के भी सम्मान पहुंचाई है। अब कांग्रेस को इसका नुकसान दिल्ली में होने वाले नगर निगम चुनावों में ही नहीं, बल्कि समस्त भारत में भुगतना पड़ेगा। किसी चुनाव के हो रहे गठबंधन में किसी बहुमत पार्टी के इशारों पर नाचना पड़ेगा। अपनी आवाज़ को कांग्रेस ने स्वयं ही दबा दिया है।

ज्ञात हो, 2014 चुनावों में नरेन्द्र मोदी लहर को रोकने सोनिया गाँधी ने अपनी National Advisory Samiti के सदस्यों से आम आदमी पार्टी का गठन करवाकर चुनाव दंगल में उतारा, कोई बात नहीं, लेकिन अंदरखाने समर्थन दिए जाने पर पार्टी के बुद्धिजीवी ने विरोध भी किया था, लेकिन नगाड़े की आवाज़ के तुतियों की सोनिया तो क्या अन्य सदस्यों ने दरकिनार कर दी।

देश की आजादी के बाद से सबसे अधिक समय तक दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश पर कांग्रेस पार्टी ने राज किया है। लेकिन आज आए दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम में देश की एक बड़ी पार्टी को लगातार दूसरी बार शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है।

एक तो हुई हार, लेकिन ऊपर से 70 सीटों में से 67 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त होना इस बात की गवाही देता है कि, यह हार से भी बड़ी शर्मनाक हार तो है। साथ ही यह चुनावी परिणाम दर्शाते हैं कि, कांग्रेस पतन की ओर जा रही है। यही कारण है कि दिल्ली चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। दिल्ली कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्टा मुखर्जी ने में दिल्ली हार के लिए पार्टी के सर्वोच्च नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है।

इससे भी बड़ी बात यह कि पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बाद से दुखी नहीं हैं कि, दिल्ली चुनावों में कांग्रेस पार्टी की हार हुई है, बल्कि इस बात से ज़्यादा खुश हैं कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में नहीं आ सकी। इस पर भी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने चुटकी ली।

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