दिल्ली के मतदाता सही निर्णय लें
दिल्ली के चुनाव उस समय हो रहे हैं जब ‘गजवा ए हिंद ‘ देश की सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है । यह एक ऐसा खतरनाक जेहाद है जो देश की एकता और अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है । देशविरोधी शक्तियां मोदी सरकार के विरुद्ध लामबंद होती जा रही हैं और किसी भी प्रकार से राष्ट्रवादी लोगों को हताश कर देना चाहती हैं । यह बहुत ही दुखद है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनकी पार्टी सहित देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस भी उन लोगों के साथ खड़ी दिखाई दे रही हैं , जो देश की एकता और अखंडता के शत्रु हैं।
देश के जाने माने रक्षा विश्लेषक, पूर्व रॉ अधिकारी और रिटायर्ड कर्नल आरएसएन सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर देश विरोधी शक्तियों की पोल खोलते हुए उन पर जोरदार हमला किया है।
उन्होंने ‘ डिफेंसिव ऑफेंसेस’ नामक यूट्यूब चैनल पर नागरिकता संशोधन कानून और उसको लेकर दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर निशाना साधते हुए कहा, “इनका कहना है कि आपने पाकिस्तान से तो हमें पुरस्कृत कर दिया है और अब हमारे लोग वहाँ से आते रहेंगे तो आपको कॉन्सोलेशन प्राइज देते रहना होगा। तब तक, जब तक कि हिन्दुस्तान इस्लामिक देश नहीं बन जाता है और वही है – गजवा-ए-हिंद।”
दिल्ली की जामा मस्जिद परिसर का जिस प्रकार दुरूपयोग हो रहा है, यदि स्थिति विपरीत होती, मूर्ख हिन्दू भी छद्दम धर्म-निरपेक्ष लोगों की बातों में आकर मन्दिरों के दुरूपयोग होने का रोना रो रहे होते। परन्तु अब सब मौन हैं, क्यों ? विपक्ष नहीं चाहता कि भारत से घुसपैठिये निकाले जाएं। कश्मीर से जब कश्मीरी पंडितों को निकाला जा रहा था, उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार किये जा रहे थे , मस्जिदों से महिलाओं को वहीं छोड़कर जाने को कहा जाता था, उस समय सीएए का विरोध करने वालों को संविधान खतरे में नहीं दिखा दिया , क्योंकि यह अत्याचार हिन्दुओं के साथ हो रहा था, किसी घुसपैठिये के विरुद्ध नहीं।
बात साफ है कि एक भी घुसपैठिए की जान इन विपक्षी नेताओं और सेकुलरिस्टों की नजरों में भारत के सारे हिंदुओं की जान की अपेक्षा कहीं अधिक कीमती है।
कर्नल आरएसएन सिंह ने कश्मीर की मस्जिदों से आने वाली अलगाववादी आवाज को लेकर कहा है कि अगर देश के लोग और देश के राजनीतिक दल अभी नहीं सँभले तो वह दिन दूर नहीं जब सभी मस्जिदों से ऐसा ही आह्वान होगा। उन्होंने आगे कहा, “ये जो आप देख रहे हैं वह सीएए का विरोध नहीं है। इनको दर्द है अनुच्छेद 370 का, इनको दर्द है राम मंदिर का, इनको दर्द है बालाकोट एयरस्ट्राइक का। लेकिन इतना मैं बता दूँ कि 200 रुपए के बिजली बिल के लिए अपने देश को मत नीलाम करो। 200 रुपए के बिजली बिल के लिए पंचर वाला तुम्हारी बहू-बेटी की इज्जत नीलाम कर देगा और तुम जिंदगी भर पछताते रह जाओगे और सोचोगे कि ये 200 रुपए के कारण हमने क्या पाप किया था ? ”
उन्होंने कहा है कि ये इनकी हिंदुओं के प्रति घृणा है और ये घृणा ऐसी है जैसी कि यदि मुझे एड्स हो जाए तो आप सबको मुझसे हो जाएगी। कुछ लोग बचे हुए क्यों हैं ? पूर्वोत्तर के बारे में शरजील इमाम द्वारा कही गई बातों पर श्री सिंह ने कहा कि वह जो कुछ भी बोल रहा है वह ऐसे ही नहीं बोल रहा है, उसके पीछे एक गहरा षड्यंत्र है और उस षड्यंत्र का प्रवक्ता शरजील इमाम बन चुका है। भारत के राजनीतिक नेतृत्व को शरजील इमाम के पीछे बैठे लोगों को समझना होगा साथ ही उस षड्यंत्र की सारी परतों को भी खोलना भी समझना होगा , जिनके कारण शरजील इमाम जैसे लोग देश में पैदा हो रहे हैं।
मुस्लिम पत्रकार अरफा खानुम ने भी देश विरोधी शक्तियों को प्रोत्साहित करते हुए अपने मस्तिष्क की जैसी योजना को प्रस्तुत किया है वह भी देश के लिए बहुत खतरनाक संकेत दे रही है ।भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश को तोड़ने वाले गद्दारों की भाषा को विपक्ष समझ नहीं रहा है। राजनीतिक हितों के दृष्टिगत देश के विपक्ष को अपनी राजनीति करने का तो पूरा अधिकार है , परंतु देश की यह अपेक्षा भी उससे है कि वह देश विरोधी शक्तियों के सुरों का सही अर्थ लगाना भी सीख ले। देश को तोड़ने की युक्तियों और षड़यंत्रों में लगे लोग देश के संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं । देश का जनमानस इस बात को भली प्रकार समझ रहा है कि धारा 370 व 35a को हटाने से संविधान को तोड़ा नहीं गया है बल्कि संविधान की रक्षा की गई है।
इसी प्रकार शांतिपूर्वक और न्यायालय के माध्यम से राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना भी संविधान का सम्मान करने जैसा ही है । साथ ही मुस्लिम महिलाओं को बराबरी के अधिकार देकर उन्हें तीन तलाक से मुक्ति दिलाने की दिशा में सरकार के द्वारा उठाए गए कदम और अब नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनपीआर जैसे कदम भी संविधान की रक्षा और संविधान की मूल भावना का सम्मान करने की दिशा में उठाए गए कदम हैं । यदि विपक्ष इन कदमों को संविधान विरोधी कह रहा है तो समझ लीजिए कि विपक्ष स्वयं ही संविधान विरोधी आचरण करने में लगा हुआ है ।
इसे देश का दुर्भाग्य ही माना जाना चाहिए कि काफी सारे सेक्युलर हिन्दू अरफा खानुम और इनके जैसे लोगों का मोदी विरोध में जमकर साथ दे रहे हैं । अरफा खानुम इन सेकुलरों के सामने तो भाईचारे, दलित, आदिवासी की बात करती है, पर मुस्लिम भीड़ के आगे वह आग उगलती है और अपनी देश विरोधी योजनाओं का खुलासा करती है।
अरफ़ा की इस बात से देश के समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्षों को अपनी आंखें खोलने चाहिए, जो सेकुलरिज्म का हर समय राग अलापते रहते हैं। वास्तव में हिन्दुओं का छद्दम धर्म-निरपेक्षों द्वारा मूर्ख ही बनाया जा रहा है ।ये लोग स्वयं गजवा हिन्द बनाने में इन कट्टरपंथी स्लीपर सैल्स की मदद कर, भारत को पुनः गुलाम बनाने की ओर धकेल रहे हैं, जो अरफ़ा के बयानों से स्पष्ट झलक रहा है।
सचमुच देश के लिए बहुत विपरीत और दुखद परिस्थितियां बनती जा रही हैं । समय सोने का नहीं है बल्कि सचेत और जागरूक रहने का है। भारत विरोधी शक्तियां भारत से बाहर नहीं हैं । यह हमको ध्यान रखना होगा कि पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह जिया उल हक द्वारा बनाई गई योजना के अंतर्गत भारत के भीतर ही ऐसे भारत विरोधी तत्व पैदा कर दिए गए हैं जो भारत को अब भीतर से छलनी करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी राष्ट्रवादियों को एक साथ होकर इन तत्वों का सामना करना होगा । दिल्ली के मतदाता समय रहते सही निर्णय लें तो अच्छा होगा।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत