5 (क ) सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस ने फिर से भारत पर आक्रमण किया । जी हां , यह सच है। परंतु 5 ( ख ) चाणक्य और चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को ऐसा पाठ पढ़ाया कि सेल्यूकस पराजित हुआ और अपनी पुत्री हैलेना को दहेज में चंद्रगुप्त को सौंप कर वापस जाने के लिए विवश हुआ । स्मरण रहे कि चाणक्य केवल एक आचार्य ही तो थे जो (आज के पाकिस्तान में ) तक्षशिला विश्वविद्यालय संचालित करते थे। तत्कालीन स्कूल के केवल एक मास्टर साहब चाणक्य जिन्होंने विश्व विजयी आक्रांताओं को धूल धूसरित कर ऐसा राज्य बनाया जिसकी राजधानी थी पाटलिपुत्र (पटना ) और जो सिंध के उस पार अटक तक फैला था । वही अटक जिसके किले में मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को कैद किया था। केवल सिंध नहीं अपितु हिंदूकुश पर्वत के भी उस पार तक शत्रु सेना को खदेड़ा गया। विद्वान इतिहासकारों को यह अध्याय भी कभी-कभी छात्रों को पढ़ाना चाहिए।
6 ( क ) ग्रीकों के बाद शक और हूण आए ।उन्होंने भारत पर अनेक आक्रमण किए। यह भी सच है ।उसे अवश्य पढ़ें ।परंतु
6 ख ) महान सम्राट विक्रमादित्य को भी पढ़िए । जिसने अरब तक अपना साम्राज्य फैलाया। ईरान पर ध्वज लहराया और 2076 वर्ष पहले हूणों पर विजय प्राप्ति के उपलक्ष्य में विक्रम संवत स्थापित किया। इसके बाद शकों को पूर्णत: सदैव के लिए उदरस्थ करने वाले महाराजा शालीवाहन का इतिहास भी पढ़िए । जिन्होंने शकों पर विजय के उपलक्ष्य में भारत में 1941 वर्ष पहले शालिवाहन ( शक ) संवत चलाया ।
7 ( क ) इसके बाद मुसलमान उठे । एक बार प्रलय जैसा भयावह दृश्य हिंदुओं के सामने फिर खड़ा हो गया । मुसलमानों ने सीरिया , ईरान , मिस्र , बेबीलोन व अफ्रीका में अपना साम्राज्य बना लिया । वह हम हिंदुओं पर भी टूट पड़े। हिंदुओं को कई बार पराजय का अपमान सहना पड़ा । 5 शताब्दी बीत गई और भारत को इस्लामी देश बनाने का हरसंभव षड्यंत्र और भीषण क्रूर अत्याचार किए जाते रहे । करोड़ों हिंदू मुसलमान बना लिए गए । इतिहास के इस काले अध्याय को पढ़कर शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए ।
7 ( ख ) परंतु जब ईरान में पारसी धर्म समाप्त करने में मुसलमान पूर्णत: सफल रहे । मिस्र की सभ्यता को रौंदने में भी वे विजयी रहे । स्पेन जैसे ईसाई देशों पर भी कई जगह इस्लामी ध्वज लहराया गया । फिर क्या बात थी कि वह संपूर्ण भारत को मुसलमान नहीं बना सके ? क्या कारण है कि आज हम 110 करोड़ हिंदू भारत में सुरक्षित हैं ? इतिहास का यह प्रश्न भी पढ़ने योग्य है । कभी इस गौरवशाली इतिहास में भी झांक कर देखिए । जब हिंदू 600 वर्ष तक मुस्लिमों से जूझते रहे फिर भी हिंदुओं का दम नहीं घुटा । हिंदुओं ने मुसलमानों के ही शस्त्र छीनकर उन्हीं के दावों से हिंदुस्तान को बचाया और हिंदुओं को जगाया । आप पढ़ेंगे तो समझ सकेंगे कि हिंदुओं का इतिहास पराजय का नहीं , सतत संघर्ष अगणित बलिदानों का इतिहास है ।
8 ( क ) यह सच है कि आंध्र , कर्नाटक आदि क्षेत्रों पर भी दिल्ली के शासक तुगलक व खिलजी वंश ने अधिकार कर लिया था ।
8 ( ख ) परंतु उतना ही सच यह भी है कि स्वामी विद्यारण्य की साधना से आंध्र कर्नाटक में फिर से विजयनगर साम्राज्य की विजय पताका फहराई और सन 1335 से लगभग ढाई सौ वर्ष तक यह हिंदू राज वर्चस्व में रहा।
9 ( क ) यह सच है कि हिंदू शास्त्रकारों ने कई बार मुसलमान बनाए गए लोगों को फिर से हिंदू धर्म में वापस लेने से मना कर दिया था । मुहम्मद बिन कासिम द्वारा सन 712 में सिंध को जीतकर लाखों हिंदुओं को मुसलमान बना लिया गया था।
9 ( ख ) परंतु यह भी सिंध के इतिहास का दूसरा अध्याय है कि जब केवल अगले 2 वर्षों में ही कासिम को कब्र में सुलाकर सिंध पर बप्पा रावल ने हिंदू ध्वज फहराया तो सभी मुसलमान बन गए हिंदुओं को वापस लाने के लिए ‘ देवलस्मृति ‘ लिखी गई। जिसके आधार पर सभी को वापस हिंदू धर्म में प्रतिष्ठित कर लिया गया ।
10 ( क ) मुहम्मद तुगलक ने 50000 हिंदुओं को मुसलमान बना लिया था। इन हिंदुओं ने फिर से अपने धर्म में वापस आने की इच्छा प्रकट की , परंतु कुछ हिंदू धर्माचार्यों ने ऐसा नहीं होने दिया। यह सच है।
10 (ख ) परंतु यह भी सच है कि जगद्गुरु रामानंदाचार्य ( सन 1299 – 1474 ) ने इन सभी 50000 मुसलमान बन गए हिंदुओं को पुनः हिंदू धर्म में वापस लाने का कीर्तिमान 1335 में स्थापित किया।
11( क ) बाबर का बर्बर आक्रमणकारी इतिहास अवश्य पढ़िए और पढ़ाइये । उसके समय मीर बाकी ने अयोध्या पर आक्रमण कर राम जन्म भूमि पर बने श्री राम मंदिर को ध्वस्त किया और बाबरी मस्जिद बनाई । यह इतिहास का एक अध्याय है ।
11 ( ख ) परंतु इतिहास में यह भी कई अध्याय हैं कि इस राम जन्म भूमि की रक्षा के लिए 76 लड़ाइयां हिंदुओं द्वारा लड़ी गयीं और लाखों बलिदान किए गए। इसीलिए तो उसी स्थान पर धर्मनिरपेक्ष शासन में भी श्री राम की आरती की जाती रही है। वहां नमाज नहीं पढ़ी जा रही और श्री रामलला के दर्शन प्रतिदिन किए जा रहे हैं ।
12 ( क ) यह सच है कि औरंगजेब ने भी अयोध्या में रामलला मंदिर पर कब्जा करने के लिए सेना भेजी थी । भीषण युद्ध हुआ था ।
12 (ख ) परंतु यह भी सच है कि गुरु गोविंदसिंह जी के साथ वैष्णव संतों और सिपाहियों ने औरंगजेब की सेना को धराशाई कर दिखाया और श्री राम लला की राम जन्म भूमि को सुरक्षित बनाने में सफलता प्राप्त की ।
13 ( क ) अकबर का इतिहास एक सच है। अवश्य पढ़ें ।
13 ( ख ) अकबर के समय अपराजेय योद्धा महाराणा प्रताप का इतिहास उससे भी अधिक सच है। यह भी पढ़ने का ध्यान रखें कि प्रताप ने अकबर द्वारा महाराणा उदयसिंह (प्रताप के पिता ) से छीने गए 34 में से 32 किले वापस लेने में सफलता पाई थी तथा शेष दो किले प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने वापस लेने का कीर्तिमान बनाया था।
14 ( क ) औरंगजेब के क्रूर अत्याचारों की कहानी इतिहास के पन्नों पर भरी पड़ी है। इन्हें अवश्य पढ़ें। 14 ( ख ) औरंगजेब के समय छत्रपति शिवाजी और महाराजा छत्रसाल का इतिहास भी पढ़ें । छत्रसाल ने औरंगजेब (दिल्ली , आगरा राजधानी ) की सेना में रहकर शिक्षा प्राप्त की और फिर उसे छोड़कर बुंदेलखंड में मध्यप्रदेश के पन्ना आदि क्षेत्रों को मिलाकर 24000 वर्ग मील का हिंदू राज्य 1685 में स्थापित किया । इसके पूर्व छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब की जेल आगरा से छूटकर 1674 में महाराष्ट्र में हिंदू पद पादशाही की स्थापना की थी। पढ़िए , इस इतिहास को भी तो आप धन्य होंगे ।
15 ( क ) औरंगजेब दिल्ली से दक्षिण भारत की ओर भी गया। सन 1682 में वह महाराष्ट्र पहुंचा । उत्तर भारत से दक्षिण तक इस्लाम की विजय पताका फहराने के लिए उसने सभी प्रकार के नृशंस अत्याचार किए ।
15 ( ख ) परंतु अंत में औरंगजेब उसी महाराष्ट्र (औरंगाबाद ) के कब्र में गाड़ दिया गया और उत्तर भारत में महाराजा सूरजमल ने , छत्रसाल ने , सिक्खों ने अपनी विजय पताका फहराई । इस इतिहास को भी कृपया पढ़ें ।
16 ( क ) 1707 में औरंगजेब के मरने के बाद भी मुस्लिम अत्याचारी फनफनाते रहे । यह सच है ।
16 ( ख ) परंतु यह भी सच है कि 1720 में पेशवा बाजीराव ने विजय अभियान प्रारंभ किया तो दिल्ली की मुगल सल्तनत को सन 1728 में उसने उखाड़ फेंका । यह रोमांचकारी इतिहास ( सन 1720 से 1740 ) जो हिंदू विजय का अनोखा इतिहास है ।
17 ( क ) भीषण आंधियां आईं और बहुत से हिंदू राजे रजवाड़ों को काटकर जंगल में फेंक गयीं । यह सच है ।
17 (ख ) यह भी सच है कि इन आंधियों में भी हिंदू वटवृक्ष सुरक्षित बना रहा । तभी तो सन 1757 में पेशवाओं द्वारा होलकर भाइयों के साथ मिलकर सिंध के पार अटक के किले पर भगवा ध्वज फहराया गया । इतिहास के इस अध्याय को भी पढ़ें ।
शेष आगामी अंकों में इतिहास की अनकही कहानियां सुधी पाठकों के लिए प्रस्तुत की जाएंगी। कृपया प्रतीक्षा करें ।
दिनेश चंद्र त्यागी ( लेखक अखिल भारत हिंदू महासभा के पूर्व अध्यक्ष और ‘उगता भारत ‘ के कार्यकारी संपादक हैं।)
मुख्य संपादक, उगता भारत